indo-china border – India Times https://indiatimes24x7.com National News Portal Thu, 28 Oct 2021 00:39:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://indiatimes24x7.com/wp-content/uploads/2021/12/cropped-india-times-24x7-1-32x32.png indo-china border – India Times https://indiatimes24x7.com 32 32 India-China Border : 1962 से बेदखल ग्रामीण जाना चाहते हैं अपने गांव, उत्तराखंड पुलिस बना रही विकास मेलों की रिपोर्ट https://indiatimes24x7.com/india-china-border-since-1962-the-evicted-villagers-want-to-go-to-their-village-uttarakhand-police-is-preparing-the-report-of-development-fairs/ https://indiatimes24x7.com/india-china-border-since-1962-the-evicted-villagers-want-to-go-to-their-village-uttarakhand-police-is-preparing-the-report-of-development-fairs/#respond Wed, 27 Oct 2021 07:55:15 +0000 https://indiatimes24x7.com/india-china-border-1962-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%a6%e0%a4%96%e0%a4%b2-%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%a3-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%be/

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देहरादून. 1962 में हुए भारत चीन युद्ध के बाद उत्तरकाशी के दो गांवों नीलांग और जादू के ग्रामीणों को पैतृक गांवों से दूर रखा गया था. तबसे आलम यह है कि आज तक इन लोगों को उनके गांव जाने की इजाज़त नहीं है. केवल पूजा के लिए इन ग्रामीणों को जाने की अनुमति दी जाती है, लेकिन उसके लिए भी इन्हें पहले से आवेदन देकर परमिशन लेनी पड़ती है. अब उम्मीद जगी है कि ये ग्रामीण अपने बंजर पड़े पैतृक गांवों में जाएंगे और किसी तरह ये गांव आबाद हो सकेंगे. जानिए कैसे.

दरअसल, बीते साल हुई देश की डीजीपी मीट में एक योजना तैयार हुई थी, जिसमें पीएम ने देश के इंडो-चाइना से जुड़े इलाकों के गांवों में विकास मेले लगाने के निर्देश पुलिस को दिए थे. इन मेलों का मकसद बॉर्डर इलाकों के गांवों का विकास करना और इनकी समस्याओं को हर स्तर पर दूर करना रखा गया था ताकि आने वाले समय में ये ग्रामीण एक प्रहरी के रूप में भी काम करें. अब उत्तराखंड में बरसों बाद अपने पैतृक गांव पहुंचकर ये लोग आईटीबीपी के बाद सेकंड प्रहरी की तरह काम करते हुए आबाद हो सकते हैं.

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भारत चीन बॉर्डर से जुड़े गांवों में उत्तराखंड पुलिस विकास मेलों का आयोजन कर रिपोर्ट तैयार कर रही है.

क्यों हुए विकास मेले और कैसे?
डीजीपी मीट के निर्देशों के अनुसार इन ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर सभी राज्यों को एक रिपोर्ट तैयार कर केंद्र को सौंपनी थी, जिससे राज्य और केंद्र मिलकर काम कर सकें. अब राज्य के इंडो-चाइना बॉर्डर से जुड़े तीन ज़िलों में उत्तराखंड पुलिस ने विकास मेलों का आयोजन किया, जिसमें पिथौरागढ़ के गुंजी, चमोली के मलारी और उत्तरकाशी के हर्षिल में मेले लगाए गए.

इन मेलों में उत्तरकाशी बॉर्डर से जुड़े नीलांग और जादू के ग्रामीणों समेत स्थानीय लोगों की पहली मांग यही रही कि उनको अपने पैतृक गांव तक जाने की परमिशन मिले, जिससे वो बॉर्डर इलाकों में सेकंड प्रहरियों की तरह काम कर सकें. गढ़वाल के डीआईजी केएस नगन्याल का कहना है कि सभी ज़िलों में विकास मेले लगवाए गए. इनसे स्थानीय लोगों में उत्साह भी दिखा और उन्होंने अपनी कुछ समस्याएं भी पुलिस के सामने रखीं. नगन्याल के मुताबिक डिटेल रिपोर्ट बना कर आने वाली डीजीपी मीट में रखी जाएगी.

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Glacier Burst: आपदा में मलारी ब्रिज टूटने से बढ़ी चिंता, चीन की सीमा से जुड़ा है यह इलाका– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/glacier-burst-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%9c-%e0%a4%9f%e0%a5%82%e0%a4%9f/ https://indiatimes24x7.com/glacier-burst-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%9c-%e0%a4%9f%e0%a5%82%e0%a4%9f/#respond Wed, 10 Feb 2021 09:05:01 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=539

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नई दिल्‍ली. उत्‍तराखंड के चमोली जिले में ग्‍लेशियर फटने (Glacier Burst) से आई बाढ़ (Flood) ने तबाही मचा दी है. अभी तक इलाके से 15 शव बरामद हो चुके हैं, जबकि करीब 150 लोग अभी भी लापता हैं. हालांकि, मौत और भय के इस तांडव के अलावा इस घटना ने भारत (India) के लिए एक और बड़ी चिंता खड़ी कर दी है. उत्‍तराखंड के जिस इलाके में यह घटना घटी है, वह देश का बेहद ही संवेदनशील इलाका है. इस घटना में मलारी गांव (Malari Village) का ब्रिज टूटने से भारत की चिंता दोगुनी हो गई है.

