उत्तराखंड

भारत-चीन सीमा के पास अब एक्टिव रहेगी बॉर्डर गार्ड फोर्स, गांव वालों को ट्रेनिंग देगी पुलिस

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देहरादून. उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में पुलिस मेलों का आयोजन करने जा रही है. दो से तीन दिन तक चलने वाले इन मेलों के ज़रिए पुलिस सीमांत गांवों में अपना दखल बढ़ाएगी ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा में लिहाज़ से यहां के स्थानीय लोगों को बॉर्डर गार्ड फ़ोर्स के रूप में सक्रिय किया जा सके. इसी योजना के तहत अब अब उत्तराखंड पुलिस अक्टूबर में राज्य के सीमांत इलाकों में दो से तीन दिन के मेलों का आयोजन करने वाली है. पुलिस इन मेलों में सांस्कृतिक प्रोगाम के साथ ही लोकल खेलों को भी प्रमोट करेगी.

पिछले साल पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में सीमांत गावों में भी पुलिस की सक्रियता बढ़ाने के दिशा निर्देश दिए गए थे. पुलिस को आईटीबीपी, बीएसएफ और आर्मी के साथ मिलकर सीमांत इलाकों में खासकर इंडो-तिब्बत बॉर्डर से लगे क्षेत्रों में ग्रामीणों से भी मेल-जोल बढ़ाने के लिए निर्देश थे ताकि स्थानीय लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से फ़ोर्स का रूप दिया जा सके.

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भारत चीन बार्डर पर स्थित उत्तराखंड के गांव विकास की धारा से अलग पड़े हुए हैं.

विकास कार्य भी होगा

इंडो-तिब्बती बॉर्डर से लगे क्षेत्रों हर्षिल, नीति और व्यास वैली में करीब 18 से 20 गांव हैं, जो आज भी विकास की मुख्य धारा से अलग-थलग पड़े हैं. पुलिस अब बड़ी कम्पनियों से संपर्क कर उनके सीएसआर फण्ड से इन क्षेत्रों में मेलों के आयोजन करेगी और विकास कार्यों को प्रमोट करेगी. बॉर्डर से लगे गांव एक तरह से देश के लिए प्रहरी का भी काम करते हैं लेकिन पिछले कुछ साल से रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य के नाम पर सीमांत क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन ने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. लिहाज़ा सैन्य बलों के साथ ही अब लोकल पुलिस भी इन क्षेत्रों में दखल बढ़ाने जा रही है.

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इस बारे में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि हर साल DGP की कॉन्फ्रेंस होती है, उसमें पीएम मोदी ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को निर्देश दिया था कि पुलिस राज्य के सीमांत इलाकों में विकास मेला महोत्सव का आयोजन करे, शुरुआत में तीन मेलों का आयोजन उत्तराखण्ड में किया जा रहा है. इन मेलों को आंतरिक सुरक्षा के लिहाज़ से बड़ा कदम बताया जा रहा है.

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