उत्तराखंड

उत्तराखंड सेक्स रेशो: नीति आयोग – 840, राज्य का दावा – 949, कहां से आया इतना अंतर?

[ad_1]

कॉंसेप्ट इमेज.

कॉंसेप्ट इमेज.

Uttarakhand Sex Ratio : उत्तराखंड ने प्रति 1000 बालकों पर 160 कम बालिकाओं के जन्मने के आयोग के नंबरों को गलत बताते हुए कहा है कि इन नंबरों ने राज्य के रिकॉर्ड को 100 से ज़्यादा अंकों के ​फर्क से पिछड़ा दर्शाया. जानिए क्या हैं किसके दावे.

देहरादून. इस साल की नीति आयोग की रिपोर्ट ने जन्मगत लिंग अनुपात को लेकर जो आंकड़े जारी किए, उनमें उत्तराखंड को अंतिम स्थान पर रखा. केंद्रीय संस्था ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स की सूची जारी करते हुए इसमें कहा था कि उत्तराखंड बालक बालिका अनुपात के मामले में देश का सबसे पिछड़ा राज्य है, जहां यह अनुपात प्रति 1000 बालकों पर 840 बालिकाओं का है. पिछले ही हफ्ते आए इन आंकड़ों को अब उत्तराखंड सरकार ने चुनौती दी है और साफ तौर पर इन्हें गलत बताते हुए कहा है कि इस गलती से राज्य की छवि खराब हुई है, जिसके बारे में आयोग को लिखा जाएगा.

पिछले गुरुवार को नीति आयोग द्वारा जारी आंकड़ों पर महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा की नीति आयोग और राज्य के आंकड़ों के बीच काफी फर्क है. उत्तराखंड ने दावा किया है कि उसके डेटा के मुताबिक राज्य में जन्म पर सेक्स रेशो 949 का है यानी नीति आयोग के आंकड़ों से तुलना की जाए तो 109 अंकों का बड़ा अंतर है. नीति आयोग के सेक्स रेशो डेटा के बारे में न्यूज़18 की खबर को आप विस्तार से पढ़ सकते हैं.

ये भी पढ़ें : लगातार चेतावनियों से भी चेता नहीं उत्तराखंड, चाइल्ड सेक्स रेशो में सबसे फिसड्डी राज्य

uttarakhand news, uttarakhand samachar, niti aayog report, sex ratio data, उत्तराखंड न्यूज़, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड लिंगानुपात, नीति आयोग रिपोर्ट

मेनका गांधी ने लोकसभा में 2017 में जो आंकड़े बताए थे, तब उत्तराखंड के कई ज़िले सेक्स रेशो के मामले में पिछड़े हुए थे.

क्या है उत्तराखंड का दावा?

आगे पढ़ें





[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *