उत्तराखंड

Haridwar: कोरोना शिकार समेत 9 हजार लावारिस लाशों की अस्थियां गंगा में विसर्जित

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पुलकित शुक्ला

हरिद्वार. हरिद्वार (Haridwar) में मोक्षदायिनी मां गंगा में 9 हज़ार लावारिस अस्थियों का विसर्जन विधि विधान से किया गया. हर साल की तरह दिल्ली की संस्था देव उत्थान सेवा समिति से जुड़े लोगों ने हरिद्वार के सतीघाट पहुंचकर अस्थि विसर्जन किया और अनाम मृतकों के मोक्ष की कामना की. हिंदू धर्म में मान्यता है कि किसी भी व्यक्ति के मरने के बाद जब तक उसकी अस्थियां गंगा में विसर्जित नहीं की जाती तब तक उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती, लेकिन हजारों लावारिस मौतें ऐसी होती हैं जिनकी अस्थियां मोक्षदायिनी गंगा तक नहीं पहुंच पातीं.

डेढ़ लाख से ज्यादा अस्थियां गंगा में विसर्जित

दिल्ली की देव उत्थान सेवा समिति पिछले 19 सालों से अनाम मृतकों को मोक्ष दिलाने के लिए उनकी अस्थियां गंगा में विसर्जित करने का काम कर रही है. इस बार सेवा समिति ने हरिद्वार के सती घाट पर 9 हज़ार से ज्यादा अस्थियों का विसर्जन किया. इन मृतकों में लावारिस मौतों के अलावा बड़ी संख्या में कोरोना से मरने वाले लोग भी शामिल हैं. कोरोना काल में जहां अपनों ने ही मृतकों की अस्थियों को विसर्जित करना जरूरी नहीं समझा, वहीं देवोत्थान सेवा समिति मृतकों की अस्थि गंगा में विसर्जित कर उनके लिए मोक्ष का द्वार खोल रही है. सेवा समिति के संयोजक विजय शर्मा का कहना है कि पिछले 19 सालों से समिति यह काम कर रही है. डेढ़ लाख से ज्यादा अस्थियां गंगा में विसर्जित की जा चुकी हैं.

युवा भी बढ़-चढ़कर बन रहे भागीदार

देवोत्थान सेवा समिति के इस मानवीय अभियान में लोग लगातार उसके साथ जुड़ रहे हैं. हरिद्वार अस्थि विसर्जन के लिए पहुंचे 100 लोगों के दल में ज्यादातर स्कूल कॉलेज के छात्र छात्राएं नजर आए. दिल्ली से आए वॉलिंटियर नमन शर्मा और किरनजीत कौर का कहना है कि सब अपने-अपने ढंग से समाज और मानव सेवा में जुटे हैं. ऐसे में उन्हें लोगों को मोक्ष दिलाने का माध्यम बनने में खुशी मिलती है.

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