विशेषज्ञों का कहना है कि उत्‍तराखंड का यह इलाका दो मामलों में बेहद संवेदनशील है. पहला प्राकृतिक रूप से और दूसरा सेना और बॉर्डर एरिया (Border Area) होने की वजह से. 2013 में केदारनाथ आपदा पर ‘हैवॉक इन हेवेन’ नाम से किताब लिखने वाले उत्‍तराखंड निवासी वरिष्‍ठ पत्रकार वेद विलास उनियाल कहते हैं कि चमोली जिले का मलारी गांव इस मामले में बेहद अहम है. मलारी गांव से करीब 60-70 किलोमीटर बाद भारत की तिब्‍बत से सीमा (Indo-Tibetan Border) लगती है. मलारी नीति वैली में है जो चीनी सीमा (Chinese Border) से जुड़ी है. वहीं, नीति पास (Niti Pass) दक्षिण तिब्‍बत के साथ व्‍यापार का प्रमुख प्राचीन मार्ग रहा है. चिंता की बात है कि मलारी जाने का प्रमुख ब्रिज इस हादसे में टूट गया है.

उनियाल कहते हैं कि मलारी के आसपास बसे सात-आठ गांव और हैं, लेकिन वहां तक जाने के लिए इस ब्रिज का ही इस्तेमाल होता रहा है. यहां तक कि भारत की सेना भी इस ब्रिज का इस्‍तेमाल करती है. ऐसे में इसके टूटने से होने वाली असुविधा सैन्‍य और सामरिक द्रष्टि से भी चिंता पैदा करने वाली है.

उत्‍तराखंड में जहां ग्‍लेशियर फटा है वहां से कुछ दूरी पर इंडो-तिब्‍बतन बॉर्डर लगता है.

उत्‍तराखंड में जहां ग्‍लेशियर फटा है वहां से कुछ दूरी पर इंडो-तिब्‍बतन बॉर्डर लगता है.

वह बताते हैं कि पिछले साल कोरोना और उसके बाद चीन के साथ भारत के संबंधों में आई हलचल के बाद सीमा क्षेत्र पर किसी भी तरह की अव्‍यवस्‍था ठीक नहीं है. उत्‍तराखंड के और भी इलाके हैं जैसे उत्‍तरकाशी आदि जहां इस तरह की प्राकृतिक आपदा या घटनाएं बहुतायत में होती हैं. लिहाजा इन संवेदनशील इलाकों में बहुत ज्‍यादा ध्‍यान देने की जरूरत है.

चमोली के ऊंचाई वाले इलाकों में मिलती है सबसे कीमती कीड़ा जड़ी, इसके लिए ग्‍लेशियरों को खोद डालते हैं लोग

इलाके से बढ़ रहा पलायन

उत्‍तराखंड में ईको टास्क फोर्स के रिटायर्ड कमांडेंट ऑफिसर कर्नल हरिराज सिंह राणा कहते हैं कि इंडो-तिब्‍बतन बॉर्डर की ओर जाने का एक ही रास्‍ता है जो मलारी ब्रिज से होकर जाता है. चमोली में ग्‍लेशियर फटने से यही ब्रिज टूटा है. यह बहुत ही अहम रास्‍ता है. मलारी गांव के बाद पड़ने वाले कागा, द्रोणागिरि, बंपा, कैलाशपुर, गमशाली, लता आदि हैं. इन गांवों में पहले से ही बहुत कम संख्‍या में लोग रहते हैं, जबकि ये लोग ही सेना के आंख और कान होते हैं. इन इलाकों से पलायन भी बहुत ज्‍यादा हुआ है. पहले से ही यहां लोगों को बसाए रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अब इस घटना से ये गांव पूरी तरह कट गए हैं. ऐसे में यह निश्चित ही चिंता की बात है.

राणा कहते हैं कि यह इलाका पर्यटन (Tourism) की दृष्टि से भी दुरूह इलाकों में ही आता है और कम संख्‍या में लोग यहां पहुंचते हैं. लेकिन, इंडो-तिब्‍बत बॉर्डर के चलते सेना की अच्‍छी खासी संख्‍या यहां होती है. ऐसे में सेना (Army) के आवागमन की दृष्टि से भी यह ब्रिज तत्‍काल बनाया जाना चाहिए और यहां सुविधाएं शुरू होनी चाहिए.



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