उत्तराखंड : बड़ी कंपनियों, निजी सेक्टर को लाभ देने के आरोप, टेंडर रोककर हाई कोर्ट ने मांगे जवाब
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नैनीताल. राज्य के आंगनवाड़ी सेंटरों में पौष्टिक आहार सप्लाई करने के टेंडर पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. साथ ही अदालत ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार व निदेशालय महिला सशक्तिकरण व बाल विकास विभाग को नोटिस जारी कर 4 हफ़्तों में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. वहीं, हाई कोर्ट ने एक अन्य मामले में रुद्रप्रयाग के एक भूमि मामले में पर्यटन विभाग के टेंडर नोटिस पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार समेत सभी पक्षकारों से जवाब तलब किया है.
केस 1 : क्या है आंगनवाड़ी मामला?
दरअसल 8 अप्रैल को आंगनवाड़ी सेंटर के टेंडर को गुरु चेतना स्वयं सहायता समूह ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया कि बड़ी कंपनियों को फायदा दिलाने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किए गए और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार किया गया. याचिका में कहा गया है कि महिला समूह व ग्रामीणों को टेंडर देना चाहिए था लेकिन सरकार ने सालाना 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त रख दी जो सीधे तौर पर बड़ी कंपनियों को लाभ देने की कोशिश है.
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याचिका में टेंडर को निरस्त करने के साथ सिर्फ महिला समूहों को टेंडर देने की मांग कोर्ट से की गई. संस्था के वकील राहुल कंसल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में महिला समूहों को काम देने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है.
आंगनवाड़ी सेंटरों में राशन संबंधी टेंडर प्रक्रिया पर हाई कोर्ट के रोक लगाने के बारे में एएनआई का ट्वीट.
केस 2 : नगर पंचायत बनाम पर्यटन बोर्ड
साल 2016 में केंद्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत रुद्रप्रयाग ज़िले में केदारनाथ के आसपास व अगस्तमुनि नगर पंचायत में काम हुए. साल 2018 में 12 काम पूरे हो गए लेकिन नगर पंचायत को पार्किंग स्थल समेत अन्य हैंडओवर नहीं हुए. नगर पंचायत के पत्र के बाद 2021 में हस्तांतरण की कार्रवाई फिर शुरू हुई लेकिन आगे नहीं बढ़ी. 17 जुलाई 2021 में उत्तराखंड टूरिज्म बोर्ड ने पार्किंग निजी हाथों में देने का टेंडर निकाल दिया.
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इस टेंडर को चुनौती देने के लिए बात हाई कोर्ट में पहुंची. टूरिज्म बोर्ड के टेंडर को अगस्तमुनि नगर पंचायत ने नियम विरुद्ध बताते हुए हाई कोर्ट में मांग रखी कि इस टेंडर पर रोक लगाई जाए. जस्टिस शरद शर्मा की कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद टेंडर पर रोक लगा दी है और सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का भी आदेश दिया है.
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