UN ऑनलाइन सुनवाई में शामिल हुईं रिद्धिमा, ग्रेटा थनबर्ग की तरह रखा जलवायु परिवर्तन पर भावुक पक्ष
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यूएन चाइल्ड राइट कमेटी ने ऑनलाइन सुनवाई में शामिल हुईं उत्तराखंड की रिद्धिमा पांडेय, ग्रेटा थनबर्ग की तरह रखा जलवायु परिवर्तन पर पक्ष
जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को लेकर संयुक्त राष्ट्र में दुनिया भर के 16 बच्चों द्वारा दाखिल शिकायत पर शक्रवार को यूएन चाइल्ड राइट कमेटी ने ऑनलाइन सुनवाई की. इन 16 बच्चों में एक भारत की रिद्धिमा पांडेय भी सुनवाई में शामिल हुई. रिद्धिमा उत्तराखंड के हरिद्वार की रहने वाली हैं. उन्होंने पर्यावरण के प्रभाव से बच्चों के जीवन पर तुलनात्मक व्याख्या की.
देहरादून. जलवायु परिवर्तन (Climate change) के दुष्प्रभावों को लेकर संयुक्त राष्ट्र में दुनिया भर के 16 बच्चों द्वारा दाखिल शिकायत पर शक्रवार को यूएन चाइल्ड राइट कमेटी ( UN Child Rights Committee ) ने ऑनलाइन सुनवाई की. इन 16 बच्चों में एक भारत की रिद्धिमा पांडेय भी सुनवाई में शामिल हुई. रिद्धिमा उत्तराखंड के हरिद्वार की रहने वाली हैं. वर्चुअल हुई ये सुनवाई भारतीय समय के अनुसार शाम साढ़े सात बजे से दस बजे तक चली. जलवायु परिवर्तन के खतरों का बच्चों के भविष्य पर पड़ रहे दुष्प्रभावों को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाने को लेकर चर्चा हुई.
दुनिया भर में सभी बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए स्वीडन की 16 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के नेत़ृत्व में 2019 में दुनिया भर के 16 बच्चों ने संयुक्त राष्ट्र की चाइल्ड राइट कमेटी के सामने पांच देशों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. ये पांच देश हैं अर्जेंटीना, ब्राजील, फ्रांस, तुर्की और जर्मनी. तब शिकायत दर्ज कराने से पहले ग्रेटा थनबर्ग ने संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट एक्शन समिट में बेहद भावुक भाषण देकर क्लाइमेट चेंज के प्रति दुनिया का ध्यान खींचा था. अपने भावुक भाषण में ग्रेटा थनबर्ग ने वैश्विक नेताओं पर क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए कोई कदम न उठाकर अपनी पीढ़ी को धोखा देने का आरोप लगाया था. इन 16 बच्चों की चिंताओं को सुनने के लिए यू एन चाइल्ड राइट कमेटी द्वारा 28 मई 2021 को भारतीय समयानुसार शाम 7.30 से 10 बजे तक सुनवाई की.
यह पहला मौका है जब समिति ने किसी याचिकाकर्ताओं को अपने सामने विचार रखने का मौका दिया है. सुनवाई का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रभावों और इसके भविष्य के परिणामों को बच्चों से सीधे सुनना था. भारत से शिकायतकर्ता हरिद्वार की रिद्धिमा पांडे ने भी कमेटी के सामने अपने विचार रखे. रिद्धिमा ने बताया कि किस तरह क्लाइमेट चेंज बच्चों की लाइफ को इफैक्ट कर रहा है. उनका आने वाला भविष्य अंधेरे में है. सरकारें अपनी पैसों की भूख के लिए किस तरह नेचर को डिस्टर्ब कर रही हैं. इसे बचाने मैं नाकाम हो रही हैं. 13-साल की रिद्धिमा पांडेय हरिद्वार के बीएम डीएवी स्कूल में 10 वीं की छात्रा है. रिद्धिमा की पिता दिनेश पांडेय भी पर्यावरण कार्यकर्ता हैं और मां विनीता पांडेय उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में सर्विस करती हैं. 2013 की केदारनाथ आपदा ने रिद्धिमा के दिल पर गहरा प्रभाव छोड़ा और उसके बाद से रिद्धिमा पर्यावरण को लेकर बेहद संवेदनशील हो गई.
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