उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड सरकार में वंदना कटारिया बनीं ब्रांड एंबेसडर, 22 महिलाओं को मिला तीलू रौतेली सम्मान

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देहरादून. हॉकी खिलाड़ी ओलंपियन वंदना कटारिया अब उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) के महिला सशक्तिकरण विभाग की ब्रांड एंबेसडर होंगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने रविवार को आयोजित वीरांगना तीलू रौतेली सम्मान (Tilu Rauteli Samman) समारोह में इसकी घोषणा की. उत्तराखंड सरकार का महिला सशक्तिकरण विभाग हर साल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाओं को तीलू रौतेली सम्मान प्रदान करता है.

रविवार को आईआरडीटी ऑडिटोरियम में आयोजित तीलू रौतेली सम्मान समारोह में सीएम पुष्कर धामी और महिला सशक्तिकरण मंत्री रेखा आर्य ने प्रदेश भर में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली 22 महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया. उन्हें सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र और 31 हजार की धनराशि प्रदान की गई. सम्मानित होने वालों में ओलंपियन वंदना कटारिया (Vandana Kataria) का नाम भी शामिल था. हालांकि, इस वक्त टोक्यो में होने के कारण वंदना कटारिया इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाईं. लेकिन, टोक्यो से लौटने के बाद उन्हें यह सम्मान प्रदान किया जाएगा. उत्तराखंड सरकार ने ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के लिए वंदना कटारिया को 25 लाख रुपए देने की भी घोषणा की है.

पुुरस्कार पाने वालों में अल्मोड़ा की कनिका भंडारी भी शामिल थीं. कनिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताइक्वांडो प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी हैं. राष्ट्रीय स्तर पर वो कई पुरस्कार भी जीत चुकी हैं. कनिका का कहना है कि इससे उनका हौसला बढ़ा है.

22 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी किया गया सम्मानित

तीलू रौतेली कार्यक्रम में ही उल्लेखनीय काम करने वाली 22 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित किया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने अगले साल से दोनों कैटागरी में मिलने वाली पुरस्कार राशि को बढ़ाकर 51 हजार रूपए करने की घोषणा की.

अभी तक आंगनबाड़ी वर्कर को 11 हजार और तीलू रौतेली पुरस्कार विजेताओं को 21 हजार की धनराशि दी जाती थी. मुख्यमंत्री ने इस बार इसमें 10-10 हजार रुपये की और बढ़ोतरी की थी.

बहादुरी की मिसाल थी वीरांगना तीलू रौतेली

बता दें कि तीलू रौतेली को गढ़वाल की रानी लक्ष्मीबाई कहा जाता है. मात्र 22 साल की उम्र में तीलू रौतेली ने रणभूमि में कूदकर दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे. तीलू रौतेली का जन्म वर्ष 1663 में गढ़वाल के चौंदकोट क्षेत्र में हुआ था. तीलू रौतेली के पिता भूपसिंह गढ़वाल नरेश की सेना में थे. तीलू रौतेली के दो भाई थे भगतु और पथवा. उन दिनों गढ़वाल नरेश और कत्यूरी शासकों के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था. तीलू रौतेली के पिता और दोनों भाई युद्ध में मारे गए थे. साथ ही उनका मंगेतर भी इस युद्ध में मारा गया था.

ऐसे मुश्किल समय में तीलू रौतेली ने दुश्मन के विरुद्ध कमान संभाली और करीब सात युद्ध लड़ी. उन्होंने अपनी बहादुरी से दुश्मन को बुरी तरह पराजित कर कई गढ़ जीत लिए. लेकिन, युद्ध से लौटते वक्त नदी किनारे रूक कर वीरांगना जब अपनी तलवार जमीन पर रख कर पानी पीने लगी तो बताया जाता है कि वहां पहले से छिपे दुशमन ने पीछे से उन पर तलवार से हमला कर दिया. कहा जाता है कि वीरगति को प्राप्त होने से पहले तीलू रौतेली ने छिपकर वार करने वाले उस सैनिक का भी सर कलम कर दिया था.

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