चमोली – India Times https://indiatimes24x7.com National News Portal Sun, 03 Oct 2021 04:15:47 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://indiatimes24x7.com/wp-content/uploads/2021/12/cropped-india-times-24x7-1-32x32.png चमोली – India Times https://indiatimes24x7.com 32 32 महिलाओं को ‘जंगली फलों’ से मिला रोजगार, विदेशों में भी चमोली के इन उत्पादों की मांग https://indiatimes24x7.com/women-got-employment-from-wild-fruits-demand-for-these-chamoli-products-abroad/ https://indiatimes24x7.com/women-got-employment-from-wild-fruits-demand-for-these-chamoli-products-abroad/#respond Sat, 02 Oct 2021 02:58:10 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%93%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%9c%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ab%e0%a4%b2%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%ae/

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चमोली जिले के कालेश्वर में महिलाएं घरेलू और जंगली फलों और फसलों से उत्पाद बना रही हैं और इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है. हार्क अलकनन्दा स्वायत्त समिति के अंतर्गत घाटी के 40 गांवों की महिलाएं इस काम से जुड़ी हैं. जंगल में पैदा होने वाले विशेष औषधीय गुणों के फल और सब्जी जैसे- लेंगुडा, काफल, बेल, बुरांश, तिमला और तुलसी से यह प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं, जिनकी मांग स्थानीय बाजारों के अलावा विदेशों तक में हो रही है.

वर्तमान में इस समिति के अंतर्गत महिलाओं द्वारा 50 से अधिक उत्पादों से जैम, चटनी, अचार और जूस तैयार किए जा रहे हैं. वहीं मीठी तुलसी से तैयार की जा रही विभिन्न प्रकार की चायपत्ती काफी डिमांड में है.

बता दें कि अलकनन्दा स्वायत्त समिति से वर्तमान में स्थाई और अस्थाई तौर पर करीब 1500 महिलाएं जुड़ी हैं, जो सालाना 70 से 80 हजार रुपये तक कमा रही हैं. हिमालयन रिसर्च एक्शन सेंटर द्वारा इन उत्पादों को प्रमोट और इनकी मार्केटिंग का काम किया जा रहा है.

हार्क अलकनन्दा स्वायत्त समिति के गठन की बात करें तो इसका गठन साल 2009 में हुआ था. हिमालयन एक्शन रिसर्च सेंटर के सहयोग से अलकनन्दा घाटी के आसपास के गांवों के महिला स्वयं सहायता समूहों को को-ऑपरेटिव सोसाइटी में बदल दिया गया. इस काम में हार्क संस्था के संस्थापक डॉक्टर महेंद्र कुंवर ने अहम रोल निभाया था. पहले समूहों को सिर्फ बचत खाता और लोन संबंधी गतिविधियों से जोड़ा गया लेकिन बाद में उन्हें रोजगार से जोड़ने के मकसद से कालेश्वर में सोसाइटी का प्लांट तैयार कर फूड प्रोसेसिंग की कई मशीनें लगाईं और फिर महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई.

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Earthquake in Uttarakhand: उत्तराखंड में आधी रात के बाद डोली धरती, रिक्‍टर स्‍केल पर 4.3 मापी गई तीव्रता https://indiatimes24x7.com/earthquake-in-uttarakhand-%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%86%e0%a4%a7%e0%a5%80-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%a4/ https://indiatimes24x7.com/earthquake-in-uttarakhand-%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%86%e0%a4%a7%e0%a5%80-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%a4/#respond Mon, 24 May 2021 05:51:26 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=1937

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सोमवार की रात करीब 12 बजकर 31 मिनट पर आया भूकंप.

सोमवार की रात करीब 12 बजकर 31 मिनट पर आया भूकंप.

Earthquake News: उत्‍तराखंड के चमोली (Chamoli), पौड़ी, गढ़वाल और देहरादून में सोमवार की रात भूकंप के झटके महसूस किए गए.

देहरादून. उत्तराखंड में भूकंप (Earthquake) के झटके लगे हैं. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, आधी रात के बाद 12.31 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्‍टर स्‍केल पर इसकी तीव्रता 4.3 मापी गई. चमोली (Chamoli), पौड़ी, गढ़वाल और देहरादून में ये झटके महसूस किए गए. इसका केंद्र चमोली के जोशीमठ से 44 किलोमीटर उत्‍तर-पश्चिम में बताया गया है. हालांकि अब तक भूकंप से किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई जानकारी नहीं मिली है. बता दें कि इससे पहले 12 फरवरी की रात को भूकंप के झटकों ने उत्तराखंड की धरती को हिला दिया था. उस समय प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे और दहशत की वजह से लोग अपने घरों से बाहर आ गए थे. हालांकि भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान था और तीव्रता 6.3 आंकी गई थी. वैसे चमोली भूकंप को लेकर काफी संवेदनशील है. बहरहाल, हाल ही में ताउते तूफान की वजह से उत्तराखंड में भारी बारिश हुई थी. इस दौरान चमोली में बारिश की वजह से कई सरकारी भवन और निजी दुकानें जमींदोज हो गई थीं. इसके अलावा बद्रीनाथ हाइवे पर तीन जगह लैंडस्‍लाइड हुआ था. इससे पहले चमोली में ग्‍लेशियर टूटने से 7 फरवरी को आई आपदा में 200 से ज्‍यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. यह हादसा काफी चर्चा में रहा था. उस समय उत्तराखंड में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत थे. हालांकि कुछ समय बाद उनकी जगह भाजपा ने तीरथ सिंह रावत को सीएम बना दिया.





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देहरादून: CM तीरथ सिंह रावत ने हेलीकॉप्टर से लिया हिम्सखलन इलाके का जायजा, देखें तस्वीरें https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a5%82%e0%a4%a8-cm-%e0%a4%a4%e0%a5%80%e0%a4%b0%e0%a4%a5-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%a4-%e0%a4%a8/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a5%82%e0%a4%a8-cm-%e0%a4%a4%e0%a5%80%e0%a4%b0%e0%a4%a5-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%a4-%e0%a4%a8/#respond Sat, 24 Apr 2021 08:19:15 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=1636

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सेना के मुताबिक़ अब तक 384 लोगों को बचाया और उन्हें सुरक्षित जगह पर ले जाया गया, जिनमें 6 लोग गंभीर है. जबकि 8 शव अब तक बरामद हुए. दरअसल पिछले 5 दिन से लगातार बर्फबारी और बारिश के चलते सुमना के पास शुक्रवार को शाम क़रीब 4 बजे सुमना रिमखिम रोड से 4 किलोमीट आगे हिम्सखलन आ गया, जिसमें बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइज़ेशन का एक कार्यालय और दो लेबर कैंप उसकी चपेट में आ आ गए.



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Uttarakhand: कोरोना जांच में निगेटिव आने के बाद ही मिलेगा मंत्री-विधायकों को बजट सत्र में प्रवेश https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%9a-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%97%e0%a5%87%e0%a4%9f%e0%a4%bf%e0%a4%b5/ https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%9a-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%97%e0%a5%87%e0%a4%9f%e0%a4%bf%e0%a4%b5/#respond Tue, 23 Feb 2021 16:44:39 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=639

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उत्तराखंड: कोरोना जांच में निगेटिव होने के बाद ही मिलेगा मंत्री-विधायकों को बजट सत्र में प्रवेश.

उत्तराखंड: कोरोना जांच में निगेटिव होने के बाद ही मिलेगा मंत्री-विधायकों को बजट सत्र में प्रवेश.

उत्तराखंड के चमोली जिले स्थित गैरसैंण में आयोजित हो रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंत्री, विधायक और अधिकारियों को कोरोना जांच निगेटिव होने पर ही प्रवेश मिलेगा. सत्र के दौरान आरटीपीसीआर जांच सभी के लिए अनिवार्य कर दी गई है.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 23, 2021, 10:14 PM IST

चमोली. उत्तराखंड के चमोली जिले स्थित गैरसैंण में आयोजित हो रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंत्री, विधायक और अधिकारियों को कोरोना जांच निगेटिव होने पर ही प्रवेश मिलेगा. सत्र के दौरान आरटीपीसीआर की नेगेटिव जांच रिपोर्ट के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा. आरटीपीसीआर जांच सभी के लिए अनिवार्य कर दी गई है. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने मंगलवार को बजट सत्र के दौरान कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सत्र की तैयारी करने के निर्देश दिए हैं.

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने मंगलवार को कहा कि सत्र के दौरान पुलिस, स्वास्थ्य, बिजली, पानी सहित सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखा जाए. उन्होंने कोरोना संक्रमण को लेकर विशेष तौर से अहतियात बरतने को कहा है. उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान एसओपी का कड़ाई से पालन किया जाए. प्रवेश द्वार पर सभी की थर्मल स्कैनिंग एवं सैनिटाइजेशन कराया जाना है.

