Joshimath – India Times https://indiatimes24x7.com National News Portal Sat, 11 Sep 2021 03:05:22 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://indiatimes24x7.com/wp-content/uploads/2021/12/cropped-india-times-24x7-1-32x32.png Joshimath – India Times https://indiatimes24x7.com 32 32 Earthquake in Uttarakhand : उत्तराखंड में भूकंप के झटके, रिक्टर पैमाने पर 4.6 रही तीव्रता https://indiatimes24x7.com/earthquake-in-uttarakhand-uttarakhand-earthquake-tremors-4-6-on-richter-scale/ https://indiatimes24x7.com/earthquake-in-uttarakhand-uttarakhand-earthquake-tremors-4-6-on-richter-scale/#respond Sat, 11 Sep 2021 02:01:28 +0000 https://indiatimes24x7.com/earthquake-in-uttarakhand-%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ad%e0%a5%82%e0%a4%95%e0%a4%82%e0%a4%aa-%e0%a4%95/

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Earthquake in Uttarakhand: उत्तराखंड में जोशीमठ से 31 किलोमीटर पश्चिम दक्षिण पश्चिम (WSW) में आज सुबह 5:58 बजे रिक्टर स्केल पर 4.6 तीव्रता का भूकंप आया है. हालांकि अभी तक भूकंप की वजह से किसी जानमाल की सूचना नहीं है.

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Chamoli Glacier Burst: ITBP जवान के ‘तेरी मिट्टी में मैं मिल जावां, गुल बनके मैं खिल जावां’ गीत ने भरा जोश– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/chamoli-glacier-burst-itbp-%e0%a4%9c%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%a4%e0%a5%87%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%9f%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-glacier-burst-itbp-%e0%a4%9c%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%a4%e0%a5%87%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%9f%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87/#respond Sat, 13 Feb 2021 18:21:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=437

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नई दिल्ली.  उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) जिला के जोशीमठ में ग्लेशियर फटने के पास से अचानक ऋषि गंगा और धौली गंगा में पानी का बहाव बढ़ गया था जिसने आसपास के गांवों में भारी तबाही मचाई. इसमें सैकड़ों लोग लापता हो गए. आइटीबीपी (ITBP) और दूसरी तमाम एजेंसियां लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है. ऐसे में आईटीबीपी के जवानों की हौसला अफजाई के लिए आइटीबीपी के जवान अर्जुन खेरियाल ने जवानों को एक गीत समर्पित किया है.

भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवान अर्जुन खेरियाल ने उत्तराखंड (Uttarakhand) की तपोवन त्रासदी (Tapovan Disaster) के बाद बचाव, खोज और राहत अभियान में लगे जवानों को एक गीत समर्पित किया है. ‘तेरी मिट्टी में मैं मिल जावां, गुल बनके मैं खिल जावां, इतनी-सी है दिल की आरजू’ के इस स्वरूप में अर्जुन ने आईटीबीपी के जवानों को उनके त्वरित बचाव कार्य के लिए और उनकी मातृभूमि भक्ति के लिए उनकी प्रशंसा की है.

ऋषि गंगा ((Rishi Ganga) और धौली गंगा (Dhauli Ganga) में 7 फरवरी, 2021 को आए जल प्रलय में आईटीबीपी के जवानों ने उसी दिन 12 लोगों को एक दब गई सुरंग से सही सलामत बाहर निकाला था. एक अन्य सुरंग में बचाव कार्य जारी है. कई सुदूर गांवों में आईटीबीपी द्वारा राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है.

भारत चीन सीमा पर तैनात ‘सेंटिंनेल्स ऑफ द हिमालयाज’ और ऐसी आपदा की परिस्थितियों में फर्स्ट रेस्पोंडर के तौर पर जाने जानेवाली आईटीबीपी ने हिमालय क्षेत्र (Himaliyan Region) में आपदा बचाव अभियानों में पिछले दशकों में अद्वितीय कार्य किए हैं.



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Chamoli Glacier Burst: चमोली में 3 दिन फिर होगी बारिश और बर्फबारी, रेस्क्यू अभियान होगा प्रभावित!– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/chamoli-glacier-burst-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-3-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-%e0%a4%ab%e0%a4%bf%e0%a4%b0-%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-glacier-burst-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-3-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-%e0%a4%ab%e0%a4%bf%e0%a4%b0-%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80/#respond Fri, 12 Feb 2021 18:48:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=417

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नई दिल्ली. उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली में ग्लेशियर फटने (Glacier Burst) से मची तबाही के बाद से रेस्क्यू अभियान लगातार जारी है. तमाम एजेंसियां लापता लोगों की तलाश करने में जुटी हुई हैं. ऐसे में मौसम के खराब होने की वजह से भी रेस्क्यू अभियान प्रभावित हो रहा है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) की ओर से कमजोर वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से 12 से ‌16 फरवरी तक का मौसम पूर्वानुमान लगाया है.  उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) जिले और उत्तरी हिस्सों में 14 से 16 फरवरी तक बारिश और और बर्फबारी होने का पूर्वानुमान जताया है.

चमोली जिले के तपोवन (Tapovan), जोशीमठ (Joshimath) और उत्तराखंड के उत्तरी हिस्सों में यह बारिश (Rainfall) और बर्फबारी (Snowfall) रेस्क्यू अभियान के लिए परेशानी का सबब बन सकती है. चमोली जिला के लिए मौसम पूर्वानुमान जताते हुए बताया गया है कि 12 और 13 फरवरी यानी आज और कल मौसम शुष्क रहेगा. हालांकि 13 फरवरी को चमोली जिले के तपोवन और जोशीमठ के हिस्सों में बादल छाए रहने की संभावना जताई है. इस दिन अधिकतम तापमान 18 डिग्री और न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किए जाने की संभावना जताई है.

मौसम विभाग के मुताबिक 14 फरवरी को हल्की बारिश और बर्फबारी होगी. अधिकतम तापमान 17 डिग्री तो न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस तक रहने का अनुमान है. वहीं, 15 और 16 फरवरी को भी हल्की बारिश और बर्फबारी होगी. जिसकी वजह से अधिकतम तापमान इन दोनों दिनों में 16 डिग्री तो न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है. मौसम विभाग के मुताबिक हर रोज होने वाली हल्की बारिश को 1 सेंटीमीटर और बर्फबारी को 10 सेंटीमीटर तक होने के पूर्वानुमान लगाए गए हैं.



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Uttarakhand Glacier Burst: चमोली जिले में 2 दिन फिर होगी बारिश व बर्फबारी, रेस्क्यू ऑपरेशन पर पड़ेगी भारी!– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-glacier-burst-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-2-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-%e0%a4%ab%e0%a4%bf%e0%a4%b0/ https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-glacier-burst-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-2-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-%e0%a4%ab%e0%a4%bf%e0%a4%b0/#respond Fri, 12 Feb 2021 01:32:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=427

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नई दिल्ली. उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर फटने से मची तबाही के बाद अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. भारी तबाही के बीच 204 लोग लापता थे. लेकिन रेस्क्यू टीम ने 34 लोग के शव बरामद कर लिए हैं. लेकिन अभी भी 170 लोग लापता हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी तमाम एजेंसियां लापता लोगों को तलाशने में जुटी हुई हैं.

उधर, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department) ने 14 और 15 फरवरी के मौसम पूर्वानुमान को जारी करते हुए कहा है कि 2 दिनों में उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है. इसको लेकर मौसम विभाग ने एडवाइजरी जारी की है. मौसम विज्ञान विभाग की ओर से पूर्वानुमान जारी करते हुए यह भी कहा है कि वेस्टर्न डिस्टरबेंस के चलते उत्तराखंड के चमोली जिले के कई क्षेत्रों में 14 और 15 फरवरी को बारिश और बर्फबारी होगी.

13 फरवरी तक मौसम शुष्क रहेगा

उत्तराखंड के उत्तरी क्षेत्र के हिस्सों में होने वाली बारिश और बर्फबारी से रेस्क्यू ऑपरेशन भी प्रभावित हो सकता है. लेकिन 11 से 13 फरवरी तक वहां का मौसम शुष्क रहेगा. इन दिन 3 दिन बारिश और बर्फबारी नहीं होगी.

न्यूनतम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना 

अनुमान जताया है कि मौसम विभाग के मुताबिक चमोली जिले के तपोवन, जोशीमठ क्षेत्र में 11 से 13 फरवरी तक मौसम साफ रहने की संभावना जताई है‌. इस दिन इन 3 दिनों तक अधिकतम तापमान 17 डिग्री और न्यूनतम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना जताई गई है. हालांकि 13 फरवरी को न्यूनतम तापमान 1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़कर 4 डिग्री सेल्सियस पहुंच सकता है.

बारिश 1 सेंटीमीटर और बर्फबारी 10 सेंटीमीटर तक होने की संभावना 

इसके अलावा 14 फरवरी को बारिश 1 सेंटीमीटर और बर्फबारी 10 सेंटीमीटर तक होने की संभावना जताई है. अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस होने की संभावना है. 15 फरवरी को भी अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस रहने की प्रबल संभावना है.



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Uttarakhand Glacier Burst: चमोली में और ना आ जाए आफत, प्रशासन अलर्ट, बड़ा बचाव दल तैयार!– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-glacier-burst-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%86-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%8f-%e0%a4%86%e0%a4%ab/ https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-glacier-burst-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%86-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%8f-%e0%a4%86%e0%a4%ab/#respond Fri, 12 Feb 2021 01:31:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=459

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नई दिल्‍ली. उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) में आई आपदा के बाद से जहां रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है. वहीं अब धौलीगंगा (Dhauli Ganga) और ऋषि गंगा (Rishi Ganga) में एक बार फिर से पानी की बढ़ोतरी होने से कुछ परेशानी होने की संभावना जताई जा रही हैं.

इस  के चलते रेस्क्यू अभियान में जुटी एजेंसियों ने अपनी आगे की तैयारी भी कर ली हैं. एक बड़े बचाव दल को स्टैंडबाई मोड पर रखा गया है जो कि जरूरत पड़ने के साथ ही तुरंत रेस्क्यू स्पोर्ट पर रवाना कर दिया जाएगा.

धौलीगंगा और ऋषि गंगा में पानी का बहाव शुरू होने से आसपास के लोगों को चिंता सताने लगी है. रैणी गांव और दूसरे आसपास के गांवों में अभी भी दहशत का माहौल बना हुआ है. लेकिन बचाव मेें जुटी सभी सरकारी एजेंसियां पूरी तरह से सतर्क हैं. वह जहां पहले ही बचाव अभियान में जुटी हुई है वही नया दल भी स्टैंडबाई मोड पर रखा हुआ है.

रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन काे स्‍टैंडबाई मोड़ में रखे दल में रखे हैं यह सभी      

जानकारी के मुताबिक आइटीबीपी के 400 जवानों को मातली, महीडाण्डा, देहरादून में स्टैंडबाई रखा हुआ है जिनको जरूरत पड़ने पर तुरंत रेस्क्यू अभियान के लिए भेजा जा सके. इसके अलावा 220 जवान आर्मी और जोशीमठ पर 3 आर्मी चॉपर भी स्टैंडबाई हैं. इसके अतिरिक्त हेल्थ विभाग की 4 मेडिकल टीम व 5 एंबुलेंस और फायर विभाग के 39 फायरमैन भी प्रशासन की ओर से स्टैंडबाई रखे हुए हैं.

170 लापता लोगों का अभी पता नहीं चल सका  

इस बीच देखा जाए तो देहरादून के राज्य आपातकालीन परीक्षण केंद्र की ओर से एक डिटेल भी जारी की गई है जिसमें आपदा आने से लापता 204 लोगों में से 34 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं जिनमें से 10 की शिनाख्त की जा चुकी है 24 अभी भी अज्ञात हैं. प्रशासन इन सभी का पता लगाने में जुटा हुआ है. वही 170 लापता लोगों का अभी पता नहीं चल सका है. वहीं, धौलीगंगा और ऋषि गंगा में पानी की बढ़ोतरी अब एक बार फिर से शुरू हो गई है.

प्रशासन का मानना है कि टनल में अभी भी 25 से 35 लोग फंसे हैं. प्रशासन इन सभी को निकालने की पुरजोर कोशिश में है. बताया जाता है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी तक आईटीबीपी के 425 जवान, एसडीआरएफ के 100, एनडीआरएफ के 176, एसएसबी की एक टीम, आर्मी के 124  जिसमें नेवी के 16 व एयर फोर्स के दो हेलीकॉप्टर, 3 आर्मी मेडिकल टीम में दो मेडिकल टीम, दो एंबुलेंस, हेल्थ विभाग की चार मेडिकल टीम जिनमें एक रैणी गांव, तीन तपोवन और चार एंबुलेंस स्वास्थ्य विभाग की और 5 एंबुलेंस 108 की एंबुलेंस आदि सभी रेस्क्यू अभियान में जुटी हुई हैं. वहीं, 26 सिविल पुलिस कर्मी, 16 फायरमैन के अलावा राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और आईटीडीए के भी स्टाफ रेस्क्यू अभियान में जुटे हुए हैं.



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चमोली बाढ़: पर्यावरणविद रवि चोपड़ा का खुलासा, 2013 केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट को किया था आगाह– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a2%e0%a4%bc-%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a4%a3%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a6-%e0%a4%b0/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a2%e0%a4%bc-%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a4%a3%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a6-%e0%a4%b0/#respond Fri, 12 Feb 2021 00:51:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=497

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नई दिल्‍ली. उत्‍तराखंड (Uttrakhand) के चमोली (Chamoli) जिले में आई बाढ़ ने 100 से ज्‍यादा जिंदगियां लील ली हैं. हालांकि इस हादसे के बाद अब उत्‍तराखंड स्थित पर्यावरणविद और 2013 में विनाशकारी केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की कमेटी के अध्‍यक्ष डॉ. रवि चोपड़ा ने बड़ा खुलासा किया है. उनका कहना है कि 2013 की महाप्रलय के बाद  सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में उन्‍होंने आपदाओं को लेकर आगाह किया था. उन्‍होंने उत्‍तराखंड की नदियों (Rivers in Uttarakhand) पर बनाए जा रहे बांधों को तत्‍काल रद्द करने की संस्‍तुति की थी. साथ ही आगाह किया था कि अगर बांध (Dam) बनते रहे तो आपदाएं आती रहेंगी.

इतना ही नहीं डॉ. रवि चोपड़ा ने न्‍यूज 18 से बातचीत में चमोली हादसे (Chamoli flood) को लेकर भी अहम जानकारियां दी हैं. साथ ही कहा है कि 2013 की घटना के बाद अगर सुप्रीम कोर्ट में दी गई रिपोर्ट पर काम हुआ होता और उत्‍तराखंड सरकार ने कदम उठाए होते तो चमोली, जोशीमठ (Joshi Math), तपोवन (Tapovan) में हुए इस हादसे से बचा जा सकता था.

2013 उत्‍तराखंड जल प्रलय के बाद ही जता दी थी अनहोनी की आशंका

रवि चोपड़ा बताते हैं कि केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) के बाद कमेटी गठित करके सुप्रीम कोर्ट ने तीन सवालों के जवाब मांगे थे. पहला सवाल था क्‍या बांधों के निर्माण के कारण उत्‍तराखंड राज्‍य में नुकसान हुआ है ? तब शोध के बाद कमेटी की ये राय थी कि हां, बांधों से कई पर्यावरणीय नुकसान हुए हैं. इस दौरान कमेटी ने सबूतों के साथ ब्‍यौरा दिया. दूसरा सवाल था कि क्‍या उत्‍तराखंड के बांधों की वजह से बाढ़ आई है, उसका नुकसान बड़ा है या नहीं ? हमने चार बांधों का अध्‍यययन करके यह सिद्ध किया कि बांधों की वजह से नुकसान बढ़ा है. बांध न होते तो इतनी क्षति न होती. ये चार बांध थे मंदाकिनी नदी पर बना फाटा ब्‍यूंग, मंदाकिनी नदी पर ही बना सिंघोली भटवारी, अलकनंदा पर विष्‍णुप्रयाग प्रोजेक्‍ट और अलकनंदा पर ही हाइड्रो पावर प्रोजेक्‍ट. तीसरा सवाल यह था कि वाइल्‍ड लाइफ इंस्‍टीट्यूट ने 2012 में संस्‍तुति की थी कि 24 बांध को अलकनंदा और भागीरथी बेसिन में रद्द कर दिया जाए. कोर्ट ने हमसे कहा कि आप इसका अध्‍ययन करके बताएं कि क्‍या करना चाहिए. तब  हमने अध्‍ययन किया जो हमारी संस्‍तुति थी कि 23 बांध तो पूरी तरह रद्द कर देने चाहिए जबकि एक बांध के डिजाइन में भारी संशोधन की जरूरत है.

2013 में केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया था. इस आपदा में 4500 लोगों की जान गई थी.

2013 में केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया था. इस आपदा में 4500 लोगों की जान गई थी.

इनके अलावा हमारे शोध से जो नई और महत्‍वपूर्ण बात निकली वह यह थी कि उच्‍च हिमालयी क्षेत्र में जहां पर घाटियों का तल 2000 मीटर से नीचे है. जैसे जोशीमठ के आगे वाला हिस्‍सा, उन घाटियों में जिन्‍हें हम पैरा ग्‍लेशियर जोन (Para Glacier Zone) कहते हैं. ये वे इलाके हैं जहां पर ग्‍लेशियर पीछे हटे थे और हटते समय भारी मलबा, चट्टानें, बड़े-बड़े पत्‍थर छोड़ गए थे.  जब भी इन इलाकों में भारी वर्षा होती है, बाढ़ आती है तो वो छोटी-छोटी नदियां जैसे ये रिषीगंगा थी, सब मलबे को उठाती हैं और नीचे चलती हैं. बाढ़ के रास्‍ते  में अगर कोई रुकावट आती है तो वे उस रुकावट को नष्‍ट कर देती हैं.

जैसे ही ये आगे बढ़ती हैं तो और शक्तिशाली हो जाती हैं और रुकावटों को तोड़ती जाती हैं. ये तब तक चलता है जब तक कि नदी का तल घट न जाए. यही चीज आपने चमोली में हाल ही में हुए हादसे में देखी है. ये बांध नहीं बनने चाहिए थे.

ग्‍लेशियर फटा है या नहीं, क्‍या है सच्‍चाई

डॉ. चोपड़ा कहते हैं कि इसी सवाल पर काम चल रहा है. यह कहना कि ग्‍लेशियर फटा (Glacier Burst) है या बादल फटा है, यह कहना इतना आसान नहीं है. इसको लेकर शोध चल रहा है. हालांकि अभी तक जो जानकारी आई है उसके अनुसार या तो ग्‍लेशियर का कोई हिस्‍सा टूटा है ऐसी संभावना दिखाई दे रही है. हालांकि ग्‍लेशियर लेक की दीवार नहीं टूटी है. या फिर पिछले एक हफ्ते में यहां बर्फ पड़ी थी और बर्फ पिघली क्‍योंकि 5 और 6 को आसमान साफ हो गया था. ऐसे इलाकों में धूप भी तेज पड़ती है. ऐसे में जैसे ही स्‍नो मेल्टिंग हुई और पानी नीचे खिसकना शुरू करता है तो वह एक एवलांच का रूप लेता है. ऐसे में दो संभावनाएं हैं.

