Harish Rawat – India Times https://indiatimes24x7.com National News Portal Tue, 09 Nov 2021 03:18:33 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://indiatimes24x7.com/wp-content/uploads/2021/12/cropped-india-times-24x7-1-32x32.png Harish Rawat – India Times https://indiatimes24x7.com 32 32 उत्तराखंड चुनावः BJP-Congress का खेल बिगाड़ सकती हैं पहली बार मैदान में उतर रहीं पार्टियां https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-elections-parties-entering-the-fray-for-the-first-time-can-spoil-the-game-of-bjp-congress/ https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-elections-parties-entering-the-fray-for-the-first-time-can-spoil-the-game-of-bjp-congress/#respond Mon, 01 Nov 2021 08:11:47 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%9a%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%83-bjp-congress-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%96%e0%a5%87%e0%a4%b2/

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हरिद्वार. उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी मैदान तैयार है. अगले कुछ महीनों में चुनाव का ऐलान संभव है, लेकिन उससे पहले सभी राजनीतिक पार्टियां जोड़-तोड़ और सियासी समीकरणों को साधने में जुटे हुए हैं. इस बार के चुनाव में कई ऐसे दल भी हैं, जो पहली बार उत्तराखंड के सियासी मैदान में उतरने की तैयारियां कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम जैसी पार्टियां पहली बार इस पहाड़ी राज्य में अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटी हैं. प्रदेश के अन्य जिलों की तरह हरिद्वार में भी इन दलों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है.

आम आदमी पार्टी और AIMIM की राजनीतिक कवायदों से प्रदेश में इन दिनों एक अलग सियासी चर्चा ही सरगर्म है. सियासी जानकारों की मानें तो कहा जा रहा है कि पहली बार चुनाव लड़ने वाली ये पार्टियां, प्रदेश में पहले से अपनी जड़-जमीन बना चुकी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं. देखना रोचक होगा कि चुनाव में ये पार्टियां किस तरह अपना स्थान बनाती हैं या देश की दो बड़ी प्रमुख पार्टियों के चुनावी अभियान पर इनका कैसा असर पड़ता है.

हरिद्वार की 11 विधानसभा के नतीजे होंगे अहम

हरिद्वार जिले में 11 विधानसभाएं हैं, जिन पर जीतने वाले प्रत्याशी उत्तराखंड में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस बार एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी, दोनों ही हरिद्वार में चुनाव के महीनों पहले से सक्रिय हैं. एआईएमआईएम ने उत्तराखंड में 22 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिसमें हरिद्वार की 11 विधानसभाएं शामिल हैं. इससे यह साफ हो गया है कि 2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार चुनाव मैदान में अलग समीकरण नजर आ सकते हैं.

बीजेपी-कांग्रेस और बसपा को नुकसान

हरिद्वार जिले में जातीय समीकरण काफी मायने रखते हैं. सियासी जानकारों का मानना है कि ऐसे में चुनाव मैदान में नए दलों के आने से बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के लिए राह कठिन हो सकती है. वरिष्ठ पत्रकार तपन सुशील का कहना है आप और एआईएमआईएम के आने से कांग्रेस और बसपा को नुकसान हो सकता है. समूचे उत्तराखंड में के साथ-साथ हरिद्वार जिले की कुछ सीटों पर जरूर असर देखने को मिल सकता है. आपको बता दें कि इसके अलावा एक और दल भी चर्चा में है. राष्ट्रीय जन लोक पार्टी भी उत्तराखंड में चुनाव लड़ सकती है. इसके संयोजक शेर सिंह राणा हैं. वहीं, स्थानीय स्तर पर सक्रिय निर्दलीय उम्मीदवारों की सुगबुगाहटों से भी आने वाला चुनाव काफी रोचक होने की उम्मीद है.

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अमित शाह बोले, पुष्कर धामी के नेतृत्व में फिर बनेगी भाजपा सरकार https://indiatimes24x7.com/amit-shah-said-bjp-government-will-be-formed-again-under-the-leadership-of-pushkar-dhami/ https://indiatimes24x7.com/amit-shah-said-bjp-government-will-be-formed-again-under-the-leadership-of-pushkar-dhami/#respond Sat, 30 Oct 2021 16:28:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%85%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%a4-%e0%a4%b6%e0%a4%be%e0%a4%b9-%e0%a4%ac%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%95%e0%a4%b0-%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80/

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देहरादून। एक दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत को खुली चुनौती दी है। इसी के साथ उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव का शंखनाद भी हो गया है। शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनौती दी है और कहा कि कांग्रेस ने अपनी सरकार के समय के घोषणा पत्र पर कितना काम किया है, इस पर किसी भी चौराहे पर चर्चा हो जाए वह तैयार हैं। शाह ने रावत को खुली बहस की चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड में भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में किए गए लगभग 85 प्रतिशत वादों को पूरा किया है।

अमित शाह ने कहा उत्तराखंड में फिर भाजपा की सरकार बनेगी। मुख्यमंत्री धामी भी काफी मेहनत कर रहे हैं। उत्तराखंड विकास की राह पर चल रहा है। उत्तराखंड ने पिछले चार वर्षों में समग्र विकास देखा है। भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है। कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनौती दी कि कांग्रेस ने अपनी सरकार के समय के घोषणा पत्र पर कितना काम किया है, इस पर किसी भी चौराहे पर चर्चा हो जाए। शाह ने हरीश रावत को खुली बहस की चुनौती दी। कहा कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में किए गए लगभग 85 प्रतिशत वादों को पूरा किया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम साफ नीयत से काम कर रहे हैं। हमने 85 हजार करोड़ के काम गिना दिए हैं। जिन पर उत्तराखंड में कार्य चल रहा है। अगले पांच साल में ये कार्य पूरे हो जाएंगे। लेकिन कांग्रेस केवल प्रदर्शन करती है या फिर दिल्ली में राहुल गांधी की शरण में जाती है। शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनौती दी और कहा कि कांग्रेस ने अपनी सरकार के समय के घोषणा पत्र पर कितना काम किया है, इस पर किसी भी चौराहे पर चर्चा हो जाए। शाह ने उन्हें खुली बहस की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में किए गए लगभग 85 प्रतिशत वादों को पूरा किया है।

अमित शाह ने कहा कि संकट में कांग्रेस पार्टी कहां होती है। कांग्रेस केवल चुनाव में ही दिखती है। पार्टी के नेता नए कपड़े सिलवा रहे हैं। राज्य में आई बाढ़ और कोरोना संक्रमण के दौरान पार्टी नहीं दिखी। 2017 के चुनाव के दौरान हमारे द्वारा की गई घोषणाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कार्यकाल में शराब घोटाला हुआ था। कांग्रेस वादाखिलाफी करने वाली पार्टी है। कांग्रेस पार्टी विलासिता भोगने वाली पार्टी है। इनका लोकतंत्र से कोई संबंध नहीं है। कांग्रेस ने किसानों की अनदेखी की है। शाह ने कहा कि कांग्रेस अपने वादों से मुकरती है। पहले जब मैं कांग्रेस सरकार के दौरान उत्तराखंड में आया था, तो कुछ लोगों ने मुझसे मुलाकात की और मुझे बताया कि शुक्रवार को हाईवे ब्लॉक करने और वहां नमाज करने की अनुमति है। कांग्रेस केवल तुष्टिकरण करती है और उत्तराखंड के लिए कोई कल्याणकारी कार्य नहीं कर सकती।



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उत्तराखंड: हरक के कांग्रेस में जाने की चर्चा के बीच BJP अलर्ट, देखें क्या होगी रणनिति https://indiatimes24x7.com/amidst-the-discussion-of-uttarakhand-harak-going-to-congress-see-the-bjp-alert/ https://indiatimes24x7.com/amidst-the-discussion-of-uttarakhand-harak-going-to-congress-see-the-bjp-alert/#respond Tue, 26 Oct 2021 18:27:20 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%87/

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देहरादून. यशपाल आर्य (Yashpal Arya) की कांग्रेस में घर वापसी और अब हरक के बयानों से बीजेपी सकते में है. बीते कुछ दिनों में हरक सिंह (Harak Singh) और हरीश के बीच जुगलबंदी ने भी उसकी टेंशन बढ़ा दी है. हरीश रावत के बागियों के माफी न मांगने तक कांग्रेस में नो एंट्री के बयान को याद करने के साथ अब दोनों के बीच जुगलबंदी भी देखने को मिल रही है.

हरक ने अपने मौजूदा कार्यकाल को निराशाजनक बताया, तो हरीश रावत ने कहा कि हरक मेरे अपराधी नहीं थे. उन्होंने सरकार को अस्थिर कर जनता के प्रति अपराध किया था, लेकिन उन्होंने इस कार्यकाल को निराशाजनक बताकर अपनी भूल स्वीकार कर एक तरह से अप्रत्यक्ष रूप से जनता से माफी मांग ली है. बदले में हरक ने भी कह दिया कि उन्होंने कभी बड़े भाई को कुछ गलत नहीं कहा. हरक ने कहा मैंने बरगद का पेड़ जरूर कहा था, लेकिन वो पॉजिटिव था. उन्होंने बरगद के पेड़ की खूबियां भी गिना दी.

दोनों नेताओं की जुगलबंदी से बीजेपी टेंशन में है. उसको आशंका है कि हरक कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं और यदि ऐसा हुआ तो इससे पार्टी का चुनावी रोड मैप गड़बड़ा सकता है. वो भी तब जब दलित नेता यशपाल आर्य का विकल्प पार्टी अभी तक नहीं खोज पाई है. पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि लोकतंत्र में किसी को रोका नहीं जा सकता. रही विकल्प की बात तो जब यशपाल आर्य बीजेपी में नहीं थे, हम तब भी जीते थे.

हालांकि, मंगलवार शाम मदन कौशिक और हरक के बीच मदन कौशिक के आवास पर करीब दो घण्टे तक बातचीत हुई. इस मुलाकात को इसी हलचल से जोड़कर देखा जा रहा है. मीटिंग से बाहर निकले मदन कौशिक ने हरक के कांग्रेस में जाने की चर्चाओं को खारिज करते हुए कहा कि हरक सिंह मूल भाजपाई हैं. उनकी राजनीति की शुरुआत ही एबीवीपी से हुई. हरक कांग्रेस में नहीं जाने वाले.

मीटिंग से बाहर निकले हरक ने भी चर्चाओं को खारिज करते हुए कहा कि मैं कहीं नहीं जा रहा हूं. अगर मुझे जाना होगा तो सबको बताकर जाऊंगा. ये भी सच है कि स्टेट बीजेपी एक तरह से मन बना चुकी है कि जिसको जाना है, वो जाएगा ही. अब मंथन इस बात पर हो रहा है कि इससे जो मैसेज जाएगा उसका काउंटर क्या होगा.

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उत्तराखंड में आपदा पर सियासत से याद आए विजय बहुगुणा, केदारनाथ त्रासदी के बाद गंवाई थी सत्ता https://indiatimes24x7.com/victory-bahuguna-remembered-from-politics-on-disaster-in-uttarakhand-power-was-lost-after-kedarnath-tragedy/ https://indiatimes24x7.com/victory-bahuguna-remembered-from-politics-on-disaster-in-uttarakhand-power-was-lost-after-kedarnath-tragedy/#respond Sun, 24 Oct 2021 07:43:48 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%af/

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Uttarakhand Election Politics: उत्तराखंड में इस महीने आई आपदा के बाद जिस तरह भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी उठा-पटक देखने को मिल रही है, उससे लोगों को केदारनाथ त्रासदी के बाद विजय बहुगुणा सरकार के सत्ता से हटने की याद ताजा हो आई है.

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पंजाब की तरह उत्तराखंड में भी दलित CM का दांव खेलेगी कांग्रेस! हरीश रावत की बढ़ी चिंता https://indiatimes24x7.com/like-punjab-congress-will-play-the-stake-of-dalit-cm-in-uttarakhand-too/ https://indiatimes24x7.com/like-punjab-congress-will-play-the-stake-of-dalit-cm-in-uttarakhand-too/#respond Sat, 23 Oct 2021 03:35:06 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%aa%e0%a4%82%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%ac-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%b9-%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%ae%e0%a5%87/

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नई दिल्ली. पंजाब की तरह ही उत्तराखंड में भी कांग्रेस (Congress) दलित मुख्यमंत्री का दांव खेल सकती है. माना जा रहा है कि इस दौड़ में सबसे आगे दिग्गज नेता यशपाल आर्य (Yashpal Arya) का नाम है. सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra), दोनों ही पंजाब के फैसले को उत्तराखंड में भी दोहराना चाहते हैं. हालांकि, इस पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. अब कांग्रेस की इस नई संभावित योजना ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब प्रभारी रहे हरीश रावत (Harish Rawat) को चिंता में डाल दिया है.

