चमोली आपदा – India Times https://indiatimes24x7.com National News Portal Wed, 03 Mar 2021 12:05:03 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://indiatimes24x7.com/wp-content/uploads/2021/12/cropped-india-times-24x7-1-32x32.png चमोली आपदा – India Times https://indiatimes24x7.com 32 32 चमोली आपदा में ऋषिगंगा नदी पर क्षतिग्रस्त पुल फिर बना, पांच मार्च से जनता के लिए खोला जाएगा https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%97%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a4%be-%e0%a4%a8%e0%a4%a6/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%97%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a4%be-%e0%a4%a8%e0%a4%a6/#respond Wed, 03 Mar 2021 12:05:03 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=789

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बीआरओ ने दिन-रात मेहनत कर तय समय से 15 दिन पहले ही इस पुल को बनाकर तैयार कर दिया है (फाइल फोटो)

बीआरओ ने दिन-रात मेहनत कर तय समय से 15 दिन पहले ही इस पुल को बनाकर तैयार कर दिया है (फाइल फोटो)

इस परियोजना के चीफ इंजीनियर ने बताया कि 40 टन वहन क्षमता वाले और 190 मीटर लंबे इस नए बेली ब्रिज को बनाने की समय सीमा 20 मार्च थी लेकिन बीआरओ ने इस पुल को दिन-रात एक कर तय समय से 15 दिन पहले ही बना दिया. राठौड़ ने बताया कि बेली ब्रिज का काम 25 फरवरी को शुरू किया गया था जिसे पूरा करने में 250 मजदूर और बीआरओ के 25 इंजीनियर दिन-रात जुटे रहे

ऋषिकेश. उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) जिले में पिछले माह आई प्राकृतिक आपदा में बह गए ऋषिगंगा नदी (Rishiganga River) के पुल को सीमा सड़क संगठन (BRO) ने फिर से बना दिया है. शुक्रवार पांच मार्च से इसे जनता के लिए फिर से खोल दिया जाएगा. यहां बीआरओ की शिवालिक परियोजना के चीफ इंजीनियर ए.एस राठौड़ ने बताया कि इस पुल के बनने से आपदा के बाद मुख्यधारा से कट गए चमोली जिले के 13 गांव एक बार फिर से जुड़ जाएंगे.

उन्होंने बताया कि 40 टन वहन क्षमता वाले और 190 मीटर लंबे इस नए बेली ब्रिज को बनाने की समय सीमा 20 मार्च थी लेकिन बीआरओ ने इस पुल को दिन-रात एक कर तय समय से 15 दिन पहले ही बना दिया. राठौड़ ने बताया कि बेली ब्रिज का काम 25 फरवरी को शुरू किया गया था जिसे पूरा करने में 250 मजदूर और बीआरओ के 25 इंजीनियर दिन-रात जुटे रहे. परीक्षण के बाद इस पुल को पांच मार्च से जनता के लिए खोल दिया जाएगा.

बता दें कि रविवार सात फरवरी की सुबह चमोली जिले के तपोवन में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मची थी. इस हादसे के शिकार अभी तक बहत्तर लोगों के शव मिले हैं जबकि 200 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा नदी में भयानक बाढ़ आ गई थी जिससे कई इलाके प्रभावित हुए हैं. (भाषा से इनपुट)






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Chamoli Tragedy: आपदा के 18 दिन, अब तक 70 शव बरामद, 134 लापता लोगों के लिए सर्च ऑपरेशन जारी https://indiatimes24x7.com/chamoli-tragedy-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-18-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-%e0%a4%85%e0%a4%ac-%e0%a4%a4%e0%a4%95-70-%e0%a4%b6%e0%a4%b5-%e0%a4%ac%e0%a4%b0%e0%a4%be/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-tragedy-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-18-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-%e0%a4%85%e0%a4%ac-%e0%a4%a4%e0%a4%95-70-%e0%a4%b6%e0%a4%b5-%e0%a4%ac%e0%a4%b0%e0%a4%be/#respond Wed, 24 Feb 2021 13:45:36 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=655

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चमोली आपदा में अभी 134 लोग लापता हैं.

