उत्तराखंड

उत्तराखंड में दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर

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ओंकारेश्वर मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ में स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. पुरातात्विक सर्वेक्षणों के अनुसार, प्राचीन धारत्तुर परकोटा शैली में निर्मित विश्व का यह एकमात्र मंदिर है, हालांकि पहले काशी विश्वनाथ और सोमनाथ मंदिर में भी धारत्तुर परकोटा शैली उपस्थित थी लेकिन बाद में आक्रमणकारियों ने इन मंदिरों को नष्ट कर दिया था.

धारत्तुर परकोटा शैली में बने होने के चलते इस भव्य मंदिर के गर्भ गृह पर बाहर से 16 कोने हैं और भीतर से 8 कोने हैं. यह मंदिर चारों ओर से प्राचीन भव्य भवनों से घिरा हुआ है, जिनकी छत पठाल निर्मित है. मंदिर में प्रवेश करने के लिए बाहरी भवन पर एक विशाल सिंहद्वार बना हुआ है, जो मंदिर में प्रवेश का एकमात्र मार्ग है.

1300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में सर्दियों के दौरान केदारनाथ और मध्यमहेश्वर की डोली को रखा जाता है और छह माह तक ऊखीमठ में ही इनकी पूजा की जाती है. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, माना जाता है कि इस मंदिर में बाणासुर की बेटी उषा और भगवान कृष्ण के पोते अनिरुद्ध  का विवाह हुआ था.

मंदिर से जुड़ी एक अन्य पौराणिक कथा है कि मंधाता, एक सम्राट और भगवान राम के पूर्वज, जिन्होंने सभी सांसारिक सुखों को त्याग दिया था और एक पैर पर खड़े होकर 12 वर्षों तक तपस्या की थी. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें ओमकार यानी ओम की ध्वनि के रूप में दर्शन दिए और उन्हें आशीर्वाद दिया. तब से मंदिर को ओंकारेश्वर मंदिर के रूप में जाना जाता है.

बता दें कि ओंकारेश्वर अकेला मंदिर न होकर मंदिरों का समूह है. इस समूह में वाराही देवी मंदिर, पंचकेदार लिंग दर्शन मंदिर, पंचकेदार गद्दी स्थल, भैरवनाथ मंदिर, चंडिका मंदिर, हिमवंत केदार वैराग्य पीठ, विवाह वेदिका और अन्य मंदिरों समेत संपूर्ण कोठा भवन शामिल हैं. वहीं ऊखीमठ मंदिर पंच केदारों का गद्दी स्थल भी है, जहां पंच केदारों की दिव्य मूर्तियां एवं शिवलिंग स्थापित हैं.

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