chamoli disaster – India Times https://indiatimes24x7.com National News Portal Tue, 02 Mar 2021 11:23:28 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://indiatimes24x7.com/wp-content/uploads/2021/12/cropped-india-times-24x7-1-32x32.png chamoli disaster – India Times https://indiatimes24x7.com 32 32 टिहरी: ग्रामीणों ने भिलंगना नदी पर बन रहे हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के खिलाफ खोला मोर्चा https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9f%e0%a4%bf%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%a3%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%ad%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a4%82%e0%a4%97/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9f%e0%a4%bf%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%a3%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%ad%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a4%82%e0%a4%97/#respond Tue, 02 Mar 2021 11:23:28 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=749

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आपदा की दृष्टि से भी भिलंगना घाटी संवेदनशील जोन है

आपदा की दृष्टि से भी भिलंगना घाटी संवेदनशील जोन है

Bhilangana Hydro Power Project: उत्तराखंड में चमोली आपदा के बाद पहाड़ों में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट विरोध शुरू हो गया है. टिहरी के दूरस्त घुत्तु में भिलंगना नदी पर तीन 5-5 मेगावाट के हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं. ग्रामीणों के विरोध के चलते फिलहाल काम रोक दिया गया है.

टिहरी. चमोली आपदा के बाद पहाड़ों में हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट का विरोध शुरू होने लगा है. टिहरी के घुत्त में ग्रामीणों ने भिलंगना नदी पर बन रहे हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. टिहरी के दूरस्त घुत्तु में भिलंगना नदी पर तीन 5-5 मेगावाट के हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं और शासन प्रशासन द्वारा अब इनके निर्माण की तैयारी की जा रही है. ग्रामीणों के विरोध के चलते इनका काम फिलहाल रोक दिया गया है. आपदा की दृष्टि से भी भिलंगना घाटी संवेदनशील जोन है और घुत्तु के ऊपर खतलिंग ग्लेशियर है जो काफी विशालकाय है. इसके साथ ही खतलिंग घाटी में भीमताल, मात्री ताल, लिग ताल के अलावा कई ताल हैं. पॉवर प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए ब्लास्टिंग करने पर ये ताल टूट सकते हैं और भारी पानी भिलंगना नदी में आने से घुत्त के साथ ही आसपास के क्षेत्र और घनसाली को भी खतरा हो सकता है.

2013 की केदारनाथ आपदा में भी घुत्तु क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी. हालांकि जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था लेकिन भिलंगना घाटी पूरी तरह तहस नहस हो गई थी. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि पहाड़ों में बड़े हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के निर्माण से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है और पहाड़ों में छोटे पॉवर प्रोजेक्ट लगाने चाहिए जिससे विकास के साथ साथ स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सके. प्रशासन द्वारा इस संबध में विशेषज्ञों द्वारा सर्वे कराए जाने की बात कही जा रही है.

उत्तराखंड को भले ही ऊर्जा प्रदेश बनाने की कवायद की जा रही है लेकिन प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं की भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए. ऐसे में शासन प्रशासन को केदारनाथ और चमोली की आपदा से सबक लेकर ही विकास योजनाओं को आगे बढ़ाना चाहिए.






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Chamoli Tragedy: आपदा के 18 दिन, अब तक 70 शव बरामद, 134 लापता लोगों के लिए सर्च ऑपरेशन जारी https://indiatimes24x7.com/chamoli-tragedy-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-18-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-%e0%a4%85%e0%a4%ac-%e0%a4%a4%e0%a4%95-70-%e0%a4%b6%e0%a4%b5-%e0%a4%ac%e0%a4%b0%e0%a4%be/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-tragedy-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-18-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-%e0%a4%85%e0%a4%ac-%e0%a4%a4%e0%a4%95-70-%e0%a4%b6%e0%a4%b5-%e0%a4%ac%e0%a4%b0%e0%a4%be/#respond Wed, 24 Feb 2021 13:45:36 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=655

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चमोली आपदा में अभी 134 लोग लापता हैं.

चमोली आपदा में अभी 134 लोग लापता हैं.

