उत्तराखंड

Uttarakhand: चीन बार्डर पर बसे गांवों में कोरोना का कहर, सांसों के लिए करना पड़ा 61 घंटे का सफर

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उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में बढ़ा कोरोना का खतरा.

उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में बढ़ा कोरोना का खतरा.

Coronavirus in Uttarakhand: चीन बॉर्डर पर बसे गांवों में कोरोना (COVID-19) अब मुसीबत बढ़ा रहा है. इन इलाकों में न सड़क है न अस्पताल. घंटों सफर तय कर मरीजों को कोविड केयर सेंटर पहुंचाया जा रहा है.

पिथौरागढ़. कोरोना (COVID-19) का कहर बॉर्डर के अंतिम गांवों तक भी पहुंच गया है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के ये गांव चीन और नेपाल बॉर्डर पर बसे हैं. यहां न तो स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, न सड़क और न ही कम्युनिकेशन का कोई साधन. चीन बॉर्डर (Indo-China Border) पर बसे पातो गांव के नरेंद्र सिंह ढकरियाल को तीन-चार दिनों से तेज बुखार था. जब हालत गंभीर होने लगी तो गांव वालों ने प्रशासन से हेलीकॉप्टर की मदद मांगी. लेकिन मौसम खराब होने की वजह से हेलीकॉप्टर का इंतजाम नहीं हो पाया. 32 साल के नरेंद्र सिंह को तब प्रशासन और गांव के 16 लोगों ने 54 किलोमीटर दूर कोविड केयर सेंटर पहुंचाया.

इसमें 61 घंटे का वक्त लगा क्योंकि बॉर्डर का यह गांव सड़क से नहीं जुड़ा है. मरीज को डोली में रखकर उबड़-खाबड़ रास्तों में 42 किलोमीटर पैदल चलकर पहले सड़क तक पहुंचाया गया. यहां से 12 किलोमीटर का सफर एंबुलेंस में तय किया. इस तरह 61 घंटे में बॉर्डर के गांव से मरीज मुनस्यारी के कोविड केयर सेंटर तक पहुंचाया जा सका. यह सिर्फ एक गांव का हाल नहीं है. पिथौरागढ़ जिले में ही करीब 23 गांव ऐसे हैं जो सड़क से नहीं जुड़े हैं. इन गांवों की कुल आबादी करीब 20 हजार है. इन गांवों की सड़क से दूरी 5 किलोमीटर से लेकर 42 किलोमीटर तक है.

कोरोना ने बढ़ाई परेशानी

इन दूर दराज के गांवों में जब भी कोई बीमार होता है तो मरीज को डोली में बैठाकर ही लोग सड़क तक उठाकर लाते हैं. ये गांव अति दुर्गम इलाके में हैं. चीन बॉर्डर पर बसे गांव पातो, धापा, मिलम सहित कई गांवों से जब यह जानकारी आई कि कई लोगों को सर्दी जुकाम और बुखार है तब स्वास्थ्य विभाग की टीम इन गांवों में भेजी गई. 40 किलोमीटर पैदल चलकर स्वास्थ्य विभाग की टीम इन गांवों में पहुंची और कोविड टेस्ट के लिए लोगों के सैंपल लिए. इनमें एक दर्जन से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित पाए गए. वैसे तो पूरे राज्य में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं , लेकिन दूर दराज के इलाकों में संक्रमण फैलना बड़ी मुसीबत इसलिए हो सकता है क्योंकि यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. यहांं टेस्ट करने के लिए कई दिन पैदल चलकर टीम भेजी जाती है और गंभीर मरीज को हॉस्पिटल पहुंचाने में ही काफी वक्त लग जाता है. सीएमओ हरीश पंत का कहना है कि बॉर्डर के गांवों में संक्रमण न फैले इसके लिए एंटीजन टेस्ट किए जा रहे हैं. बावजूद इसके बॉर्डर के गांवों में कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं.





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