उत्तराखंड

Uttarakhand News : अब साल भर खुलेंगे कॉर्बेट और राजाजी पार्क, क्यों हुआ फैसला और क्या है चुनौती?

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देहरादून. उत्तराखंड में वनों और वन्य जीवों में दिलचस्पी रखने वाले सैलानियों के लिए अच्छी खबर है. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क और राजाजी टाइगर रिज़र्व टूरिस्टों के लिए साल भर खुले रखे जाएंगे. अब तक जो व्यवस्था थी, उसके मुताबिक टाइगर, हाथी, हिरन, तेंदुआ, सांभर जैसे जंगली जानवरों के लिए प्रसिद्व इन दोनों पार्कों को मॉनसून सीज़न के चलते पंद्रह जून से पांच महीने के लिए बंद कर दिया जाता था. दोनों पार्क पंद्रह नवंबर को खोले जाते थे, लेकिन अब दोनों पार्क साल भर पर्यटकों के लिए खुले रहेंगे. फॉरेस्ट मिनिस्टर हरक सिंह रावत ने संबंधित अफसरों के साथ मीटिंग के बाद ये फैसला लिया.

उत्तराखंड सरकार ने पर्यटन गतिविधियों को जारी रखने के उददेश्य से अब इन दोनों पार्कों को सैलानियों के लिए वर्षभर खुला रखने का ऐलान किया है, तो इसके पीछे वास्तव में जो कारण है, वो वाइल्ड लाइफ देखने आने वाले सैलानियों की अच्छी खासी तादाद है. इसके साथ ही, दोनों पार्कों से हज़ारों लोगों की रोजी रोटी भी जुड़ी हुई है. पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण के कारण ये पार्क काफी समय तक पर्यटकों के लिए बंद ही रहे.

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जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क पर्यटकों के लिए अब साल भर खुला रखा जाएगा.

कितनी हुई पर्यटन से कमाई?

कोरोना काल में यहां पर्यटन लॉकडाउन की भेंट चढ़ता रहा, तो आय भी बेहद कम रही. अब वर्ष भर टूरिज्म गतिविधियां संचालित होने से जहां हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं विभाग को भी इनकम होगी. कार्बेट नेशनल पार्क में पिछले एक साल (अप्रैल 2020 से मार्च 2021) के दौरान दो लाख चार हज़ार टूरिस्ट आए, जिनमें दो लाख चार हजार के आसपास भारतीय तो 377 विदेशी टूरिस्ट थे. इनसे कार्बेट पार्क को आठ करोड़ से अधिक की इनकम हुई. अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि यह लॉकडाउन और महामारी के बीच के आंकड़े हैं. इसी तरह, राजाजी टाइगर रिज़र्व में इस दौरान 12 हजार आठ सौ भारतीय, तो मात्र 23 विदेशी टूरिस्ट आए, जिनसे पार्क प्रशासन को 23 लाख की इनकम हुई.

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क्यों मुश्किल होगा यहां साल भर पर्यटन?

कोविड के चलते दोनों पार्क अभी भी टूरिस्टों के लिए बंद चल रहे हैं. हालांकि, दोनों पार्कों को साल भर खुला रखना चुनौतीपूर्ण तो है ही, वाइल्ड लाइफ के लिए भी उपयुक्त नहीं है. मानसून सीज़न में पार्कों के भीतर नदियों के उफान पर आ जाने से जंगल सफारी वाली सड़कें टूट जाती हैं. इसके साथ ही जंगल के रिजुवनेशन और वाइल्ड लाइफ के नेचुरल हैबीटेट पर भी प्रभाव पड़ने की बात जानकार कहते हैं. ये पीरियड अधिकतर वाइल्ड लाइफ स्पीसीज़ के लिए प्रजनन काल होता है. पर्यटकों की लगातार आवाजाही से इसमें व्यवधान का खतरा होने की आशंका है और भविष्य में इससे मनुष्यों और वन्य जीवों के बीच रिश्ता खराब होने को जोखिम होगा.

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