Chamoli Glacier Burst Tragedy: चमोली जिले में आपदा में अब मरने वालों की संख्‍या 70 हो गई है. हालांकि 134 लापता लोगों की तलाश और बचाव के लिए अभियान अभी जारी है.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 24, 2021, 7:15 PM IST

चमोली. उत्तराखंड के चमोली जिले में आपदा (Chamoli Glacier Burst Tragedy) प्रभावित क्षेत्रों में बुधवार को 18वें दिन भी तलाश और बचाव अभियान जारी रहा. आपदा के बाद से अब तक 70 शव निकाले जा चुके हैं. इस बात की जानकारी पुलिस की ओर से जारी बुलेटिन में दी गयी है. चमोली पुलिस (Chamoli Police) की ओर से जारी मीडिया बुलेटिन में बताया गया है कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों से अब तक 70 शव और 29 मानव अंग बरामद हो चुके हैं जिनमें से 40 शवों और एक मानव अंग की पहचान की जा चुकी है.

इसके अलावा जोशीमठ पुलिस थाने में मंगलवार को एक और लापता व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है. तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना में कार्यरत ऋत्विक कंपनी ने अपने एक और कामगार के लापता होने की सूचना थाने को दी है. त्रासदी के बाद से अब तक 134 लोग लापता हैं जिनकी तलाश के लिए लगातार तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. बुलेटिन में कहा गया है कि 58 शवों, 28 मानव अंगों तथा आपदा का शिकार हुए लोगों के 110 परिजनों के डीएनए नमूने देहरादून स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में मिलान के लिए भेज दिए गए हैं.

बता दें कि चमोली में 7 फरवरी को आई आपदा में लापता लोगों की तलाश के लिए चमोली की ऋषिगंगा और धौलीगंगा घाटी के साथ ही तपोवन टनल और बैराज साइट पर पिछले 18 दिन से सर्च अभियान लगातार जारी है. अब इन सभी लापता 134 लोगों को मृत घोषित करने के लिए सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. केंद्र से मिले दिशा निर्देशों के बाद उत्तराखंड सरकार ने यह कदम उठाया है. यही नहीं, चमोली ग्लेशियर हादसे में एनटीपीसी के तपोवन में स्थित पावर प्रोजेक्ट में 140 लोग बाढ़ की चपेट में आ गए थे. एनटीपीसी ने इन सभी लोगों के परिजनों को 20-20 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की है. कई परिवारों को यह मुआवजा दिया भी जा चुका है. इसके अलावा राज्य सरकार ने 4 लाख और केंद्र ने प्रधानमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपए देने की घोषणा की है.






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Chamoli Disaster: आपदा के 14 दिन, 65 शव बरामद, 142 अभी भी लापता https://indiatimes24x7.com/chamoli-disaster-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-14-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-65-%e0%a4%b6%e0%a4%b5-%e0%a4%ac%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%a6-142-%e0%a4%85%e0%a4%ad/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-disaster-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-14-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-65-%e0%a4%b6%e0%a4%b5-%e0%a4%ac%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%a6-142-%e0%a4%85%e0%a4%ad/#respond Sat, 20 Feb 2021 17:17:30 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=571

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डिसेल्टिंग चेंबर में 100 से अधिक लोगों के दबे होने की आशंका है.

डिसेल्टिंग चेंबर में 100 से अधिक लोगों के दबे होने की आशंका है.

Chamoli Disaster: चमोली आपदा के 14 दिन बाद भी 142 लोग लापता हैं. अब तक 65 शव बरामद किए जा चुके हैं. 34 लोगों की शिनाख्त हो चुकी है. 3़1 शवों की पहचान नहीं हो पाई है. तपोवन साइट पर टनल से अभी तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं.

चमोली. चमोली आपदा को 14 दिन पूरे हो गए. अभी तक 65 शव बरामद किए जा चुके हैं जिनमें से 34 लोगों की शिनाख्त हो चुकी है. 31 शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है. इनके डीएनए सैंपल लिए गए हैं. अभी 142 लोग लापता हैं. आपदा में बारह गांव भी प्रभावित हुए हैं जिनमें 465 परिवार प्रभावित हुए हैं. सभी जगह आवागमन और बिजली, पानी की वैकल्पिक व्‍यवस्‍था बहाल कर ली गई है. आवागमन के लिए धोलीगंगा पर भंग्यूल, जुवाग्वाड़ गांव और रैणी में तीन जगह ट्रालियां लगाई गई हैं. तपोवन साइट पर टनल से अभी तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं. यहां अनुमानत: 25 से 35 लोग मलबे में दबे हैं.

