उत्तराखंड

चमोली आपदा: झील के नजदीक पहुंची ITBP, हेलीपैड बनाने की तैयारी, देखें VIDEO– News18 Hindi

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चमोली. उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) जिले में आए त्रासदी के बाद बचाव कार्य लगातार जारी है. आईटीबीपी के साथ डीआरडीओ (DRDO) की टीम ने मैदान में मोर्चा संभाल रखा है. बुधवार को आईटीबीपी (IYBP) की एक टीम ठीक उसी स्थान पर पहुंची जहां एक झील बनी है. टीम ने आस-पास के इलाके का निरीक्षण किया है. इसके साथ ही इलाके में आईटीबीपी  हेलीपैड भी विकसित कर रही है. बेस कैंप मुरंडा में बनाया गया है. डीआरडीओ के अधिकारी भी आईटीबीपी के साथ हैं. इधर, तपोवन टनल में लगातार राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है. टनल में कीचड़ भरा हुआ है. फिलहाल, सुरंग (Tapovan Tunnel) में बचाव कार्य लगातार जारी है.

इधर,  जल प्रलय में अब तक 58 शव मिल चुके हैं. बीती रात को दो और शव मिले हैं. तपोवन टनल में 145 मीटर खुदाई की जा चुकी है. टनल से थोड़ा पानी निकल रहा है, इसलिए पंप लगाकर वहां से पानी बाहर निकाला जा रह है. तपोवन और रैणी में सर्च और बचाव अभियान चल रहा है.

अध्ययन में जुटे वैज्ञानिक

चमोली जिले में आपदा के बाद से वैज्ञानिक ग्लेशियरो को लेकर अलग-अलग तरीके से अध्ययन में जुटे हुए हैं. राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियर के साथ उस जगह की घाटी और क्षेत्र का भी अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि लोगों को समय समय पर जागरूक किया जा सके. ग्लेशियर झीलों के टूटने से आने वाली तबाही और बचाव के लिए राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के सहयोग से डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथरिटी ने 10 चेप्टर की गाइड लाइन तैयार की है. इसमें स्विजरलैंड की सिवस एजेंसी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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टनल में कीचड़ से परेशानी

तपोवन टनल के भीतर करीब 150 मीटर तक यह देखना आसान है कि बचावकर्मी क्या कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद सुरंग में कीचड़ की मजबूत दीवार है. मुन्ना सिंह और मिथलेश सिंह धौलीगंगा में अब नष्ट हो चुकी एनटीपीसी की विद्युत परियोजना में कार्यरत थे और अब वे बचाव कार्य में तैनात हैं. सिंह ने कहा कि यदि वह रविवार को ड्यूटी पर होता, तो वह भी पीड़ितों में शामिल हो सकता था, जो शव मिले हैं, वे या तो दीवारों या बंद सुरंग की छत पर चिपके थे. बचावकर्ती अमूमन चार घंटे काम करते हैं और इसके बाद नया समूह काम पर आता है. सुरंग में सांस लेना मुश्किल है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल बचाव प्रयासों में जुटे हैं.



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