सरकारों से नहीं आशा, 2013 की भयंकर आपदा के बाद भी नहीं उठाए कदम

रवि चोपड़ा का कहना है कि देखिए 2013 की आपदा तो इस आपदा से काफी भयंकर थी. जनहानि और मालहानि कई गुना ज्‍यादा थी लेकिन जब सरकार ने उस आपदा के बाद ही कोई खास कदम नहीं उठाया तो इसके बाद सरकार कोई सकारात्‍मक कदम उठाएगी ऐसी मुझे आशा नहीं है. बहुत जरूरी है कि जब तक समाज एकजुट होकर सरकार के ऊपर दवाब नहीं डालेगा, जब तक कोर्ट पर्यावरण (Environment) का संज्ञान नहीं लेंगे तब तक कठिन है कि सरकार अपने बल पर कुछ कर दे.

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Chamoli Glacier Burst: ITBP जवानों ने तपोवन सुरंग की साफ, 120 मीटर लंबी दुरी तक सुरंग में फंसा था कीचड़/मलबा, रात दिन चला रेस्क्यू ऑपरेशन– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/chamoli-glacier-burst-itbp-%e0%a4%9c%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%82%e0%a4%97/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-glacier-burst-itbp-%e0%a4%9c%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%82%e0%a4%97/#respond Wed, 10 Feb 2021 15:57:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=368

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नई दिल्‍ली. रविवार सुबह चमोली में ग्लेशियर फटने (Glacier Burst) से ऋषि गंगा डैम प्रोजेक्ट के बहने और आसपास आई भीषण बाढ़ से कई गांवों में तबाही का मंजर मच गया. इसके बाद से आपदा में फंसे सैकड़ों लोगों को बचाने के लिए वहां पर रेस्क्यू ऑपरेशन दिन रात चल रहा है.

इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) के साथ-साथ एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF), सेना, वायु, नेवी, स्थानीय पुलिस और दूसरी एजेंसी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं. तपोवन टनल में फंसे मलबे व कीचड़ के पहाड़ को साफ करने में  आइटीबीपी जवान कामयाब हो गये हैं. जवानों ने तपोवन सुरंग को साफ कर दिया है.

सुरंग के प्रवेश द्वार को पूरी तरीके से साफ कर दिया गया है. रात भर चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान  120 मीटर लंबी सुरंग में फंसे मलबे और कीचड़ को पूरी तरीके से अब साफ कर दिया है. आइटीबीपी के जवान अब टनल के भीतर सफाई होने के बाद अगले किसी कार्य को करने के लिए तैयारी में है.

आइटीबीपी की ओर से एक वीडियो फुटेज भी जारी किया गया है जिसमें ग्लेशियर फटने से अचानक आई भीषण बाढ़ में तपोवन (Tapovan) के पास सुरंग में बचाव अभियान में जुटे आइटीबीपी जवान किस तरीके से 12 फंसे हुए लोगों को बचा रहे हैं. इन सभी रेस्क्यू किए गए लोगों को इलाज के लिए आइटीबीपी की पहली बटालियन जोशीमठ अस्पताल (Joshimath Hospital) में रखा गया है. इन सभी का वहां पर इलाज चल रहा है.

आइटीबीपी की ओर से वह फुटेज भी जारी किए गए हैं जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) आइटीबीपी की पहली बटालियन जोशीमठ अस्पताल का दौरा कर रहे हैं. जवानों ने सुरंग में फंसे 12 मजदूरों को वहां से निकाला था. इन सभी को जोशीमठ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इन सभी का वहां पर इलाज चल रहा है और वह ठीक भी हो रहे हैं.



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चमोली के ऊंचाई वाले इलाकों में मिलती है सबसे कीमती कीड़ा जड़ी, इसके लिए ग्‍लेशियरों को खोद डालते हैं लोग– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%8a%e0%a4%82%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%88-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%87%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%95%e0%a5%8b/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%8a%e0%a4%82%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%88-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%87%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%95%e0%a5%8b/#respond Wed, 10 Feb 2021 09:46:18 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=537

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नई दिल्‍ली. उत्‍तराखंड के चमोली जिले में ग्‍लेशियर फटने (Chamoli Glacier Burst) की घटना ने तबाही मचा दी है. इसमें 150 से ज्‍यादा लोगों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि, जिस इलाके में यह घटना हुई है, वहां दुनिया की सबसे कीमती जड़ी-बूटी मिलती है. विशेषज्ञों का कहना है कि बेहद कीमती कीड़ा जड़ी (Worm Herb) को पाने के लिए लोग ग्‍लेशियरों (Glaciers) तक पहुंच जाते हैं और वहां की बर्फ को खोद डालते हैं. प्रकृति के साथ हो रहे इस खिलवाड़ का ही मिलाजुला असर आपदा (Disaster) के रूप में दिखाई देता है. फिलहाल आपको बताते हैं क्‍या होती है कीड़ा जड़ी.

यह जड़ी-बूटी बहुत ही कीमती होती है और मुख्‍यतया हिमालय (Himalaya) के दुर्गम इलाकों में मिलती है. इसे हिमालयन वायग्रा या यार्सागुम्‍बा भी कहा जाता है. यह एक फफूंद होती है जो पहाड़ों के 3500 मीटर ऊंचाई पर मिलती है, जहां ट्रीलाइन ख़त्म हो जाती है यानी जहां पेड़ उगने बंद हो जाते हैं. इसके बनने की पूरी प्रक्रिया एक कीट के द्वारा होती है. कैटरपिलर का प्यूपा लगभग 5 साल तक हिमालय और तिब्बत के पठारों में दबा हुआ रहता है. इसकी सूंडी बनने के दौरान इस पर ओफियोकार्डिसिपिटैसियस वंश की फफूंदी लग जाती है जो धीरे-धीरे इसके शरीर में प्रवेश कर जाती है. बाद में यह उस कीट की सूंडी से ऊर्जा लेती है और कीट के सिर से बाहर निकलती है. यह किसी कीड़े की तरह ही दिखाई देती है. इसी लिए इसका लोकप्रिय नाम कीड़ा जड़ी है. इस तरह इसके बनने की प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी है. यही वजह है कि यह हर जगह नहीं मिलती.

uttarakhand flood, glaciers उत्‍तराखंड के आपदा ग्रस्‍त क्षेत्र में पाई जाती है ये दुर्लभ जड़ी बूटी कीड़ा जड़ी. photo-you tube

उत्‍तराखंड के आपदा ग्रस्‍त क्षेत्र में पाई जाती है ये दुर्लभ जड़ी बूटी कीड़ा जड़ी. photo-you tube

इसलिए है ये फायदेमंद
उत्‍तराखंड में ईको टास्क फोर्स के पूर्व कमांडेंट ऑफिसर कर्नल हरिराज सिंह राणा बताते हैं कि कीड़ा जड़ी का इस्‍तेमाल दवा के रूप में होता है. इसमें प्रोटीन, पेपटाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को ताक़त देते हैं. अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर स्‍तर पर यह खिलाड़ियों के लिए इस्‍तेमाल की जाती है. खास बात है कि यह डोपिंग टेस्ट में यह पकड़ी भी नहीं जाती है. किडनी, फेफड़ों और गुर्दे को मजबूत करने, शुक्राणु उत्पादन में वृद्धि और रक्त उत्पादन में वृद्धि, ऊर्जा और जीवन शक्ति को बढ़ाने, रक्तचाप को रोकने में भी इसे बेहद शक्तिशाली और प्रभावी दवा माना जाता है.

50 लाख रुपये प्रति किलो है इसकी कीमत

राणा बताते हैं कि इसकी कीमत अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में काफी ज्‍यादा है. आजकल यह करीब 50 लाख रुपये किलो के हिसाब से बिक रही है. यही वजह है कि लोग इसे पाने के लिए बर्फ के पहाड़ों को खोदने तक से बाज नहीं आते. जिसकी वजह से प्रकृति को काफी नुकसान पहुंचता है. बर्फ में आठ-आठ इंच तक छेद होने से बर्फ पिघलने की प्रक्रिया जल्‍दी शुरू हो जाती है जो बाद में तबाही लेकर आती है.

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