उत्तराखंड

सुनिंद सोती सरकार ने अभी तक नही कर पाई आपदा क्षतिग्रस्त विभागीय परिसंपत्तियों पुर्ननिर्माण

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अल्मोड़ा। हालिया आपदा से जिले में विभिन्न विभागों के विभागीय परिसंपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा था। कहीं रास्ते ध्वस्त हो गए थे तो कई सड़कों की सुरक्षा दीवारें टूटी थीं। आपदा के लंबे समय बाद भी क्षतिग्रस्त विभागीय परिसंपत्तियों का पुनरनिर्माण तक नहीं किया गया है।

आपदा से जिलेभर में 105 विभागीय परिसंपत्तियों को क्षति पहुंची थीं। इसके पुनरनिर्माण के लिए आपदा प्रबंधन ने दो करोड़ का बजट जारी कर दिया है। इसमें नगर पालिका, जिला पंचायत, सिंचाई, लघु खंड, निर्माण खंड आदि विभाग शामिल हैं। दो माह पूर्व आई आपदा में अल्मोड़ा-सोमेश्वर मोटर मार्ग कई स्थानों पर ध्वस्त हो गया था। भूस्खलन भी भारी मात्रा में हुआ था, आपदा के बाद बारिश भी गुजर गई है लेकिन सड़क की स्थिति पहले की जैसी बनी है। महीनों पहले कलमठ बनाने के लिए यहां काम शुरू किया गया था लेकिन कलमठ नहीं बन पाए। सोमेश्वर कस्बे को जोड़ने के साथ ही यह मार्ग गरुड़, कांडा, कपकोट, बागेश्वर, पर्यटन स्थल मुनस्यारी को भी लोग आवाजाही करते हैं।

सड़क की मरम्मत न होने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। इधर धौलछीना में आपदा के पांच माह बाद भी आपदा के जख्म नहीं भर पाए हैं। आपदा से क्षतिग्रस्त योजनाएं पुनरनिर्माण के लिए बजट का मुंह ताक रही है। पांच माह पूर्व 18 और 19 अक्तूबर को आई आपदा में लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, जल निगम, जल संस्थान, शिक्षा, ऊर्जा निगम की कई योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गई थीं। आपदा में सड़कें सर्वाधिक क्षतिग्रस्त हुई थीं। आपदा के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा कई आंतरिक सड़कों को भी काफी नुकसान पहुंचा था। बाड़ेछीना-सेराघाट सड़क में किमी 32 में लूडिया गधेरा और किमी 20 और 21 में कसान बैंड के पास सड़क क्षतिग्रस्त हो गई थी। किमी 19 में 95 मीटर सड़क पूरी तरह दलदल से क्षतिग्रस्त हुई है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत बनी दियारी-काचूला मोटर मार्ग में कलमठ क्षतिग्रस्त हैं। सड़क से मलबा तक नहीं हटाया गया है।

क्षतिग्रस्त सड़कों से यात्री जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर हैं। अधिकारी और नेता सभी इन मार्गों से आवाजाही करते हैं लेकिन क्षतिग्रस्त सड़कों का कोई सुधलेवा नहीं हैं।हालत यह है कि बरसात में सड़कों में आया मलबा तक नहीं हटाया गया है। आपदा में मलबा भरे कमलठ और नालियां नहीं खुल पाई हैं। पेयजल और सिंचाई योजनाओं का भी पुनरनिर्माण नहीं किया गया है। विकासखंड में क्षतिग्रस्त सल्ला भाटकोट, नौगांव-पिपली पेयजल योजनाएं और कई सिंचाई नहरों का पुनरनिर्माण नहीं हो पाया है। इधर आपदा से सल्ट विकासखंड के आंतरिक मोटर मार्ग भी क्षतिग्रस्त हुए थे। इन सड़कों की मरम्मत नहीं हो पाई है। पीएमजीएसवाई के तहत बनी थला-भ्याड़ी मोटर मार्ग हालिया आपदा में क्षतिग्रस्त हो गई थीं। सड़क में कई स्थानों पर सुरक्षा दीवार क्षतिग्रस्त हैं। नालियां भी कई स्थानों पर बंद हैं। यह मार्ग मुनडा, भ्याड़ी, तल्ली भ्याड़ी, पीपलटनोला, मिश्रा बाखली समेत करीब आधा दर्जन गांवों को जोड़ता है पर क्षतिग्रस्त सड़क की मरम्मत न होने से लोग जान हथेली में रखकर सफर करने को मजबूर हैं।

भ्याड़ी के प्रधान भगत रावत ने बताया कि सड़क सुधारीकरण के लिए कई बार आंदोलन कर चुके हैं। विभाग के अधिकारियों को भी कई बार इस बारे में बताया लेकिन क्षतिग्रस्त सड़क की सुध नहीं ली। भतरौंजखान क्षेत्र के जीनापानी-भतरौंजखान मोटर मार्ग आपदा में ध्वस्त हो गया था। पुनरनिर्माण नहीं किया गया है। इस मार्ग में रोजाना दर्जनों वाहन आवाजाही करते हैं। मार्ग खराब होने से दुर्घटना का खतरा हमेशा बना रहता है। इस मोटर मार्ग के ध्वस्त होने से भतरौंजखान-रामनगर मोटर मार्ग के भी ध्वस्त होने का खतरा बढ़ गया है।



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