उत्तराखंड

उत्‍तराखण्‍ड से तीन हस्तियां सम्‍मानित

[ad_1]

देहरादून। देश के प्रख्यात पर्यावरणविद डा. अनिल प्रकाश जोशी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज दिल्ली स्थित अपने भवन में पद्मभूषण सम्मान से नवाजा। इस सम्मान के लिए डा. जोशी के नाम की घोषणा बीते वर्ष जनवरी में की गई थी, लेकिन तब कोरोना महामारी के विकराल होने के कारण सामूहिक सम्मान समारोह आयोजित नहीं किया जा सका। डा. जोशी को पर्यावरण और हिमालय के संरक्षण की दिशा में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है। वहीं, डा योगी ऐरन और कल्याण सिंह रावत समेत चार को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा।

डा. अनिल प्रकाश जोशी पर्यावरण की बेहतरी को किए गए अपने कार्यों और प्रयासों के लिए देश-विदेश में जाने जाते हैं। वह हरित कार्यकर्त्ता होने के साथ ही हिमालयन पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन (हेस्को) के संस्थापक भी हैैं। डा. जोशी मुख्य रूप से पारिस्थितिकी तंत्र के विकास और संरक्षण के लिए पारिस्थितिकी समावेशी अर्थव्यवस्था के विचार को लेकर आए। करीब 71 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से पार पाने के लिए डा. जोशी वर्ष 2010 से विभिन्न मंचों से राज्य में सकल पर्यावरणीय उत्पाद (जीईपी) के आकलन की पैरवी करते रहे। जीईपी के महत्व को समझते हुए इसी वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर सरकार ने निर्णय लिया कि राज्य में अब जीडीपी की तर्ज पर जीईपी का आकलन किया जाएगा।

इससे पता चल पाएगा कि राज्य से मिल रही पर्यावरणीय सेवाओं का मूल्य क्या हैं। इनमें किस तरह की बढ़ोतरी या कमी दर्ज की जा रही है। इसके अलावा हिमालय दिवस पर वृहद स्तर पर आयोजन कर डा. जोशी लगातार हिमालय संरक्षण की बात को उठाते रहे हैं। उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि हिमालयी राज्यों की सरकारें, विभिन्न महत्वपूर्ण संस्थाएं व विश्वविद्यालय इस ओर गंभीरता से काम कर रहे हैं।
डा. योगी ऐरन दून अस्पताल समेत विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में सेवाएं दे चुके हैं। डा. योगी अनुभवी प्लास्टिक सर्जन हैं और पर्यावरण के ऐसे प्रेमी हैं कि उन्होंने अपने जीवन की अभी तक की पूरी पूंजी खुद के तैयार किए वन ‘जंगल मंगल’ को बनाने में लगा दिया। चिकित्सा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें देश के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

मैती आंदोलन के जनक कल्याण सिंह रावत को समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। पर्यावरण संरक्षण में उल्लेखनीय योगदान व मैती आंदोलन के जरिये 18 से अधिक राज्यों व कई देशों में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने वाले कल्याण सिंह रावत मैती ने देश और दुनिया में उत्तराखंड का नाम रोशन किया है।
प्रेमचंद शर्मा का जन्म देहरादून जनपद से सटे जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र जौनसार-बावर के चकराता ब्लाक के सीमांत गांव अटाल में वर्ष 1957 में एक किसान परिवार में हुआ था। महज पांचवीं कक्षा तक शिक्षा-दीक्षा प्राप्त करने वाले प्रेमचंद को खेती-किसानी विरासत में मिली थी। खेती और बागवानी के क्षेत्र में देशभर में विख्यात प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा सही मायने में पहाड़ के नायक हैं। जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के दुर्गम इलाकों में विज्ञानी विधि से खेती-बागवानी की अलख जगाने के साथ ही इस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और उपलब्धियों के लिए उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तमाम पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। डा. भूपेंद्र सिंह संजय ने चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनकी कई उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें पद्म सम्मान मिला।



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *