धौली नदी में समा रहा तिदांग गांव, सरकार के नक्शे से पहले ही हुआ गायब?
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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का तिदांग गांव कभी भी इतिहास बन सकता है. यह गांव चीन सीमा के करीब बसा है. पलायन के लिए पहचाने जाने वाले इस गांव में 100 से अधिक परिवारों पर हर वक्त खतरे के बादल मंडराते रहते हैं. 12 हजार फीट की ऊंचाई पर दारमा घाटी में बसा तिदांग गांव प्रकृति के सौंदर्य से लबरेज है. नदी, ग्लेशियर, हरे-भरे पेड़ इसकी सुंदरता को चार-चांद लगाते हैं लेकिन यही प्राकृतिक खूबसूरती इस गांव की सबसे बड़ी दुश्मन बन गई है.
हालात यह हैं कि कभी जो गांव नदी और नाले से 80 फीट ऊंचा हुआ करता था, आज धौली नदी उसके बराबर जा पहुंची है. तिदांग गांव को नीचे से धौली नदी काट रही है, तो दाएं और बाएं तरफ से ग्लेशियर इसको अपनी चपेट में ले रहे हैं. गांव के पूर्व प्रधान रमेश तीतियाल बताते हैं कि उन्होंने कई बार नेताओं और अधिकारियों से गांव को बचाने की गुहार लगाई है लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला है.
तिदांग गांव की पहचान इसलिए भी है कि यहीं से निकलकर डॉक्टर जीवन सिंह तीतियाल ने नेत्र सर्जन के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई थी. डॉक्टर तीतियाल को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था. इतनी बड़ी हस्ती से जुड़ा होने के बावजूद भी तिदांग गांव साल दर साल बदहाली की ओर बढ़ता जा रहा है. स्थानीय मामलों के जानकार शालू दताल ने बताया कि यह गांव तीन तरफ से कट रहा है. अगर यह जारी रहा तो तय है कि जल्द ही गांव का वजूद समाप्त हो जाएगा.
नदी और ग्लेशियर तिदांग गांव की 80 फीसदी जमीन निगल चुके हैं. अब सिर्फ कुछ ही घर बचे हैं, जिनमें सैकड़ों जिंदगियां साल के 6 महीने रहने आतीं हैं. आपदा प्रबंधन के नाम पर राज्य सरकार हर साल करोड़ों रुपये बहाती है लेकिन लगता है सरकार के नक्शे से तिदांग गांव पहले ही गायब हो चुका है. यह कहानी सिर्फ तिदांग गांव की नहीं है बल्कि चीन सीमा से लगे कई गांवों के हालात कुछ ऐसे ही हैं, जो कभी भी इतिहास बन सकते हैं.
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