चीन सीमा – India Times https://indiatimes24x7.com National News Portal Mon, 16 Aug 2021 11:40:13 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://indiatimes24x7.com/wp-content/uploads/2021/12/cropped-india-times-24x7-1-32x32.png चीन सीमा – India Times https://indiatimes24x7.com 32 32 पिथौरागढ़: चीन बॉर्डर को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क 2 महीने से बंद, दर्जनों गांव के लोग कैद https://indiatimes24x7.com/people-of-dozens-of-villages-imprisoned-for-2-months-important-road-connecting-pithoragarh-china-border/ https://indiatimes24x7.com/people-of-dozens-of-villages-imprisoned-for-2-months-important-road-connecting-pithoragarh-china-border/#respond Mon, 16 Aug 2021 11:32:45 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%aa%e0%a4%bf%e0%a4%a5%e0%a5%8c%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%a2%e0%a4%bc-%e0%a4%9a%e0%a5%80%e0%a4%a8-%e0%a4%ac%e0%a5%89%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a1%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%9c/

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पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ (Pithoragarh) जिले के धारचूला तहसील में चीन बॉर्डर (China Border) को जोड़ने वाली सड़क बीते दो महीने से बंद है. इससे इलाके के दर्जनों गांवों का बाहरी दुनिया से संपर्क कट सा गया है. सोबला-ढाकर रोड के बंद होने से दारमा और चौंदास घटियों के इन गांवों के लोग कैद होकर रह गए हैं. अब हालात यह है कि इन गांवों में रोजमर्रा की चीजें खत्म होने लगी हैं.

बीते 16 जून को आई आसमानी आफत से दारमा और चौंदास घाटी को जोड़ने वाली सड़क तबाह और बर्बाद हो गई थी. हालात यह है कि बॉर्डर को जोड़ती यह महत्वपूर्ण सड़क दर्जनों जगह बंद पड़ी है. कई पुल भी जमींदोज हुए हैं. लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी सीपीडब्ल्यूडी सड़क नहीं खोल पाई है. यह सड़क बंद होने से भारत-चीन सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं, साथ ही दर्जनों गांव के लोग भी कैद हो गए हैं. क्षेत्र के विधायक हरीश धामी का कहना है कि वो इस मुद्दे को विधानसभा के मॉनसून सत्र में उठाएंगे. अगर सरकार ने लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की तो वो विधानसभा में ही धरना शुरू कर देंगे.

हजारों लोगों की लाइफलाइन है बॉर्डर की यह रोड
सड़क बंद होने से दोनों घाटियों के 50 गांवों का बाकी देश-दुनिया से संपर्क कट गया है. कई गांवों के हालात इस कदर खराब हैं कि यहां रोजमर्रा की चीजें खत्म हो गईं हैं. गांव की छोटी दुकानों में जो भी बचा-खुचा सामान है उसकी कीमत कई गुना बढ़ गई है. कहने को तो सरकार ने यहां एक हेलीकॉप्टर तैनात किया है. लेकिन खराब मौसम ने हेलीकॉप्टर को सफेद हाथी बना दिया है. ऐसे में सबसे अधिक संकट बीमार लोगों पर मंडरा रहा है. इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर एक पीएससी भी नहीं है.

जिलाधिकारी (डीएम) आशीष चौहान ने सीपीडब्ल्यूडी को मलबा हटाकर सड़क को जल्द खोलने के निर्देश दिए हैं. साथ ही पूरे मामले से शासन को भी अवगत करा दिया गया है. उन्होंने कहा कि शासन से जो भी निर्देश मिलेंगे उन पर गंभीरता से अमल किया जाएगा.

दो महीने गुजरने पर भी आसान नही रोड का खुल पाना
सीमा को जोड़ने वाली इस सड़क के जो हालात हैं, उसे देखते हुए कहा जा रहा है कि निकट भविष्य में भी इसके खुलने के आसार नहीं है. ऐसे में तय है कि सीमांत क्षेत्र में रहने वालों को जल्द राहत नहीं मिलने वाली है. बेहतर होता कि किसी अन्य प्लान पर गंभीरता से अमल किया जाए, ताकि हजारों लोगों की बेपटरी हो चुकी जिंदगी दोबारा पटरी पर आ सके.