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सत्र में प्रवेश के लिए विधायकों के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट अनिवार्य किया गया है. सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी जांच करानी होगी. स्वास्थ्य विभाग को इसके लिए गैरसैंण में भी व्यवस्था करने को कहा गया है. सत्र के दौरान दर्शक व अधिकारी दीर्घा के पास जारी नहीं होंगे. कोरोना संक्रमण को लेकर सावधानी बरतते हुए इस बार बजट सत्र में दर्शक दीर्घा एवं अधिकारी दीर्घा में किसी व्यक्ति को प्रवेश पत्र जारी नहीं होगा. गैर सरकारी व्यक्ति परिसर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे. विधायकों के साथ आने वाले सहवर्ती लोगों का प्रवेश विधान सभा भवन में वर्जित होगा. महाराष्ट्र समेत देश में कई जगहों से कोरोना संक्रमण के बढऩे की खबरों को लेकर विधानसभा सत्र के दौरान विशेष तौर पर सतर्कता और सावधानी के निर्देश दिए गए हैं.






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Chamoli Tragedy: तपोवन सुरंग से दो और शव मिले, मृतकों की संख्या बढ़कर हुई 67 https://indiatimes24x7.com/chamoli-tragedy-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%82%e0%a4%97-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%a6%e0%a5%8b-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b6%e0%a4%b5-%e0%a4%ae/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-tragedy-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%82%e0%a4%97-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%a6%e0%a5%8b-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b6%e0%a4%b5-%e0%a4%ae/#respond Sun, 21 Feb 2021 06:59:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=598

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इसके अलावा, 137 लोग अब भी लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है. (फाइल फोटो)

इसके अलावा, 137 लोग अब भी लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है. (फाइल फोटो)

Chamoli Glacier Burst Tragedy: चमोली हादसे में अब तक 137 लोग लापता हैं. रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने की वजह से अचानक आई बाढ़ से ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान.

तपोवन. उत्तराखंड में तपोवन सुरंग (Tapovan Tunnel) से बचाव दलों ने शनिवार देर रात दो और शव बरामद किए जबकि सात फरवरी से चमोली के आपदाग्रस्त क्षेत्र में दबे लोगों की तलाश के लिए अभियान लगातार जारी है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम ने तपोवन सुरंग से शनिवार देर रात दो और शव बरामद किए, जबकि शनिवार शाम को भी तीन शव निकाले गए थे.

एनडीआरएफ टीम ने बैराज साइट पर अब तक पांच शव निकाले हैं जिसके साथ ही अब तक आपदा में मारे गए 67 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं. इसके अलावा, 137 लोग अब भी लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है.  चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बैराज साइट पर अतिरिक्त उत्खनक (एक्स्कवेटर) मशीन लगवा कर काम शुरू करवाया है. चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में आई बाढ़ के समय एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520 मेगावाट तपोवन- विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना को हुई भारी क्षति के अलावा, रैंणी में स्थित 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना भी बाढ़ से पूरी तरह तबाह हो गई थी.

पैदल झील तक पहुंचने की कोशिश करेगी
वहीं, कल खबर सामने आई थी कि उत्तराखंड के रैणी में हुए हिमस्खलन के बाद ऋषिगंगा के ऊपर बनी कृत्रिम झील का निरीक्षण करने के लिए रिसर्चरों का एक दल शनिवार को पैंग गांव पहुंचा, जो इसका आकलन करेगा कि इससे (कृत्रिम झील) नीचे के क्षेत्र के लिए कितना बड़ा खतरा पैदा हुआ है. टीम का नेतृत्व उत्तराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (यूएसएसी) के निदेशक एमपीएस बिष्ट कर रहे हैं. इस टीम में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और यूएसएसी से चार-चार वैज्ञानिक शामिल हैं. यह टीम शनिवार शाम या रविवार तक पैदल झील तक पहुंचने की कोशिश करेगी.ऋषिगंगा के ऊपर बनी झील का निरीक्षण करेंगे
चूंकि रैणी ग्राम पंचायत के आसपास के क्षेत्र में सड़कें हाल ही में आई बाढ़ में बह गई हैं और विशाल इलाका दलदल में तब्दील हो गया है, इसलिए टीम के सदस्यों की झील तक की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया गया है. टीम के साथ नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग का एक पर्वतारोही दल और एसडीआरएफ के जवान भी हैं. यूएसएसी के निदेशक बिष्ट ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हम हिमस्खलन के कारण राउथी धारा से भारी मात्रा में आई गाद से ऋषिगंगा के ऊपर बनी झील का निरीक्षण करेंगे.’’






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चमोली ग्राउंड रिपोर्टः 200 मीटर ऊंचा मकान भी सैलाब की भेंट चढ़ा, एक कमरे में सिमटी तीन जिंदगियां– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%89%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%83-200-%e0%a4%ae/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%89%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%83-200-%e0%a4%ae/#respond Wed, 17 Feb 2021 12:29:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=505

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चमोली. चमोली (Chamoli) की आपदा में सबसे पहले ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट (Rishiganga Power Project) तबाह हुआ था. इस क्षेत्र में मलबा करीब ढाई सौ मीटर ऊपर तक देखा जा सकता है. नदी से 250 मीटर ऊपर बिजली के पोल भी आपको मिट्टी से लिपटे हुए मिलेंगे. ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के पास ही करीब दो सौ मीटर ऊपर रैणी पल्ली गांव में 80 साल की सौंणि देवी 29-साल की बेटी मंजू रावत के साथ रहती थी. सात फ़रवरी की सुबह सौंणि देवी (Sauni Devi) पानी लेने गांव से कुछ दूर चली गई. घर में अकेली बेटी मंजू थी. इसी बीच घर के नीचे खेतों में चुगाने के लिए जानवरों को लेकर आई उसकी सहेली रजनी राणा अपनी पांच साल की भतीजी को लेकर मंजू के घर में आ गई. जबकि, गांव का ही एक अन्य व्यक्ति खेतों में अपने जानवरों के साथ बैठा हुआ था.

अचानक मंजू को लगा कि कोई हेलीकॉप्टर उनके मकान के पास आ गया. मकान हिलने लगा. तमंजू ने जैसे ही बाहर आकर देखने की कोशिश तो कई मीटर ऊपर आकर बह रहे सैलाब की हवा ने उसे कमरे के अंदर पटक दिया. सेकिंड भर में 6 कमरों का ये मकान सैलाब में डूब चुका था. मकान की छत एक और से ध्वस्त हो गई. मकान की खिड़की और मलबे के साथ मंजू के ऊपर गिर गई. सेकेंडों में आए इस अप्रत्याशित सैलाब को देख कोई कुछ नहीं समझ पाया. मंजू ने किसी तरह अपने ऊपर गिरी लोहे की खिड़की को हटाकर दूसरे कमरे में आकर जान बचाई. लेकिन तब तक इस कमरे के अलावा पूरा मकान तबाह हो चुका था. घर के भीतर मलबा घुस गया था. मंजू और उसकी सहेली मदद के लिए चिल्लाने लगी लेकिन, बाहर बवंडर थाऔर कमरे के दरवाजे मलबे से बंद हो चुके थे. इस बवंडर से घबराकर गांव वाले भी भाग चुके थे.

तीनों को सकुशल रेस्क्यू किया गया

करीब दो घंटे तक मंजू, उसकी सहेली और सहेली की पांच साल की भतीजी जिंदगी और मौत के बीच झूलते रहे. कुछ देर बाद मंजू की मां भी चीखती-चिल्लाती पहुंच गई, लेकिन वो बेबस हो गई. घर का एक कमरा बचा था और उसमें भी जाने का कोई रास्ता नहीं बचा था. इस बीच पांच साल की बच्ची प्रियंका के पिता भी वहां पहुंच गए. आनन फानन में घन मारकर कमरे की दीवार तोड़ी गई और फिर तीनों को सकुशल रेस्क्यू किया गया.



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Chamoli Glacier Break: तपोवन सुरंग में 150 मीटर के बाद कीचड़ की मजबूत दीवार, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/chamoli-glacier-break-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%82%e0%a4%97-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-150-%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%9f%e0%a4%b0-%e0%a4%95/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-glacier-break-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%82%e0%a4%97-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-150-%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%9f%e0%a4%b0-%e0%a4%95/#respond Wed, 17 Feb 2021 04:24:04 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=517

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तपोवन. उत्तराखंड के चमोली जिले (Chamoli Tragedy) में 10 दिन पहले आई विकराल बाढ़ के बाद तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे कर्मियों को सुरक्षित बाहर निकालने की हर क्षण के साथ और धूमिल होती उम्मीदों के बीच कीचड़ से भरी इस सुरंग में बचाव कार्य लगातार जारी है. चमकती लाइटें सुरंग (Tapovan Tunnel) के भीतर का दृश्य दिखाती हैं, जो गाद एवं कीचड़ से भरी है, जहां पिछले एक सप्ताह से लगातार आ-जा रहे वाहनों के निशान बने हुए हैं और गाद को बाहर निकालने की एक मशीन अब भी काम पर लगी हुई है.

