उत्तराखंड

गैरसैण में हुए लाठीचार्ज पर गरमाई सियासत, CM रावत बोले- पेशेवर आंदोलनजीवियों के बहकावे में न आएं

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दिवालीखाल में हुए लाठीचार्ज पर कांग्रेस ने पूरे राज्य में पुलिस-प्रशासन के पुतले फूंके.

दिवालीखाल में हुए लाठीचार्ज पर कांग्रेस ने पूरे राज्य में पुलिस-प्रशासन के पुतले फूंके.

कांग्रेस (Congress) का आरोप है कि एक तरफ सरकार 3 साल से नंदप्रयाग-घाट के लोगों की बात नहीं सुन रही और फिर जो प्रदर्शनकारी अपनी बात कह रहे हैं, उन्हें पीटा जा रहा है.

गैरसैण. एक मार्च को गैरसैण (Garsain) में विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत हुई, तो वहीं विधानसभा से करीब 5 किलोमीटर पहले दिवालिखाल में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया. तभी से लाठीचार्ज को लेकर पूरे राज्य में सियासत गरमाई हुई है. दरअसल, नंदप्रयाग-घाट (Nandprayag-Ghat) इलाके के लोग कई दिन दोनों स्टेशन को जोड़ने वाली सड़क को चौड़ा करने की मांग कर रहे हैं. सोमवार को जब विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत हुई तो प्रदर्शनकारी विधानसभा की तरफ आगे बढ़े. लेकिन इसी दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस-प्रशासन (Police Administration) के बीच हंगामा तेज़ हो गया. फिर पहले प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने पानी की बौछार का इस्तेमाल किया. उसके बाद लाठीचार्ज किया गया.

इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने जहां सोमवार को मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए, वहीं मंगलवार को दूसरे ट्वीट में मुख्यमंत्री ने अपील करते हुए लिखा कि मेरा अपने सभी भाइयों और बहनों से अनुरोध है कि आप पेशेवर आन्दोलन जीवियों के बहकावे में न आएं और आपकी सरकार क्षेत्रों और नागरिकों के विकास के लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि नंदप्रयाग-घाट रोड के साथ राज्य के सभी ब्लॉक मुख्यालय डेढ़ लेन हाइवे से जुड़ेंगे. इसकी घोषणा वो पहले ही कर चुके हैं.

कांग्रेस ने फूंके पुलिस-प्रशासन के पुतले, सरकार पर अनदेखी का आरोप
दिवालीखाल में हुए लाठीचार्ज पर कांग्रेस ने पूरे राज्य में पुलिस-प्रशासन के पुतले फूंके. कांग्रेस का आरोप है कि एक तरफ सरकार 3 साल से नंदप्रयाग-घाट के लोगों की बात नहीं सुन रही और फिर जो प्रदर्शनकारी अपनी बात कह रहे हैं, उन्हें पीटा जा रहा हैं. न्यूज़ 18 से बातचीत में उपनेता सदन और कांग्रेस विधायक करण महारा ने कहा कि प्रदर्शनकारी महिलाओं पर पुलिस के जवानों ने थप्पर मारे, और उस दौरान महिला पुलिसकर्मी नहीं थी. करण माहरा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री इसे प्रोफेशनल आंदोलनकारियों का काम बता रहे हैं, जो कि बेबुनियाद है.पेशेवर आंदोलन जीवियों की करतूत है
वहीं, मंगलवार को राज्य मंत्री और चमोली के प्रभारी धन सिंह रावत का भी बयान सामने आया. धन सिंह का कहना है कि कुछ लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया. और 10-12 दिन में पूरी रिपोर्ट सामने आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी. वहीं, पूरे मामले में सबसे ज़्यादा सवाल उत्तराखंड पुलिस पर खड़े हो रहे हैं कि आखिर लाठीचार्ज की नौबत क्यों आई? इस पर डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि पुलिस पर पथराव किया गया, जिसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. साफ है कि बजट सत्र के पहले ही दिन ग़ैरसैण में हुए लाठीचार्ज ने सियासत को सुलगा दिया है. हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रदर्शनकारियों की नहीं, बल्कि पेशेवर आंदोलन जीवियों की करतूत है.






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