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चीन बॉर्डर के करीब बसा यह गांव कभी भी इतिहास के पन्नों में हो सकता है दर्ज, जानें वजह… https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a5%80%e0%a4%a8-%e0%a4%ac%e0%a5%89%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a1%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%ac-%e0%a4%ac%e0%a4%b8%e0%a4%be-%e0%a4%af%e0%a4%b9-%e0%a4%97/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a5%80%e0%a4%a8-%e0%a4%ac%e0%a5%89%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a1%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%ac-%e0%a4%ac%e0%a4%b8%e0%a4%be-%e0%a4%af%e0%a4%b9-%e0%a4%97/#respond Mon, 21 Jun 2021 12:30:05 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=2359

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नदी और ग्लेशियर तिदांग गांव की 80 फीसदी जमीन निगल चुके हैं. अब सिर्फ कुछ ही घर बचे हैं जिनमें सैकड़ों जिंदगियां साल के छह महीने रहने आतीं हैं

नदी और ग्लेशियर तिदांग गांव की 80 फीसदी जमीन निगल चुके हैं. अब सिर्फ कुछ ही घर बचे हैं जिनमें सैकड़ों जिंदगियां साल के छह महीने रहने आतीं हैं

कभी जो गांव नदी और नाले से 80 फीट ऊंचा हुआ करता था, आज धौली नदी उसके बराबर जा पहुंची है. तिदांग गांव (Tidang Village) को नीचे से धौली नदी काट रही है. तो दाएं और बाएं तरफ से ग्लेशियर इसको अपनी चपेट में ले रहा है. हर साल नदी और ग्लेशियर के साथ बह कर आने वाले भारी मलबे से गांव नदी के करीब पहुंच गया है

पिथौरागढ़. चीन सीमा (China Border) के करीब बसा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ (Pithoragarh) जिले का तिदांग गांव (Tidang Village) कभी भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सकता है. पलायन के लिए जाने जाने वाले इस गांव में सौ से अधिक परिवारों पर हर वक्त मौत के बादल मंडराते हैं. गांव को बचाने का वादा तो कइयों ने किया, लेकिन इनका हकीकत से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है.

बारह हजार फीट की ऊंचाई पर दारमा घाटी में बसा तिदांग गांव प्रकृति के सौंदर्य से लबरेज है. नदी, ग्लेशियर, हरे-भरे पेड़ इसकी सुंदरता को चार-चांद लगाते हैं. लेकिन यही प्राकृतिक खूबसूरती इस गांव की सबसे बड़ी दुश्मन बन गई है. हालात यह है कि कभी जो गांव नदी और नाले से 80 फीट ऊंचा हुआ करता था, आज धौली नदी उसके बराबर जा पहुंची है. तिदांग गांव को नीचे से धौली नदी काट रही है. तो दाएं और बाएं तरफ से ग्लेशियर इसको अपनी चपेट में ले रहा है. हर साल नदी और ग्लेशियर के साथ बह कर आने वाले भारी मलबे से गांव नदी के करीब पहुंच गया है. तिदांग के पूर्व प्रधान रमेश तितयाल बताते हैं कि उन्होंने कई बार नेताओं और अधिकारियों से गांव को बचाने की गुहार लगाई है. लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता आया है.

तिदांग के निवासी बताते हैं कि गांव को बचाने के लिए केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार भी भरोसा दिला चुके हैं. लेकिन बरसों बीत जाने के बाद भी कुछ हुआ नहीं. इस गांव की पहचान इसलिए भी है कि यहीं से निकलकर डॉ. जीवन सिंह तितयाल ने नेत्र सर्जन के रूप में राष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाई थी. डॉ. जीवन सिंह तितयाल को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है. इतनी बड़ी हस्ती से जुड़ा होने के बाद भी तिदांग गांव साल दर साल प्रकृति के जलजले में सिमटता जा रहा है. स्थानीय मामलों के जानकार शालू दताल कहते हैं कि तिदांग गांव तीन तरफ से कट रहा है. अगर यह जारी रहा तो तय है कि जल्द ही गांव का वजूद समाप्त हो जाएगा.

नदी और ग्लेशियर तिदांग गांव की 80 फीसदी जमीन निगल चुके हैं. अब सिर्फ कुछ ही घर बचे हैं जिनमें सैकड़ों जिंदगियां साल के छह महीने रहने आतीं हैं. आपदा प्रबंधन के नाम पर सरकारें हर वर्ष करोड़ों रूपये बहाती हैं, लेकिन लगता है सरकार के नक्शे से तिदांग गांव पहले ही गायब है. यह कहानी सिर्फ तिदांग की नहीं है, बल्कि चीन सीमा से लगे कई गांवों के हालात कुछ ऐसे ही हैं जिनके लिए बरसात मौत से कम नहीं है.





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