180 मीटर की इस टनल को 145 मीटर तक साफ कर लिया गया. यहां लगातार मलबे के स्लग के रूप में होने और बैकफ्लो के कारण ऑपरेशन में दिक्कतें हो रही हैं. टनल से पानी को निकालने के लिए पंप लगाए गए हैं. पहले पानी की निकासी की जा रही है और फिर टनल में मलबा हटाने का काम किया जा रहा है. यहां एनडीआरएफ और टनल में खुदाई का काम कर रहे हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी के कर्मचारियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दूसरी ओर टनल से लगे डिसेल्टिंग चैंबर में भरे स्लग को भी पंप के जरिए निकालने का काम शुरू किया गया है. डिसेल्टिंग चेंबर में 100 से अधिक लोगों के दबे होने की आशंका है लेकिन यहां पंद्रह से बीस मीटर तक मलबा भरा पड़ा है. जब तक मलबा सूख नहीं जाता यहां जेसीबी मशीन भी नहीं डाली जा सकती.

एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी धौलीगंगा के किनारों पर सर्च ऑपरेशन भी चला रही हैं. यहां शवों के बहकर आने की संभावना है. दूसरी ओर धौलीगंगा के टॉप पर पेंग गांव से लगे क्षेत्र में बनी झील की भी राज्य सरकार लगातार मॉनीटरिंग कर रही है. शुक्रवार को एयर फोर्स के चौपर के जरिये यहां निदेशक जीएसआई, वाडिया इंस्टीयूट के दो जियोलॉजिस्ट, एक साइंटिस्ट और एसडीआरएफ के दो जवानों को मौके के लिए भेजा गया. ये टीम शनिवार को झील का निरीक्षण करने के साथ ही उसकी स्टडी भी करेगी.






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चमोली आपदा: झील के नजदीक पहुंची ITBP, हेलीपैड बनाने की तैयारी, देखें VIDEO– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%9d%e0%a5%80%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a4%9c%e0%a4%a6%e0%a5%80%e0%a4%95-%e0%a4%aa%e0%a4%b9/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%9d%e0%a5%80%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a4%9c%e0%a4%a6%e0%a5%80%e0%a4%95-%e0%a4%aa%e0%a4%b9/#respond Wed, 17 Feb 2021 12:58:38 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=511

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चमोली. उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) जिले में आए त्रासदी के बाद बचाव कार्य लगातार जारी है. आईटीबीपी के साथ डीआरडीओ (DRDO) की टीम ने मैदान में मोर्चा संभाल रखा है. बुधवार को आईटीबीपी (IYBP) की एक टीम ठीक उसी स्थान पर पहुंची जहां एक झील बनी है. टीम ने आस-पास के इलाके का निरीक्षण किया है. इसके साथ ही इलाके में आईटीबीपी  हेलीपैड भी विकसित कर रही है. बेस कैंप मुरंडा में बनाया गया है. डीआरडीओ के अधिकारी भी आईटीबीपी के साथ हैं. इधर, तपोवन टनल में लगातार राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है. टनल में कीचड़ भरा हुआ है. फिलहाल, सुरंग (Tapovan Tunnel) में बचाव कार्य लगातार जारी है.

इधर,  जल प्रलय में अब तक 58 शव मिल चुके हैं. बीती रात को दो और शव मिले हैं. तपोवन टनल में 145 मीटर खुदाई की जा चुकी है. टनल से थोड़ा पानी निकल रहा है, इसलिए पंप लगाकर वहां से पानी बाहर निकाला जा रह है. तपोवन और रैणी में सर्च और बचाव अभियान चल रहा है.

