उत्तराखंड

पर्यावरण संस्थान की स्टडी में दावा, घट रही Himalayan Glacier की ऊंचाई, बड़ी त्रासदी की ओर इशारा– News18 Hindi

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पिथौरागढ़. उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मची हुई है. वहीं जीपी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान की स्टडी में पाया गया है कि हिमालय के ग्लेशियर साल दर साल छोटे हो रहे हैं. ग्लेशियरों (Glacier Burst) में आ रहा है ये बदलाव बड़े संकट की ओर इशारा भी कर रहा है. वैसे तो आपदा और उत्तराखंड का चोली-दामन का साथ है, लेकिन ग्लेशियर टूटने से जैसा तांडव चमोली में मचा है, बैसा कम ही दिखाई देता है. जीबी पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान ने अपनी स्टडी में पाया है कि साल दर साल हिमालय रेंज के ग्लेशियर छोटे हो रहे हैं.

हाल में संस्थान ने पिथौरागढ़ के बालिंग और अरूणांचल के खागरी ग्लेशियर की डीप स्टडी की है. स्पेस अप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद की मदद की गई इस स्डटी में पाया गया कि दोनों ग्लेशियर हर साल 8 मीटर घट रहे हैं. जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के सीनियर साइन्टिस्ट डॉ. क्रीट कुमार ने बताया कि हिमालया रेंज में सभी ग्लेशियर घट रहे हैं, लेकिन उन्होनें अपनी स्डटी में हिमालय के 2 ही ग्लेशियरों की शामिल किया था. इसमें साफ पाया गया कि ग्लेशियर हर साल तेजी से घट रहे हैं.

 संस्थान की स्टडी में दावा

संस्थान ने स्टडी में  जहां कम ऊंचाई वाले बालिंग ग्लेशियर को शामिल किया था, वहीं अत्यधिक ऊंचाई वाले अरूणांचल के खागरी ग्लेशियर का भी अध्ययन किया है. स्टडी में पाया गया कि दोनों ग्लेशियरों की ऊंचाई हर साल 8 मीटर के करीब घट रही है. ग्लेशियरों की घट रही ऊंचाई के लिए इंसानी हस्तक्षेप के साथ ही जलवायू परिवर्तन और जंगलों की आग सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है.

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हिमालयी ग्लेशियरों के आकार में आ रहा बदलाव बड़े संकट को भी न्यौता दे सकते हैे. यही नहीे इससे एशिया का पर्यावरण भी प्रभावित हो सकता है. ऐसे में अब जरूरत इस बात है कि पर्यावरण जैसे संवेदनशील मसले को अतिसंवेदनशीलता के साथ लिया जाए. ताकि हो रहे बदलावों के असर से इंसानी जिंदगी बचाई जा सके.



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