उत्तराखंड

चंपावत : करोड़ों खर्च कर बनी ऑलवेदर सड़क मॉनसून में हो जाती है खतरनाक

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टनकपुर से पिथौरागढ़ के बीच 150 किलोमीटर लंबी सड़क बन रही है.

टनकपुर से पिथौरागढ़ के बीच 150 किलोमीटर लंबी सड़क बन रही है.

यह सड़क लगभग 11 सौ करोड़ की लागत से बन रही है. टनकपुर से पिथौरागढ़ की इस ऑलवेदर सड़क को 2017 से 3 कंपनियां 4 पैकेज में बना रही हैं. फिलहाल इस सड़क पर सफर करना टूरिस्ट, चंपावत या पिथौरागढ़ जिले के लोगों के लिए कतई सुरक्षित नहीं है.

चंपावत. टनकपुर से पिथौरागढ़ के बीच 150 किलोमीटर लंबी सड़क बन रही है. 2017 में बननी शुरू हुई इस सड़क के लिए दावा किया जाता रहा कि यह ऑलवेदर सड़क होगी. ऑलवेदर सड़क का मतलब वह बारहमासी सड़क जो किसी भी मौसम में न सिर्फ वाहनों की आवाजाही के लिए खुली रहे, बल्कि राहगीरों के लिए भी सुरक्षित रहे. लेकिन सड़क चौड़ीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद यह ऑलवेदर सड़क लोगों की जान के लिए खतरनाक है.

पेड़ हटाने की तैयारी

इस ऑलवेदर सड़क निर्माण के बीच 3 जिला अधिकारी बदल जा चुके हैं, लेकिन समस्या आज भी वही डराने वाली है. ऐसे में मॉनसून से पहले आए जिले के नए डीएम खतरा बन चुके इन पेड़ों को चिन्हित कर हटाने का आदेश दिए जाने की बात कर रहे हैं.

सड़क की हालत ठीक नहींजी हां, यह सड़क लगभग 11 सौ करोड़ की लागत से बन रही है. टनकपुर से पिथौरागढ़ की इस ऑलवेदर सड़क को 2017 से 3 कंपनियां 4 पैकेज में बना रही हैं. लेकिन मॉनसून आने से पहले जिस हालत में यह सड़क दिख रही है, वह बताती है कि फिलहाल इस सड़क पर सफर करना टूरिस्ट, चंपावत या पिथौरागढ़ जिले के लोगों के लिए कतई सुरक्षित नहीं है. पहाड़ी गिरते बोल्डर, खोखली हो चुकी जड़ों में अटके पेड़ तो कम से से कम यही तस्दीक कर रहे हैं. पहले भी पहाड़ी से गिरते बोल्डर और पेड़ लोगों की जान ले चुके हैं. तो ऐसे में सड़क से सफर कर रहे मुसाफिर भी इस ऑलवेदर सड़क को लेकर सरकार से सवाल खड़े कर रहे हैं.





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