पिथौरागढ़ की पहाड़ी पर बना है उत्तराखंड का एकलौता कामाख्या देवी मंदिर
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कामाख्या देवी का मंदिर कुसौली गांव में है.
पिथौरागढ़ जिले से 7 किलोमीटर दूर कुसौली गांव में मां कामाख्या देवी का मंदिर (Kamakhya Devi Temple Pithoragarh) स्थित है.
देवभूमि के नाम से मशहूर उत्तराखंड राज्य धार्मिक दृष्टि से दुनियाभर में प्रसिद्ध है. पिथौरागढ़ जिले से 7 किलोमीटर दूर कुसौली गांव में मां कामाख्या देवी का मंदिर (Kamakhya Devi Temple Pithoragarh) स्थित है. यह स्थान सुंदर चोटियों से घिरा हुआ है, जिसके कारण कुसौली में स्थित मां कामाख्या देवी के इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है. यह केंद्र आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ श्रद्धालुओं को प्रकृति से भी जोड़ता है. मदन मोहन शर्मा ने 1972 में देवी की 6 सिरों वाली मूर्ति को जयपुर से यहां लाकर कामाख्या मंदिर में इसकी स्थापना की थी.
अद्भुत सौंदर्य से भरपूर देवी की मूर्ति के दर्शन दूर से ही किए जा सकते हैं. मंदिर में मकर संक्रांति, जन्माष्टमी, शिवरात्रि को विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस मंदिर की विशेषता है कि यह उत्तराखंड में कामाख्या देवी का एकमात्र मंदिर है. मंदिर में नवरात्रि पर 10 दिनों तक अखंड ज्योति जलाने के साथ-साथ विशेष पूजा की जाती है. साथ ही भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है.
यह मंदिर धार्मिक स्थल के साथ-साथ अब पर्यटक स्थल के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है. इस स्थान से पिथौरागढ़ का जो दृश्य दिखता है, वह बहुत ही अद्भुत है. अपने नैसर्गिक सौंदर्य से आज यह मंदिर बाहर से आने वाले पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी खूब लुभा रहा है. माता कामाख्या का दरबार सिर्फ धार्मिक महत्ता में ही नहीं बल्कि पर्यटक के क्षेत्र में भी प्रमुख स्थान रखता है.
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