दलित नेता आर्य और उनके बेटे हाल ही में भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए. उनके इस फैसले से दलित सीएम वाली अटकलों और हवा मिल गई है. इधर, आर्य का कांग्रेस वापसी करने का फैसला राज्य में सत्ता जारी रखने की कोशिश में लगी बीजेपी और सीएम उम्मीदवार बनाए जाने की उम्मीद में बैठे रावत के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है.

गांधी परिवार से मुलाकात के बाद आर्य के कांग्रेस में शामिल होने के दौरान रावत भी AICC मुख्यालय पहुंच गए थे. पार्टी सूत्रों ने न्यूज18 को बताया कि गांधी भी उन्हें पार्टी में लाना चाहते थे और दोनों पक्ष के बीच तीन दौर की बातचीत हुई. उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता वापसी की जद्दोजहद में है. साथ ही दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी भी पहाड़ी राज्य में अपनी राह तलाश रही है.

2013 में आई विनाशकारी बाढ़ के कारण विजय बहुगुणा को पद छोड़ना पड़ा था, जिसके बाद साल 2014 में रावत को राज्य की कमान दी गई थी. हालांकि, 2016 में ही 9 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद रावत सरकार गिर गई थी. उस दौरान राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था और 2017 के चुनाव में बीजेपी सत्ता में आ गई थी.

क्यों चिंता में आए रावत
बीजेपी से कुछ और नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने की संभावनाओं के बीच रावत की चिंता बढ़ गई है. आर्य को रावत का बड़ा प्रतिद्विंद्वी माना जाता है. रावत के समर्थक उम्मीद कर रहे हैं कि वह ही सीएम उम्मीदवार होंगे. यह एक बड़ा कारण रहा, जिसके चलते वे पंजाब प्रभारी की जिम्मेदारी से मुक्त होने पर जोर दे रहे थे, लेकिन सोनिया गांधी के कहने पर रावत पद पर रहने के लिए सहमत हो गए.

कांग्रेस का लोकसभा प्लान
कहा जा रहा है कि पंजाब में सीएम के तौर पर चरणजीत सिंह चन्नी की नियुक्ति के बाद कांग्रेस इस फॉर्मूले को 2024 में भी दोहराने की उम्मीद में है. उत्तराखंड में दलित करीब 23 फीसदी हैं, जबकि, हरीश रावत ठाकुर समुदाय से आते हैं. यहां आबादी में इनकी हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. लेकिन पंजाब को देखते हुए कांग्रेस सियासी बढ़त के लिए यह दांव खेलने के मूड में बताई जा रही है.

उत्तराखंड में इन संभावनाओं ने रावत कैंप में चिंता बढ़ा दी है, जिसके चलते पूर्व सीएम अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए राज्य में ही रहना चाहते हैं. हालांकि, कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि यशपाल आर्य एकमात्र दलित नेता नहीं है, जिनपर गांधी परिवार की नजर है. प्रदीप टामता भी एक ताकतवर दलित नेता हैं, लेकिन जिस तरह पंजाब में सीएम चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तकरार खुलकर सामने आई है. ऐसी ही स्थिति पहाड़ों में भी तैयार हो सकती है.

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हरक सिंह आखिर क्यों माथे पर लगाना चाहते हैं हरीश रावत के गांव की मिट्टी? तंज कसते हुए बताई ये वजह https://indiatimes24x7.com/why-does-harak-singh-want-to-put-on-the-forehead-of-harish-rawats-village-tauntingly-told-this-reason/ https://indiatimes24x7.com/why-does-harak-singh-want-to-put-on-the-forehead-of-harish-rawats-village-tauntingly-told-this-reason/#respond Wed, 20 Oct 2021 12:30:03 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%95-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9-%e0%a4%86%e0%a4%96%e0%a4%bf%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a5%e0%a5%87-%e0%a4%aa/

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देहरादून. कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) और पूर्व सीएम हरीश रावत (Harish Rawat) के बीच तकरार किसी से छुपी नहीं है. हरीश रावत जब भी बीजेपी पर कटाक्ष करते हैं, उसमें हरक सिंह का नाम लेना नहीं भूलते, लेकिन अब मामला कुछ और आगे बढ़ गया है. हरक को निशाना बनाते हुए बागियों की घर वापसी पर हरीश रावत ने ‘पापी, महापापी’ और ‘अपराधी’ शब्द का प्रयोग कर डाला.

कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि जो धनबल और दबाव में 2016 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए उनको तो वापस लिया जा सकता है, लेकिन जो लोग मुख्यमंत्री बनने की मंशा से गए वो अपराधी हैं. ये बात हरक को चुभ गई है और उन्होंने इस पर पलटवार भी कर दिया. हरक ने कहा कि हरीश रावत अब वृदावस्था में हैं. वो कुछ भी बोल दे रहे हैँ. हरक ने कहा कि जो आदमी सीएम रहते हुए दो-दो सीटों से चुनाव हार गया हो, वो राजनीति से सन्यास लेने के बजाए दोबारा सीएम बनने की मंशा पाल रहा है. ऐसा हर कोई नहीं कर सकता.

हरक ने कहा कि यदि मैं सीएम होता और दो-दो सीट से चुनाव हार जाता तो राजनीति से सन्यास ले लेता. हरक ने कहा कि सीएम रहते दो-दो सीटों से चुनाव लड़ने की उत्तराखंड में नई परिपाटी को हरीश रावत ने जन्म ही नहीं दिया, उन्होंने तब विधानसभा की उस सीट से चुनाव लड़ने वाले लोगों को भी निराश किया. हरक ने कटाक्ष करते हुए कहा कि मैं ऐसी माटी से तिलक करने मोहनरी जाऊंगा.जिस मिटटी में हरीश रावत ने जन्म लिया. हरीश रावत हरक के इस बयान पर अभी चुप्पी साधे बैठे हैं. उनकी जगह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने हरक को जवाब दिया. गोदियाल का कहना है कि मोहनरी में जन्मे हरीश रावत कड़े संघर्षों की बदौलत ग्राम प्रधान से लेकर केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे, तो मोहनरी की मिट्टी से तिलक करना तो बनता है. उन्होंने कहा कि विपक्ष अगर इस बात को समझ पा रहा है, तो ये अच्छी बात है.

सच तो ये है कि 2016 के तख्तापलट के सूत्रधार रहे हरक सिंह रावत को हरीश रावत आज तक नहीं भूल पाए हैं, वहीं हरक सिंह हरीश रावत द्वारा एक के बाद एक तंज कसे जाने से परेशान हैं. परेशानी ये भी है कि हरक कांग्रेस में जाएं न जाएं, लेकिन हरीश रावत ने पहले ही उनकी एंट्री पर स्वघोषित वीटो लगा रखा है.

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Uttarakhand: रावत ने सरकार को डेनिश प्रेमी बताया तो मंत्री हरक ने कहा- ये तो हरीश का पर्यायवाची https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-rawat-called-the-government-a-danish-lover-then-minister-harak-said-that-it-is-a-synonym-for-harish/ https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-rawat-called-the-government-a-danish-lover-then-minister-harak-said-that-it-is-a-synonym-for-harish/#respond Thu, 14 Oct 2021 19:25:21 +0000 https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%a4-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%b0%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%a1%e0%a5%87%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%b6-%e0%a4%aa%e0%a5%8d/

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डेनिस शराब का मुद्दा एक बार फिर उत्तराखंड की सियासत को गर्मा रहा है.(File Photo)

डेनिस शराब का मुद्दा एक बार फिर उत्तराखंड की सियासत को गर्मा रहा है.(File Photo)

डेनिस शराब को लेकर 2014 में उपजा विवाद एक बार फिर चर्चा में है. इस बार हरीश रावत के एक ट्वीट के बाद बीजेपी ने कड़ा जवाब दिया है. हालांकि सभी आरोपों को हरीश रावत ने सिरे से नकार दिया है और इसे बीजेपी का प्रोपेगेंड करार दिया.

देहरादून. राज्य में हरीश रावत सरकार के दौरान 2014 में उपजा डेनिस शराब का विवाद एक बार फिर सामने आ गया है. पूर्व सीएम रावत ने सरकार को डेनिस प्रेमी बताकर ट्वीट किया तो मंत्री हरक रावत गुस्सा गए और उन्होंने डेनिस को हरीश रावत का पर्यायवाची बता दिया. उन्होंने कहा कि डेनिस और हरीश रावत एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए थे. हरक का कहना है कि कुमाऊं में तब डेनिस का नाम हरदा ब्रांड तो गढ़वाल में हरीश रावत ब्रांड नाम पड़ गया था.
गौरतलब है कि 2014 में डेनिस नामक शराब का ब्रांड उत्तराखंड में आया. उस दौरान रही हरीश रावत की सरकार पर अन्य ब्रांड को छोड़ डेनिस को प्रमोट करने के आरोप लगे. अन्य शराब कंपनियां मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले गईं, सुप्रीम कोर्ट ने मामला सीसीआई को सौंपा और जांच का आदेश दिया. इसके बाद सीसीआई ने उत्तराखंड सरकार की मंडी परिषद पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.