अधिकारियों ने कहा कि दिन में काम की गति धीमी रही. सुरंग से उस हिस्से से अब भी पानी आ रहा है, जिसे अभी साफ किया जाना बाकी है और उस पानी को लगातार बाहर निकाला जा रहा है. इसके साथ ही और कीचड़ बाहर आ रहा है. मंगलवार शाम को एक फोटोग्राफर ढलाव वाली सुरंग के भीतर गया, जिसमें से सात फरवरी को आई बाढ़ के बाद बचाव कार्य शुरू होने के बाद से कई टन कीचड़ और मलबा और 11 शवों को बाहर निकाला जा चुका है. शुरुआत में सुरंग में करीब 30 लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही थी.

राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल बचाव प्रयासों में जुटे हैं

सुरंग के भीतर करीब 150 मीटर तक यह देखना आसान है कि बचावकर्मी क्या कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद सुरंग में कीचड़ की मजबूत दीवार है. मुन्ना सिंह और मिथलेश सिंह धौलीगंगा में अब नष्ट हो चुकी एनटीपीसी की विद्युत परियोजना में कार्यरत थे और अब वे बचाव कार्य में तैनात हैं. सिंह ने कहा कि यदि वह रविवार को ड्यूटी पर होता, तो वह भी पीड़ितों में शामिल हो सकता था, जो शव मिले हैं, वे या तो दीवारों या बंद सुरंग की छत पर चिपके थे. बचावकर्ती अमूमन चार घंटे काम करते हैं और इसके बाद नया समूह काम पर आता है. सुरंग में सांस लेना मुश्किल है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल बचाव प्रयासों में जुटे हैं.



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उत्‍तराखंड आपदा: चमोली में प्रलय के बाद सुरंग के अंदर कैसे जिंदा रहे मजदूर, सुनाई आपबीती– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e2%80%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e2%80%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87/#respond Fri, 12 Feb 2021 00:54:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=489

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नई दिल्ली. उत्‍तराखंड (Uttarakhand Disaster) के चमोली (Chamoli) में पिछले दिनों ग्‍लेशियर टूटने से धौलीगंगा नदी में आई बाढ़ के बाद के बाद मची तबाही में 170 से अधिक लोग लापता है. इनमें कई ऐसे मजदूर भी हैं जो तपोवन (Tapovan) में हाइडल पावर प्रोजेक्‍ट पर काम कर रहे थे. नदी में आई जल प्रलय के कारण प्रोजेक्‍ट की दो में से एक सुरंग में फंसे मजदूरों को रविवार को बचा लिया गया है. वहीं दूसरी सुरंग में फंसे मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश जारी है. इस बीच जो मजदूर बचकर सुरंग से बाहर निकले हैं, उन्‍होंने यह बताया है कि कैसे अंदर वे खुद को जीवित रख सके.

चमोली में ग्‍लेशियर टूटने के तुरंत बाद आई बाढ़ के कारण कई मजदूर करीब 7 घंटे तक तपोवन में स्थित सुरंग में फंसे रहे थे. उन्‍हें रविवार को शाम 5:45 बजे बचाया गया था. हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की रिपोर्ट के अनुसार उन्‍होंने बताया कि इस दौरान वे लोग सुरंग के अंदर खुद को गर्म रखने के लिए एक्‍सरसाइज करते रहे, गर्म कपड़े एक-दूसरे को देते रहे. ये मजदूर खुद को आशावान और सकारात्‍मक रखने के लिए उर्दू के दोहे पढ़ रहे थे. इसके साथ ही वे रोमांटिक और दुख भरे गाने भी एक के बाद एक गा रहे थे.

सुरंग के अंदर मौजूद एक एस्‍केवेटर और उनके मोबाइल फोन में आ रहे नेटवर्क के कारण उनमें जीवित बच जाने की आशा जगी हुई थी. उन्‍हें इंडो तिब्‍बतन बॉर्डर पुलिस ने एक इमरजेंसी दरवाजे के जरिये घुसकर बचाया था. करीब 10 से 12 मजदूर, इंजीनियर, इलेक्‍ट्रीशियन और पत्‍थर तोड़ने वाले मजदूर रविवार को सुबह 8 बजे सुरंग के अंदर काम करने गए थे.

