Uttarakhand News : क्या सच में चटक गया ग्लेशियर? वैज्ञानिकों ने किया चमोली में हवाई सर्वे
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ग्लेशियर के हवाई सर्वे के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर.
क्या उत्तराखंड में एक और प्राकृतिक आपदा की दस्तक सुनाई दी है? वैज्ञानिकों की एक टीम ने ग्लेशियरों का एरियल सर्वे किया तो यह सवाल खड़ा हुआ ही कि आखिर क्यों? जानिए क्या है पूरा मामला.
चमोली. उत्तराखंड इस साल दो बार ग्लेशियर टूटने या फटने की प्राकृतिक आपदाओं को झेल चुका है. इस बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने आशंकाओं को गंभीरता से लेते हुए शनिवार को चमोली ज़िले में ग्लेशियरों का हवाई मुआयना किया. यह एरियल सर्वे ऋषिगंगा नदी के उद्गम पर बने ग्लेशियरों को जानने के लिए किया गया. ताज़ा समाचार के मुताबिक इस सर्वे की रिपोर्ट वैज्ञानिकों की टीम जल्द ही सरकार को सौंपेंगी, हालांकि अब तक यह तारीख तय नहीं हुई है कि रिपोर्ट कब तक सौपी जाएगी.
वास्तव में, वैज्ञानिकों ने यह सर्वे उस सूचना के बाद किया, जिसमें ग्रामीणों ने यह आशंका जताई कि ग्लेशियर में क्रैक देखे गए थे. समाचार एजेंसी की रिपोर्ट की मानें तो इन क्रैक्स की पुष्टि के लिए वैज्ञानिकों ने यह एरियल सर्वे किया है क्योंकि पिछले चार महीनों में उत्तराखंड में दो बार ग्लेशियरों के फटने का कहर टूट चुका है.
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आपको बता दें कि भारत और चीन बॉर्डर के पास स्थित चमोली ज़िले की नीति वैली में सुमना नाम की जगह पर ग्लेशियर फटने की घटना बीते 23 अप्रैल को हुई थी. इससे पहले इसी साल फरवरी में भी एक ग्लेशियर फटा था. चमोली ज़िले के ही जोशीमठ में हुई इस घटना के कारण धौली गंगा नदी में भारी बाढ़ आई थी, जिससे काफी तबाही देखी गई थी. 50 शव बरामद हुए थे और सैकड़ों के लापता हो जाने की खबरें रही थीं.
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