बीजेपी ने बनाया था चुनावी मुद्दा
मामले में करप्‍शन के कई आरोप लगे. उस दौरान मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी आरोपों में घेरा गया. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने इसे कांग्रेस और खासकर हरीश रावत के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा बना लिया. बीजेपी ने इसे हरदा ब्रांड का नाम दिया और हरीश रावत के विरोध में लहर चला दी.

आबकारी नीति बदलने का आरोप
2014 में हरीश रावत सरकार पर तब लगे बड़े आरोपों में से एक इस ब्रांड के लिए आबकारी नीति को बदलकर शराब गोदामों का ठेका मंडी समिति को देने का आरोप था. तब मंडी समिति के मुखिया थे तत्कालीन कृषि मंत्री हरक सिंह रावत. ऐसे में कांग्रेसी हरक सिंह रावत पर भी ऊंगलियां उठा रहे हैं. लेकिन, हरक सिंह रावत का कहना था कि उन्हें मामले का कुछ पता तक नहीं था. हरीश रावत कैबिनेट में आए और सीधे कह दिया कि उन्होंने शराब गोदामों का अधिकार मंडी समिति को दे दिया है.
दूसरी ओर हरीश रावत ने पूरे मामले में तीखा जवाब दिया है. रावत का कहना है कि ये सिर्फ बीजेपी का प्रोपेगेंडा है. बीजेपी मिलकर झूठ फैलाती है. हकीकत तो ये है कि उनके कार्यकाल के दौरान स्टिंग और डेनिस में कुछ भी नहीं है.

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Politics of Uttarakhand : दलित नेता यशपाल आर्य की ‘घर वापसी’ के मायने क्या हैं? कांग्रेस को क्या फायदा होगा? https://indiatimes24x7.com/politics-of-uttarakhand-what-is-the-meaning-of-homecoming-of-dalit-leader-yashpal-arya/ https://indiatimes24x7.com/politics-of-uttarakhand-what-is-the-meaning-of-homecoming-of-dalit-leader-yashpal-arya/#respond Tue, 12 Oct 2021 06:30:51 +0000 https://indiatimes24x7.com/politics-of-uttarakhand-%e0%a4%a6%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%a4-%e0%a4%a8%e0%a5%87%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%af%e0%a4%b6%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%86%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af-%e0%a4%95/

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देहरादून. उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री यशपाल आर्य के कांग्रेस में लौटने के बाद ऊधमसिंह नगर की बाजपुर सीट पर पार्टी का दावा मज़बूत होता है. इस सीट पर दलित सिखों की संख्या काफी है इसलिए विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनज़र आर्य की कांग्रेस में वापसी काफी अहम है. खासकर तब, जबकि पंजाब में पिछले दिनों कांग्रेस ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर ‘दलित सीएम’ का दांव खेला है. इसके अलावा, यह भी अपने आप में बड़ी कामयाबी है कि चार साल पहले भाजपा का दामन थाम लेने वाले आर्य करीब चार दशकों के राजनीतिक करियर में कांग्रेस से ही संबद्ध रहे थे, जो पार्टी में लौट आए हैं.

कांग्रेस आर्य की वापसी को महत्वपूर्ण मान ​रही है क्योंकि ऊधमसिंह नगर ज़िले में ‘राय सिखों’ के वोटर खासी संख्या में हैं, जिन्हें सिखों का दलित समुदाय कहा जाता है. पूरे उत्तराखंड में दलितों की संख्या करीब 19 फीसदी है. अपने बेटे और नैनीताल सीट से विधायक संजीव आर्य के साथ कांग्रेस में आने वाले आर्य ने साफ तौर पर कहा, ‘कांग्रेस एक पवित्र मंदिर की तरह है और यहां होना सुखद है.’

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कांग्रेस में लौटने पर यशपाल आर्य का स्वागत राहुल गांधी ने किया.

