उत्तराखंड

चमोली की ट्राउट फिश की जबरदस्त डिमांड, जानिए क्यों खास है ये मछली?

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ट्राउट मछली जो कि औषधीय गुणों से भरपूर होती है और हृदयरोगियों के लिए फायदेमंद, आजकल चमोली के किसानों की आमदनी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. चमोली जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित बैरांगना मत्स्य प्रजनन केंद्र में कृत्रिम तरीके से ट्राउट मछ्ली का प्रजनन किया जा रहा है. यहां मछली का प्रजनन स्ट्रिपिंग पद्धति से किया जाता है, जिसमें मछली के पेट से अंडों को रिलीज किया जाता है और उसके बाद नर मछली के शुक्राणुओं को डालकर मत्स्य बीज तैयार किया जाता है.

वर्तमान समय में इस प्रजनन केंद्र से ही उत्तराखंड के अन्य पहाड़ी ठंडे इलाकों उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर के किसानों को मछली के बच्चे दिए जा रहे हैं, ताकि इनका उत्पादन कर वह अपनी आर्थिकी सुधार सकें. ट्राउट मछली बाजार में 1000 रुपये से लेकर 1500 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है.

बाजार में इस मछली की काफी मांग है. बड़े-बड़े शहरों के फाइव स्टार होटलों में भी इसकी डिमांड बनी रहती है. चमोली से दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर तक ट्राउट मछलियों को किसानों से सीधे खरीदकर बड़ी-बड़ी फर्म द्वारा भेजा जा रहा है.

बैरांगना मत्स्य प्रजनन केंद्र में साल 1997 में ट्राउट मछली लाई गई थी. यह मछली तब से लेकर अब तक कई किसानों की जिंदगी संवार चुकी है और वर्तमान में इससे लगभग चमोली के 150 किसान जुड़े हुए हैं, जो इसके व्यापार से अच्छी कमाई कर रहे हैं.

ट्राउट मछली के औषधीय गुणों की बात की जाए तो यह हृदय रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद होती है, क्योंकि इसमें ओमेगा-6 पाया जाता है जबकि अन्य मछलियों में ओमेगा-3 पाया जाता है.

गौरतलब है कि अंग्रेज ट्राउट मछली को फिशिंग के लिए भारत में लाए थे लेकिन बाद में इसके औषधीय गुणों का पता चलने के बाद लोगों ने इसे खाना शुरू किया. माना जाता है कि करीब 122 साल पहले नार्वे के नेल्सन ने इसके अंडे डोडीताल में डाले थे और वहीं से अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में इसको भेजा गया.

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