नेपाल से काम करने आए चित्र बहादुर के अनुसार, ‘सुबह करीब 10:45 बजे हमने देखा कि कुछ लोग सुरंग से भागकर आ रहे हैं और कह रहे हैं कि यहां से भागो. हम इस पर कुछ प्रतिक्रिया देते, इससे पहले ही सुरंग बाढ़ में बंद हो गई.’

इसके बाद सभी पानी में थे. वे सुरंग के मुहाने से करीब 350 मीटर दूर थे. उनमें से 9 मजदूरों ने सुरंग की दीवार से निकली लोहे की सरिया पकड़कर ऊंचाई की ओर जाने का प्रयास किया था. सुरंग की ऊंचाई 6 मीटर है. पानी का स्‍तर बढ़ रहा था तो वे ऊंचाई पर जाकर टिक गए. उनमें से दो लोग एक्‍सेवेटर के अंदर बैठे थे. पानी के बहाव ने उसे भी बहा दिया था. लेकिन उसके अंदर ये दोनों लोग पानी से बचे रहे. उन्‍होंने पानी में बह रहे सतीश कुमार नामक इलेक्‍ट्रीशियन को भी बचाया.

नेपाल के मजदूर किरन विश्‍वकर्मा ने बताया कि जब सुरंग बंद हो गई तो वहां अंधेरा था. वहां कोई भी कुछ भी नहीं देख पा रहा था. सबने पहले पानी में तैरकर सुरंग के मुहाने तक जाने और बाहर निकलने की सोची थी. लेकिन बाद में वहां मलबे के कारण ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया.

एक्‍सेवेटर के ड्राइवर राकेश भट्ट ने बताया कि उन सभी ने बीच-बीच में 10-10 मिनट के लिए तीन-तीन लोगों के बैच को वाहन की छत पर बैठने का तय किया. इससे सभी को कुछ आराम मिल सके. वहीं बैठकर सभी बारी-बारी से खुद को गर्म रखने के लिए एक्‍सरसाइज कर रहे थे. जो लोग लोहे की रॉड पर चढ़े थे वे रस्सियां खींचकर खुद को गर्म रख रहे थे.

सभी ने दो समूह बनाए और जीवित बचने के लिए बाद में सुरंग के मुहाने की ओर बढ़ना शुरू किया. मलबा और पानी होने के कारण सभी सुरंग की दीवारों में मौजूद लोहे की रॉड को पकड़कर आगे बढ़ रहे थे. उन्‍हें 300 मीटर आगे आने में 2 घंटे से अधिक लग गए थे.

बाद में पानी सूखा और मुहाने पर मिट्टी व मलबा हटा. इसके बाद वहां दो इंच बड़ा छेद हो गया गया. इससे सभी को बाहर की रोशनी दिखने लगी थी. साथ ही ताजी हवा भी मिलने लगी थी. वेल्‍डर पवार ने बताया के सुरंग के अंदर उनके मोबाइल में नेटवर्क आ रहे थे. उन्‍होंने एनटीपीसी के अफसरों को फोन करके सबकी लोकशन बताई. इसके बाद उन्‍हें आईटीबीपी की ओर से बचाया गया.



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Glacier Burst: 72 घंटे बाद भी जिन्दगी की उम्मीद बाकी, आज सुबह मिले 33 शव, आठ की हुई शिनाख्त– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/glacier-burst-72-%e0%a4%98%e0%a4%82%e0%a4%9f%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%89/ https://indiatimes24x7.com/glacier-burst-72-%e0%a4%98%e0%a4%82%e0%a4%9f%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%89/#respond Fri, 12 Feb 2021 00:52:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=493

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 चमोली. उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) में रविवार को ऋषि गंगा नदी (Rishi Ganga River) में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के 72 घंटे बीत जाने के बाद भी जिंदगियां बचाने की जद्दोजहद ज़ारी है. आर्मी, पुलिस और अर्ध सैनिक बल के 600 से ज्यादा अफसर और जवान मिलकर हादसे के समय टनल में फंसे 25 से 35 लोगों की खोज में जुटे हैं. रविवार से ही टनल में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए दिन रात काम चल रहा है. यह एक तरह से समय के साथ दौड़ लगाने की मुहीम है, जिसमे राहत टीम कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. राहत टीम में अब नेवी के गोताखोर (Frogman) भी शामिल हो गए हैं.

