उत्तराखंड

नेपाल ने अपने नक्शे में दिखाए ये गांव, भारत ने 11 हजार फीट ऊपर शिवोत्सव कर दिया तगड़ा जवाब

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पिथौरागढ़. चीन और नेपाल (China and Nepal) से सटे गुंजी में पहली बार शिवोत्सव (Shivotsav) का आयोजन किया गया. 11 हजार फीट की ऊंचाई पर होने के कारण तो इस आयोजन ने खासी सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन इसके जरिए भारत ने नेपाल को एक संदेश भी दिया है.

हिमालय पर बसे गुंजी, नाबी और कुटी गांव को नेपाल ने अपने राजनीतिक नक्शे में शामिल किया है. नेपाल का ये दावा है कि बॉर्डर के ये तीनों गांव उसके हैं. नेपाल के दावों का भारत ने गुंजी में शिवोत्सव कर जबाव दिया है. 11 हजार फीट की ऊंचाई पर पहली बार इतना बड़ा आयोजन किया गया. केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ये महोत्सव शिव की धरती पर आयोजित किया गया है. इसलिए इसका खास महत्व है.

वहीं डीएम पिथौरागढ़ और महोत्सव के आयोजक आशीष चौहान का कहना है कि महोत्सव का मकसद बॉर्डर के गांवों के प्रति अपनी गंभीरता जाहिर करना भी है. शिवोत्सव के जरिए नेपाल का दिया करारा जवाब. चीन और नेपाल बॉर्डर पर महोत्सव कर भारत ने एक साथ कई संदेश दिए हैं. इसके जरिए सीमाओं पर रहने वालों को भी मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की गई. साथ ही बॉर्डर इलाकों को लेकर खुद की गंभीरता भी दिखाई है.

गुंजी लिपुलेख दर्रे के पास अंतिम गांव है. इसी दर्रे को पार कर चीन पहुंचा जाता है. इस इलाके को लम्बी जद्दोजहद के बाद रोड से जोड़ा गया है. बावजूद इसके यहां पहुंच पाना अभी भी आसान नही है. यही वजह है कि महोत्सव में कुछ खामियां भी नजर आईं.

उत्तराखंड के जाने-माने गायक बीके सामंत का कहना है कि महोत्सव में कई खामियां रहीं. जिस कारण लोगों को दिक्कतें भी उठानी पड़ीं. वहीं क्षेत्रीय विधायक हरीश धामी का कहना है कि गुंजी जैसे दुर्गम इलाके में पहली बार इतना बड़ा आयोजन हुआ है तो जाहिर है कि कुछ दिक्कतें होंगी ही.

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