अध्ययन में जुटे वैज्ञानिक

चमोली जिले में आपदा के बाद से वैज्ञानिक ग्लेशियरो को लेकर अलग-अलग तरीके से अध्ययन में जुटे हुए हैं. राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियर के साथ उस जगह की घाटी और क्षेत्र का भी अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि लोगों को समय समय पर जागरूक किया जा सके. ग्लेशियर झीलों के टूटने से आने वाली तबाही और बचाव के लिए राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के सहयोग से डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथरिटी ने 10 चेप्टर की गाइड लाइन तैयार की है. इसमें स्विजरलैंड की सिवस एजेंसी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

ये भी पढ़ें: Farmer Protest: खाप पंचायतों ने किया हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल का सामाजिक बहिष्कार!

टनल में कीचड़ से परेशानी

तपोवन टनल के भीतर करीब 150 मीटर तक यह देखना आसान है कि बचावकर्मी क्या कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद सुरंग में कीचड़ की मजबूत दीवार है. मुन्ना सिंह और मिथलेश सिंह धौलीगंगा में अब नष्ट हो चुकी एनटीपीसी की विद्युत परियोजना में कार्यरत थे और अब वे बचाव कार्य में तैनात हैं. सिंह ने कहा कि यदि वह रविवार को ड्यूटी पर होता, तो वह भी पीड़ितों में शामिल हो सकता था, जो शव मिले हैं, वे या तो दीवारों या बंद सुरंग की छत पर चिपके थे. बचावकर्ती अमूमन चार घंटे काम करते हैं और इसके बाद नया समूह काम पर आता है. सुरंग में सांस लेना मुश्किल है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल बचाव प्रयासों में जुटे हैं.



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Chamoli Tragedy: त्रासदी के बाद वैज्ञानिक अलर्ट, डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने गाइडलाइन बनाने का किया दावा– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/chamoli-tragedy-%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%b5%e0%a5%88%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%9e%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%bf/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-tragedy-%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%b5%e0%a5%88%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%9e%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%bf/#respond Tue, 16 Feb 2021 18:33:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=487

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रुड़की. उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) जिले में आए आपदा के बाद से वैज्ञानिक ग्लेशियरों को लेकर अलग-अलग तरीके से अध्ययन में जुटे हुए है. वहीं राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियर (Glacier) के साथ उस जगह की घाटी और क्षेत्र का भी अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि लोगों को समय-समय पर जागरूक किया जा सके. वहीं राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक सजंय कुमार जैन ने बताया कि ग्लेशियर झीलों के टूटने से आने वाली तबाही और बचाव के लिए राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के सहयोग से डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (Disaster Management Authority) ने 10 चैप्टर की गाइडलाइन तैयार की है.

इसमें स्विजरलैंड की सिवस एजेंसी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. एनआईएच के वैज्ञानिकों का कहना है कि गाइडलाइन के अनुसार हिमालयी झीलों का रोजाना सेटेलाइट और अन्य तकनीक के माध्यम से मॉनिटरिंग हो. इसका हर रोज डाटा सार्वजनिक हो. साथ ही जिन जगहों पर ग्लेशियर सिकुड़ रहे है वहां पर फोकस कर झीलों में पानी कम करने के लिए पम्पिंग को अमल में लाया जाए.

 एनआईएच के वैज्ञानिक की ली जा रही मदद

राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक सजंय कुमार जैन ने बताया कि स्थानीय प्रशासन को और आपदा तंत्र से जुड़े लोगों को भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि जानमाल के खतरे से बचा जा सके. एनआईएच के वैज्ञानिक एके लोहानी का कहना है कि जिन क्षेत्रों में ग्लेशियर टूटने का डर रहता है उस घाटी और क्षेत्र के भौगोलिक परिस्थितियों का भी अध्ययन करना जरूरी है. तभी बड़ी आपदाओं से निपटा जा सकता है और उन क्षेत्रों में अर्ली वार्निंग सिस्टम भी लगाए जाने चाहिए ताकि आपदा के समय बचा जा सके. एक बात तो जरूर है चमोली जिले में हुए जल प्रलय के बाद से वैज्ञानिक भी अब सतर्क नज़र आने लगे है. लोगों को जागरूक करना का लगातार प्रयास कर रहे है.