कैसे बदले हैं समीकरण?
बात चार साल पहले की है, जब 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले का वक्त था, तब सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के खिलाफ एक लहर सी दौड़ी. आर्य समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी छोड़ दी, जिसका आखिरकार फायदा भाजपा को ही हुआ. भाजपा में 82 फीसदी यानी 57 सीटों पर प्रचंड बहुमत वाली जीत हासिल की. लेकिन, इसके बाद समस्याएं खत्म होने के बजाय नए सिरों से पैदा होने लगीं.

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आर्य, हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, उमेश शर्मा जैसे नेताओं की जो हैसियत कांग्रेस में थी, बताते हैं कि उसके हिसाब से भाजपा में उन्हें ‘उपेक्षा’ मिली. नई पार्टी में जगह बनाने के लिए कुछ नेताओं को कड़ा संघर्ष करना पड़ा. भीतरी जानकार बताते हैं कि कांग्रेस में ‘फ्री स्टाइल राजनीति’ का चलन भाजपा में चला नहीं इसलिए इनके लिए मुश्किल हुई. असंतोष बढ़ा, तो सीएम धामी ने 25 सितंबर को आर्य के साथ नाश्ता भी किया था, लेकिन नतीजा यही निकला कि आर्य का मन बदलने में धामी नाकाम रहे.

और क्या है दलित फैक्टर?
पंजाब में पहली बार किसी दलित नेता के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद कांग्रेस ने इस इबारत को एजेंडा के तौर पर इस्तेमाल किया. पंजाब में कांग्रेस के प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने साफ कहा कि वह ‘उत्तराखंड में भी किसी दलित नेता को सीएम देखना’ चाहते हैं. माना जा सकता है कि सियासी शतरंज की बिसात पर बीजेपी को शह और मात देने के लिए कांग्रेस ने यह चाल चली.

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Uttarakhand Politics : चार साल बाद कांग्रेस में यशपाल आर्य की वापसी, लेकिन सूत्रधार कौन? https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-politics-yashpal-arya-returns-to-congress-after-four-years-but-who-is-the-facilitator/ https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-politics-yashpal-arya-returns-to-congress-after-four-years-but-who-is-the-facilitator/#respond Tue, 12 Oct 2021 02:01:02 +0000 https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-politics-%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%b8-%e0%a4%ae%e0%a5%87/

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देहरादून. उत्तराखंड की भाजपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री यशपाल आर्य की एंट्री से कांग्रेस में हरीश रावत, प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल के साथ एक बड़ा नाम जुड़ गया लेकिन सवाल है कि यशपाल आर्य की घर वापसी का सूत्रधार कौन था? वो भी तब, जबकि हरीश रावत आज भी वहीं हैं, जिनसे नाराज़ होकर यशपाल आर्य से कांग्रेस छोड़ी थी. इस बारे में जो चर्चा हो रही है और​ जिस तरह के संकेत स्पष्ट नज़र आ रहे हैं, उनसे यही माना जा सकता है कि उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का नाम इस मामले में अग्रणी रहा, लेकिन कैसे?

उत्तराखंड में 7 सालों तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे यशपाल आर्य फिर कांग्रेस के हो गए, लेकिन आर्य की वापसी की ज़मीन किसने तैयार की, कांग्रेस के भीतर इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है. सवाल इसलिए बड़ा है कि गणेश गोदियाल को अभी अध्यक्ष बने ज़्यादा वक्त नहीं हुआ है और पूर्व सीएम हरीश रावत से नाराज़गी की वजह से ही आर्य ने 2017 चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ी थी. ऐसे में आर्य की वापसी के काम को आखिर किसने अंजाम दिया!

क्या और कैसी रही प्रीतम सिंह की भूमिका?
चर्चा है कि 4 साल प्रदेश अध्यक्ष रहे और अब नेता विपक्ष प्रीतम सिंह का इसमें बड़ा रोल रहा, जो 3 दिनों से लगातार दिल्ली में डटे हुए थे और फिर दिल्ली में कांग्रेस के मंच से प्रीतम और आर्य ने जो कहा, उसने सब कुछ साफ कर दिया. प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष के तौर पर वह लगातार आर्य के संपर्क में रहे. इस दौरान बातचीत होती रही और आखिरकार वही आर्य कांग्रेस में आ गए.