अभी तक मिले 33 शव

बुधवार सुबह तक 33 शव अलग-अलग जगह से बरामद किये गए हैं. आठ मृतकों की शिनाख्त हो पाई है जिसमें से कई उत्तर प्रदेश के हैं. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, कुल 206 लोग हादसे का शिकार हुए हैं. 173 लोग अभी भी लापता हैं. इनमें से ज्यादातर दो हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट्स में काम करने वाले कर्मचारी हैं. प्रभावितों में उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश और पंजाब के निवासी शामिल हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के तीन मंत्रियों की टीम उत्तराखंड भेजी हुई है, जो अफसरों के साथ कोर्डिनेट करके यूपी के लापता लोगों की जानकारी ले रहे हैं.

कर्मचारी काल के गाल में समा गए

अब इस बीच हादसे से जुड़ा एक नया वीडियो सामने आया है, जो रौंगटे खड़े करने वाला है. वीडियो घटना के समय किसी स्थानीय व्यक्ति ने बनाया है. वीडियो में साफ़ दिख रहा है कैसे तेज बहाव के साथ आते पानी और गाद ने तपोवन प्रोजेक्ट से जुड़े कर्मचारी अपने को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन प्रकृति के आगे वो आंखिरकार हार गए. और देखते ही ही देखते बैराज पर चढ़े कर्मचारी काल के गाल में समा गए.



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चमोली बाढ़: पर्यावरणविद रवि चोपड़ा का खुलासा, 2013 केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट को किया था आगाह– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a2%e0%a4%bc-%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a4%a3%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a6-%e0%a4%b0/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a2%e0%a4%bc-%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a4%a3%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a6-%e0%a4%b0/#respond Fri, 12 Feb 2021 00:51:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=497

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नई दिल्‍ली. उत्‍तराखंड (Uttrakhand) के चमोली (Chamoli) जिले में आई बाढ़ ने 100 से ज्‍यादा जिंदगियां लील ली हैं. हालांकि इस हादसे के बाद अब उत्‍तराखंड स्थित पर्यावरणविद और 2013 में विनाशकारी केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की कमेटी के अध्‍यक्ष डॉ. रवि चोपड़ा ने बड़ा खुलासा किया है. उनका कहना है कि 2013 की महाप्रलय के बाद  सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में उन्‍होंने आपदाओं को लेकर आगाह किया था. उन्‍होंने उत्‍तराखंड की नदियों (Rivers in Uttarakhand) पर बनाए जा रहे बांधों को तत्‍काल रद्द करने की संस्‍तुति की थी. साथ ही आगाह किया था कि अगर बांध (Dam) बनते रहे तो आपदाएं आती रहेंगी.

इतना ही नहीं डॉ. रवि चोपड़ा ने न्‍यूज 18 से बातचीत में चमोली हादसे (Chamoli flood) को लेकर भी अहम जानकारियां दी हैं. साथ ही कहा है कि 2013 की घटना के बाद अगर सुप्रीम कोर्ट में दी गई रिपोर्ट पर काम हुआ होता और उत्‍तराखंड सरकार ने कदम उठाए होते तो चमोली, जोशीमठ (Joshi Math), तपोवन (Tapovan) में हुए इस हादसे से बचा जा सकता था.