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Chamoli Disaster: तपोवन टनल में 120 मीटर खुदाई के बाद आज मिले 2 शव– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/chamoli-disaster-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%9f%e0%a4%a8%e0%a4%b2-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-120-%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%9f%e0%a4%b0-%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%a6%e0%a4%be/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-disaster-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%9f%e0%a4%a8%e0%a4%b2-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-120-%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%9f%e0%a4%b0-%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%a6%e0%a4%be/#respond Sun, 14 Feb 2021 07:36:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=441

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चमोली. तपोवन टनल में 120 मीटर खुदाई के बाद रविवार को दो शव निकाले गए. चमोली डीएम स्वाति भदोरिया का कहना है कि टनल के भीतर से दो शव बरामद होने के बाद सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन और तेज किया जाएगा. हालांकि, मौसम विभाग के मुताबिक 14 से 16 फ़रवरी के बीच पूरे इलाके में मौसम खराब रहेगा. बारिश की संभावना है, ऐसे में रेस्क्यू टीम की परेशानी बढ़ सकती है.

उत्तरखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि तपोवन टनल में 7 फरवरी से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. आज दो शव टनल से निकाले गए. उत्तराखंड पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं. NDRF अब कैमरे के जरिये टनल के भीतर लोगों को तलाश करने की कोशिश करेगा.

ऋषिगंगा अपर स्ट्रीम झील से फिलहाल कोई खतरा नहीं

डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि आपदा के बाद ऋषि गंगा की अपर स्ट्रीम में बनी झील से फिलहाल कोई भी खतरा नहीं है. इस झील से पानी का लगातार रिसाव हो रहा है. इस झील के सामने आने से खतरे की आशंका जताई गई थी. एसडीआरएफ (SDRF) और एनडीआरएफ (NDRF) की टीम ने इसकी जांच की. टीम ने झील की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर झील का स्थलीय निरीक्षण कर आलाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी है.

झील के किनारे लगेगा वार्निंग ऑटोमेटिक अलार्म सिस्टम

डीजीपी ने झील के किनारे वार्निंग ऑटोमेटिक अलार्म सिस्टम भी लगाने की बात कही है. ये सिस्टम तब यूज में आएगा जब झील से कोई बड़ा खतरा बन रहा हो तो सिस्टम ओटोमेटिक अलार्म देकर लोगों को अलर्ट करेगा. ये सिस्टम पेंग गावं, रैणी और तपोवन में लगाया जाएगा. डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि जब तक अलार्म सिस्टम नहीं लगता है तब तक एसडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है, जो अलार्मिंग सिस्टम का काम करेंगीं. टीम तीनों गांव में रहेगी.

गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) में बीते रविवार (7 फरवरी) को ऋषि गंगा नदी (Rishi Ganga River) में ग्लेशियर फटने (Glacier Burst) से भीषण तबाही आई. बाढ़ से कई गांवों में तबाही मच गई. इसके बाद से आपदा में फंसे सैकड़ों लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू दिन-रात ऑपरेशन चल रहा है.



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अब हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को देना होगा Water Tax, हाईकोर्ट ने खारिज की कई कंपनियों की याचिकाएं– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%85%e0%a4%ac-%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%87%e0%a4%a1%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b-%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%b0-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%9c%e0%a5%87%e0%a4%95%e0%a5%8d/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%85%e0%a4%ac-%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%87%e0%a4%a1%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b-%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%b0-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%9c%e0%a5%87%e0%a4%95%e0%a5%8d/#respond Sat, 13 Feb 2021 22:37:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=435

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नैनीताल. जहां एक ओर चमोली (Chamoli) में जल विद्युत परियोजनाओं (Hydropower Projects) पर संशय बन गया है. वहीं सरकार के आय का साधन भी खुल गया है. राज्य सरकार द्वारा जल विद्युत उत्पादन पर वाटर टैक्स लगाए जाने वाले एक्ट को सही ठहराते हुए हाईकोर्ट (High Court) ने विभिन्न हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट कंपनियों द्वारा दायर की याचिकाएं खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने 2016 में इस एक्ट के क्रियान्वयन में रोक लगाई थी. हाईकोर्ट के इस आदेश से उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) को राहत मिली है, लेकिन हाइड्रो पावर कंपनियों और उत्तर प्रदेश विद्युत निगम ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील करने का निर्णय लिया है.