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यशपाल आर्य की कांग्रेस में वापसी को बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

रावत और गोदियाल ने तो खुद किया था इनकार!
प्रीतम सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भी ‘राजनीति में दरवाज़े हमेशा खुले’ होने की बात कही. वहीं बीते कुछ महीनों में चर्चाएं ये भी रहीं कि बीजेपी के कुछ नेता कांग्रेस के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं लेकिन अक्सर गोदियाल और हरीश रावत ने ऐसी किसी बात से इनकार किया. न्यूज़ 18 को दिए इंटरव्यू में भी रावत ने यही कहा था. रावत ने कहा था कि कोई नेता फिलहाल उनके सीधे संपर्क में नहीं है.

कांग्रेस में आर्य की एंट्री पूरी पार्टी के लिए किसी राहत से कम नहीं है क्योंकि इसी साल जून में इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ था. प्रीतम सिंह की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई हुई, तो सारे समीकरण बदल गए, लेकिन आर्य की वापसी करवाकर प्रीतम सिंह ने अपनी सियासी हुनर ज़रूर साबित किया है.

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उत्तराखंड : BJP में रहते हुए खतरे में थी यशपाल आर्य की कुर्सी, थामा कांग्रेस का हाथ https://indiatimes24x7.com/while-living-in-uttarakhand-bjp-yashpal-aryas-chair-was-in-danger/ https://indiatimes24x7.com/while-living-in-uttarakhand-bjp-yashpal-aryas-chair-was-in-danger/#respond Mon, 11 Oct 2021 12:43:41 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-bjp-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b0%e0%a4%b9%e0%a4%a4%e0%a5%87-%e0%a4%b9%e0%a5%81%e0%a4%8f-%e0%a4%96%e0%a4%a4/

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देहरादून. उत्तराखंड (Uttarakhand) में जबरदस्त राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला है. इस उलटफेर में इस बार कांग्रेस (Congress) ने बाजी मारी है. राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य (Yashpal Arya) और उनके बेटे संजीव आर्य बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. दोनों नेता साल 2017 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, लेकिन 2022 चुनाव से ठीक पहले दोनों नेताओं ने फिर से घर वापसी कर ली है. इसे बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. यशपाल आर्य को दलित वर्ग का बड़ा नेता माना जाता है.

यशपाल इस समय बाजपुर सीट से विधायक हैं, जबकि उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल से विधायक हैं. यशपाल का जाना कांग्रेस की बड़ी रणनीतिक जीत मानी जा रही है, क्योंकि यशपाल को दलित राजनीति का केंद्र माना जाता है. इसलिए उनके जाने से कांग्रेस को अच्छा खासा फायदा हो सकता है. यशपाल आर्य का बैकग्राउंड वैसे तो कांग्रेस की राजनीति का ही रहा है. कांग्रेस में रहते हुए यशपाल आर्य विधानसभा अध्यक्ष रहे साथ ही मंत्री भी रहे. कांग्रेस संगठन में उनकी हैसियत पीसीसी चीफ की रही.

यशपाल आर्य की कुर्सी को था खतरा

यशपाल आर्य उधम सिंह नगर जिले की बाजपुर विधानसभा से विधायक हैं और पहले त्रिवेंद्र सिंह सरकार और फिर तीरथ सिंह और अब पुष्कर सिंह धामी सरकार में लगातार मंत्री बनते आ रहे हैं. किसान आंदोलन के चलते सिख मतदाता बीजेपी से नाराज बताए जा रहे हैं. बाजपुर को सिख मतदाताओं वाली सीट माना जाता. चर्चा है कि यशपाल आर्य इसी बात से डरे हुए थे. अगर सिख मतदाता बीजेपी के खिलाफ वोट करता है तो बीजेपी का प्रत्याशी होते हुए यशपाल आर्य की कुर्सी पर खतरा मंडरा सकता था. इसलिए यशपाल आर्य ने समय से पहले की बाजपुर को सुरक्षित कर लिया है.

नाराज थे यशपाल आर्य

कैबिनेट मंत्री रहते हुए भी यशपाल आर्य बीजेपी से नाराज थे. लगातार इस बातों के कयास लगाए जा रहे थे कि उनकी सरकार में नहीं सुनी जा रही है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अचानक यशपाल आर्य के घर जाकर उन्हें मनाने की कोशिश की थी. तब यशपाल आर्य ने कहा था कि वह कहीं नहीं जाने वाले. वह बीजेपी के पक्के सिपाही हैं.

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