2013 उत्‍तराखंड जल प्रलय के बाद ही जता दी थी अनहोनी की आशंका

रवि चोपड़ा बताते हैं कि केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) के बाद कमेटी गठित करके सुप्रीम कोर्ट ने तीन सवालों के जवाब मांगे थे. पहला सवाल था क्‍या बांधों के निर्माण के कारण उत्‍तराखंड राज्‍य में नुकसान हुआ है ? तब शोध के बाद कमेटी की ये राय थी कि हां, बांधों से कई पर्यावरणीय नुकसान हुए हैं. इस दौरान कमेटी ने सबूतों के साथ ब्‍यौरा दिया. दूसरा सवाल था कि क्‍या उत्‍तराखंड के बांधों की वजह से बाढ़ आई है, उसका नुकसान बड़ा है या नहीं ? हमने चार बांधों का अध्‍यययन करके यह सिद्ध किया कि बांधों की वजह से नुकसान बढ़ा है. बांध न होते तो इतनी क्षति न होती. ये चार बांध थे मंदाकिनी नदी पर बना फाटा ब्‍यूंग, मंदाकिनी नदी पर ही बना सिंघोली भटवारी, अलकनंदा पर विष्‍णुप्रयाग प्रोजेक्‍ट और अलकनंदा पर ही हाइड्रो पावर प्रोजेक्‍ट. तीसरा सवाल यह था कि वाइल्‍ड लाइफ इंस्‍टीट्यूट ने 2012 में संस्‍तुति की थी कि 24 बांध को अलकनंदा और भागीरथी बेसिन में रद्द कर दिया जाए. कोर्ट ने हमसे कहा कि आप इसका अध्‍ययन करके बताएं कि क्‍या करना चाहिए. तब  हमने अध्‍ययन किया जो हमारी संस्‍तुति थी कि 23 बांध तो पूरी तरह रद्द कर देने चाहिए जबकि एक बांध के डिजाइन में भारी संशोधन की जरूरत है.

2013 में केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया था. इस आपदा में 4500 लोगों की जान गई थी.

2013 में केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया था. इस आपदा में 4500 लोगों की जान गई थी.

इनके अलावा हमारे शोध से जो नई और महत्‍वपूर्ण बात निकली वह यह थी कि उच्‍च हिमालयी क्षेत्र में जहां पर घाटियों का तल 2000 मीटर से नीचे है. जैसे जोशीमठ के आगे वाला हिस्‍सा, उन घाटियों में जिन्‍हें हम पैरा ग्‍लेशियर जोन (Para Glacier Zone) कहते हैं. ये वे इलाके हैं जहां पर ग्‍लेशियर पीछे हटे थे और हटते समय भारी मलबा, चट्टानें, बड़े-बड़े पत्‍थर छोड़ गए थे.  जब भी इन इलाकों में भारी वर्षा होती है, बाढ़ आती है तो वो छोटी-छोटी नदियां जैसे ये रिषीगंगा थी, सब मलबे को उठाती हैं और नीचे चलती हैं. बाढ़ के रास्‍ते  में अगर कोई रुकावट आती है तो वे उस रुकावट को नष्‍ट कर देती हैं.

जैसे ही ये आगे बढ़ती हैं तो और शक्तिशाली हो जाती हैं और रुकावटों को तोड़ती जाती हैं. ये तब तक चलता है जब तक कि नदी का तल घट न जाए. यही चीज आपने चमोली में हाल ही में हुए हादसे में देखी है. ये बांध नहीं बनने चाहिए थे.

ग्‍लेशियर फटा है या नहीं, क्‍या है सच्‍चाई

डॉ. चोपड़ा कहते हैं कि इसी सवाल पर काम चल रहा है. यह कहना कि ग्‍लेशियर फटा (Glacier Burst) है या बादल फटा है, यह कहना इतना आसान नहीं है. इसको लेकर शोध चल रहा है. हालांकि अभी तक जो जानकारी आई है उसके अनुसार या तो ग्‍लेशियर का कोई हिस्‍सा टूटा है ऐसी संभावना दिखाई दे रही है. हालांकि ग्‍लेशियर लेक की दीवार नहीं टूटी है. या फिर पिछले एक हफ्ते में यहां बर्फ पड़ी थी और बर्फ पिघली क्‍योंकि 5 और 6 को आसमान साफ हो गया था. ऐसे इलाकों में धूप भी तेज पड़ती है. ऐसे में जैसे ही स्‍नो मेल्टिंग हुई और पानी नीचे खिसकना शुरू करता है तो वह एक एवलांच का रूप लेता है. ऐसे में दो संभावनाएं हैं.

सरकारों से नहीं आशा, 2013 की भयंकर आपदा के बाद भी नहीं उठाए कदम

रवि चोपड़ा का कहना है कि देखिए 2013 की आपदा तो इस आपदा से काफी भयंकर थी. जनहानि और मालहानि कई गुना ज्‍यादा थी लेकिन जब सरकार ने उस आपदा के बाद ही कोई खास कदम नहीं उठाया तो इसके बाद सरकार कोई सकारात्‍मक कदम उठाएगी ऐसी मुझे आशा नहीं है. बहुत जरूरी है कि जब तक समाज एकजुट होकर सरकार के ऊपर दवाब नहीं डालेगा, जब तक कोर्ट पर्यावरण (Environment) का संज्ञान नहीं लेंगे तब तक कठिन है कि सरकार अपने बल पर कुछ कर दे.

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