क्या था मामला

आपको बता दें की राज्य बनने के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य की नदियों में जल विद्युत परियोजनाएं लगाए जाने के लिए विभिन्न कंपनियों को आमंत्रित किया और उत्तराखण्ड ,उत्तर प्रदेश राज्यों व जल विद्युत कम्पनियों के मध्य करार हुआ. इसमें तय हुआ कि कुल उत्पादन के 12 फीसदी बिजली उत्तराखण्ड को निशुल्क दी जाएगी, जबकि शेष बिजली उत्तर प्रदेश को बेची जाएगी. लेकिन 2012 में उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड वाटर टैक्स ऑन इलैक्ट्रिसिटी जनरेशन एक्ट बनाकर जल विद्युत कम्पनियों पर वायर की क्षमतानुसार 2 से  10 पैंसा प्रति यूनिट वाटर टैक्स लगा दिया. इसे अलकनन्दा पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, टीएचडीसी,एनएचपीसी, स्वाति पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड,भिलंगना हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट,जय प्रकाश पावर वेंचर प्राइवेट लिमिटेड आदि ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने ये याचिकाएं खारिज करते हुए कहा गया है कि विधायिका को इस तरह का एक्ट बनाने का अधिकार है. यह टैक्स पानी के उपयोग पर नहीं बल्कि पानी से विद्युत उत्पादन पर है जो संवैधानिक दायरे के भीतर बनाया गया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता कम्पनियों के पक्ष में 26 अप्रैल 2016 को जारी अंतरिम रिलीफ ऑर्डर को भी निरस्त कर दिया जिसमें राज्य सरकार द्वारा इन कंपनियों को  विद्युत उत्पादन जल कर की करोड़ों रुपये के बकाए की वसूली के लिए नोटिस दिया था.

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सरकार का खुला आय का साधन

दरअसल, चमोली के तपोवन में आई आपदा के बाद कई पर्यावरणविद् राज्य में जल विद्युत परियोनाओं के होने या ना होने पर सवाल उठा रहे हैं. लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब वाटर टैक्स भी इन जल विद्युत परियोजनाओं से लिया जा सकेगा. जानकार मानते हैं कि इससे 3 से 4 सौ करोड़ की सालाना आय राज्य सरकार को होगी. हांलाकि एकलपीठ के फैसले को डबल बेंच में चुनौती देने की तैयारी चल रही है. जल विद्युत परियोजनाओं के अधिवक्ताओं में से एक संदीप कोठारी कहते हैं कि एकलपीठ ने जो निर्णय दिया है वो सरकार के हक में है लेकिन उनके पास अभी डबल बेंच में जाने का रास्ता बचा हुआ है जिसकी अपील की जाएगी.



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देवभूमि के साथ देश: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ न्यूज 18 तलाशेगा त्रासदी की वजह, सुझाएगा निदान– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b5%e0%a4%ad%e0%a5%82%e0%a4%ae%e0%a4%bf-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%8f%e0%a4%ae-%e0%a4%a4%e0%a5%8d/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b5%e0%a4%ad%e0%a5%82%e0%a4%ae%e0%a4%bf-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%8f%e0%a4%ae-%e0%a4%a4%e0%a5%8d/#respond Sat, 13 Feb 2021 21:24:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=433

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‘दोनों हाथ जोड़कर किसी के लिए प्रार्थना करने से बेहतर वह हाथ होता है, जो किसी ज़रूरतमंद की मदद के लिए बढ़ता है सबसे पहले’, आज जब उत्तराखंड में आई भीषण त्रासदी की खबरें हर चैनल की हेडलाइन और हर अखबार के पहले पन्ने की सुर्खियां बनी हुई हैं. आज जब पूरा देश देवभूमि में रहने और काम करने वाले अपनों की खैरियत जानने के लिए बेचैन है, तब ऐसे में एक न्यूज चैनल ऐसा भी है, जो पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट से लेकर देवभूमि आपदा की हर अपडेट सबसे पहले पहुंचाता रहा है, और वह है- News18 उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड.  हमेशा की तरह जन सरोकार में अग्रणी रहने वाला News18 उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड संकट की इस घड़ी में अपनी जिम्मेदारी बखूबी समझते हुए एक सराहनीय मुहिम भी लेकर आ रहा है- ”देवभूमि के साथ देश”, जिसका मकसद है आपदा पीड़ितों की मदद के लिए जनमानस से अपील करना और जरूरतमंदों तक हर संभव सहायता पहुंचाना, क्योंकि एक छोटी सी मदद आपदा प्रभावित लोगों को बड़ी राहत दे सकती है.

रविवार 14 फरवरी दोपहर 02 बजे से शुरू हो रही News18 उत्तर प्रदेश /उत्तराखंड और टाटा टिस्कॉन एसडी की इस खास मुहिम में उन जरूरी बिंदुओं पर बात की जाएगी, जो विगत 07 फरवरी उत्तराखंड में आई आपदा से जुड़े हैं.  News18 उत्तर प्रदेश /उत्तराखंड और टाटा टिस्कॉन एसडी की खास पेशकश ”देवभूमि के साथ देश” में पर्यावरण विशेषज्ञ एवं एक्सपर्ट्स उत्तराखंड में तबाही के आने के कारणों पर गहन चर्चा करेंगे और निष्कर्ष हासिल करेंगे. यहां हम उन असाधारण रक्षकों से भी रूबरू होंगे, जिन्होंने तपोवन के देवदूत बनकर आपदा में फंसे लोगों को बचाने में अपनी जान की भी परवाह नहीं की. इस अवसर पर आपदा पीड़ित लोगों और परिवारों की मदद के लिए भावुक अपील भी की जाएगी.

जब साक्षात मौत सामने थी, उन मुश्किल घड़ियों में कैसे बची जान. इस पेशकश में सामने आएगी रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तान. राहत कार्यों के लिए सहायता देने के साथ ही विभिन्न प्रदेशों के दिग्गज राजनेता अपने-अपने विचार भी व्यक्त करेंगे. News18 उत्तर प्रदेश /उत्तराखंड और टाटा टिस्कॉन एसडी की खास पेशकश ”देवभूमि के साथ देश” में आपदा से बचाव की दिशा में पहाड़ की तैयारियों की जानकारी भी साझा की जाएगी. इस अवसर पर यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि इस आपदा से निपटने में केदारनाथ त्रासदी वाला सबक़ कितना काम आया? उस सबक़ से सीख लेते हुए क्या क़दम उठाए गए और किस तरह पीड़ितों तक मदद पहुंचाई गई? News18 उत्तर प्रदेश /उत्तराखंड और टाटा टिस्कॉन एसडी की विशेष प्रस्तुति ”देवभूमि के साथ देश” में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा देवभूमि में चलाए जा रहे रेस्क्यू मिशन एवं राहत कार्यों की जानकारी प्रदान की जाएगी.



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Chamoli Disaster Update: SDRF और NDRF की टीम करेगी ऋषिगंगा पर बनी झील का निरीक्षण– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/chamoli-disaster-update-sdrf-%e0%a4%94%e0%a4%b0-ndrf-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9f%e0%a5%80%e0%a4%ae-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%97%e0%a4%82/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-disaster-update-sdrf-%e0%a4%94%e0%a4%b0-ndrf-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9f%e0%a5%80%e0%a4%ae-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%97%e0%a4%82/#respond Fri, 12 Feb 2021 21:33:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=415

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चमोली. ऋषि गंगा के अपर स्ट्रीम में बनी झील का मुआयना करने अब एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की एक टीम निकली है. यह टीम झील तक पहुंचकर झील की विसरित रिपोर्ट तैयार कर आलाधिकारियों को सौंपेगी. इसके बाद आगे का प्लान तैयार किया जाएगा. दरअसल, सैटेलाइट द्वारा कुछ तस्वीरें आई हैं जिसमें बताया जा रहा है कि जिस इलाके से आपदा शुरू हुई है, वहीं ऋषि गंगा के मुहाने पर एक झील तैयार हुई है. यह झील आने वाले समय में बढ़ा खतरा बन सकती है.

धरातलीय रिपोर्ट तैयार करने के लिए SDRF और NDRF की 8 सदस्य माउंटेनियरिंग टीम झील पर जाएगी. शुक्रवार को इस टीम को चमोली से रवाना किया गया है जो कि शनिवार को वापस आएगी. रास्ता पूरी तरह से टूट जाने के चलते टीम में माउंटेनियरिंग से जुड़े जवानों को ही भेजा गया है. टीम पता लगाएगी कि आखिर झील से खतरा है या नहीं या झील कितनी बड़ी है. फिर झील का पानी खुद ही निकलेगा या फिर झील को तोड़ना पड़ेगा.

डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि टीम कल वापस आएगी जिसके बाद आगे का एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा. डीजीपी का कहना है कि सैटेलाइट द्वारा कुछ इमेज देखने को मिल रही हैं लेकिन झील का सही में साइज क्या है और कितनी गहरी है, इसका पता लगाने के लिए टीम भेजी है. गुरुवार को ऋषिगंगा में पानी का स्तर बढ़ा हुआ देखने को मिला है. टीम को भेजा गया है वो अपनी रिपोर्ट देगी कि जो झील बनी है, उसका आकार कैसा है और क्या भविष्य में ये झील नुकसानदेह होगी या नहीं.

आगे का प्लान भी इसी के मुताबिक तैयार किया जाएगा. आपको बता दें कि पहाड़ों में अक्सर देखा गया है कि झील-ग्लेशियर के मुहाने पर बनती है. वो अक्सर खतरा पैदा करती है. इसके लिए जरूरत है कि मोरेन पर बनी झील से जल्द पानी निकास हो. अन्यथा आने वाले समय में खतरा पैदा कर सकती है.



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चमोली त्रासदी: रेस्क्यू ऑपेरशन में आ रही दिक्कतें, राज्यपाल ने भी किया इलाके का दौरा– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%82-%e0%a4%91-2/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%82-%e0%a4%91-2/#respond Fri, 12 Feb 2021 01:31:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=475

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चमोली. चमोली त्रासदी घटना के पांच दिन हो गए हैं. टनल में फंसे लोगों तक पहुंचने में सफलता नहीं मिल पा रही है. डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में अब दिक्कतें आने लगी हैं. एनटीपीसी के ही अधिकारियों को टनल के अंदर की स्थिति का पता है, इसलिये उनके साथ ही स्ट्रैटेजी के साथ ही अब रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. सुबह 3 बजे से ड्रिल के जरिये जो खुदाई चल रही थी, वह फिलहाल ड्रिल मशीन के टूटने के वजह से रुक गई है.

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार दोपहर 12:30 बजे तक बचाव दल ने 204 लापता में से 35 शव बरामद किए हैं. 10 शवों की शिनाख्त की गई है. ऋषिगंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी भी हो रही है. पुलिस अधीक्षक चमोली यशवंत सिंह चौहान ने नदी के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को अलर्ट किया है.

वहीं राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने भी चमोली के आपदाग्रस्त तपोवन इलाके का दौरा कर राहत और बचाव कार्यों का जायजा लिया. अधिकारियों और कार्मिकों से बात करके राहत और बचाव कार्यों की जानकारी ली. साथ ही निर्देश दिए कि रेस्क्यू ऑपरेशन तीव्रता से निरंतर चलते रहना चाहिए. रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे कार्मिकों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. राज्यपाल ने आपदा में लापता लोगों के परिजनों से मुलाकात की और उनको हर संभव सहायता पहुंचाने का आश्वासन दिया. उन्होंने प्रभावित गांवों में रेडक्रास के माध्यम से भी सहायता देने के निर्देश दिए.

मीडिया से अनौपचारिक बातचीत के दौरान राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि हमें राहत एवं बचाव कार्य में लगे कार्मिकों की भी चिंता करनी होगी. उन्होंने कहा कि पुलिस, प्रशासन, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ एवं आईटीबीपी के सभी अधिकारी एवं कार्मिक गंभीरता एवं प्रतिबद्धता से कार्य कर रहे हैं. उम्मीद है कि जल्द से जल्द प्रभावित टनल खुले, लोगों को मदद पहुंचाई जा सके. आपदा सचिव एसए मुरुगेशन का कहना है कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरा करने का जल्द से जल्द प्रयास किया जा रहा. हालांकि दिक्कत आ रही है लेकिन अधिकारियों की टीम लगातार इस कोशिश में है कि कैसे चैनल को खोलकर फंसे लोगों को बचाया जा सके.



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