चमोली आपदा में अभी 134 लोग लापता हैं.

Chamoli Glacier Burst Tragedy: चमोली जिले में आपदा में अब मरने वालों की संख्‍या 70 हो गई है. हालांकि 134 लापता लोगों की तलाश और बचाव के लिए अभियान अभी जारी है.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 24, 2021, 7:15 PM IST

चमोली. उत्तराखंड के चमोली जिले में आपदा (Chamoli Glacier Burst Tragedy) प्रभावित क्षेत्रों में बुधवार को 18वें दिन भी तलाश और बचाव अभियान जारी रहा. आपदा के बाद से अब तक 70 शव निकाले जा चुके हैं. इस बात की जानकारी पुलिस की ओर से जारी बुलेटिन में दी गयी है. चमोली पुलिस (Chamoli Police) की ओर से जारी मीडिया बुलेटिन में बताया गया है कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों से अब तक 70 शव और 29 मानव अंग बरामद हो चुके हैं जिनमें से 40 शवों और एक मानव अंग की पहचान की जा चुकी है.

इसके अलावा जोशीमठ पुलिस थाने में मंगलवार को एक और लापता व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है. तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना में कार्यरत ऋत्विक कंपनी ने अपने एक और कामगार के लापता होने की सूचना थाने को दी है. त्रासदी के बाद से अब तक 134 लोग लापता हैं जिनकी तलाश के लिए लगातार तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. बुलेटिन में कहा गया है कि 58 शवों, 28 मानव अंगों तथा आपदा का शिकार हुए लोगों के 110 परिजनों के डीएनए नमूने देहरादून स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में मिलान के लिए भेज दिए गए हैं.

बता दें कि चमोली में 7 फरवरी को आई आपदा में लापता लोगों की तलाश के लिए चमोली की ऋषिगंगा और धौलीगंगा घाटी के साथ ही तपोवन टनल और बैराज साइट पर पिछले 18 दिन से सर्च अभियान लगातार जारी है. अब इन सभी लापता 134 लोगों को मृत घोषित करने के लिए सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. केंद्र से मिले दिशा निर्देशों के बाद उत्तराखंड सरकार ने यह कदम उठाया है. यही नहीं, चमोली ग्लेशियर हादसे में एनटीपीसी के तपोवन में स्थित पावर प्रोजेक्ट में 140 लोग बाढ़ की चपेट में आ गए थे. एनटीपीसी ने इन सभी लोगों के परिजनों को 20-20 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की है. कई परिवारों को यह मुआवजा दिया भी जा चुका है. इसके अलावा राज्य सरकार ने 4 लाख और केंद्र ने प्रधानमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपए देने की घोषणा की है.






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चमोली आपदा: झील के नजदीक पहुंची ITBP, हेलीपैड बनाने की तैयारी, देखें VIDEO– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%9d%e0%a5%80%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a4%9c%e0%a4%a6%e0%a5%80%e0%a4%95-%e0%a4%aa%e0%a4%b9/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%9d%e0%a5%80%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a4%9c%e0%a4%a6%e0%a5%80%e0%a4%95-%e0%a4%aa%e0%a4%b9/#respond Wed, 17 Feb 2021 12:58:38 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=511

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चमोली. उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) जिले में आए त्रासदी के बाद बचाव कार्य लगातार जारी है. आईटीबीपी के साथ डीआरडीओ (DRDO) की टीम ने मैदान में मोर्चा संभाल रखा है. बुधवार को आईटीबीपी (IYBP) की एक टीम ठीक उसी स्थान पर पहुंची जहां एक झील बनी है. टीम ने आस-पास के इलाके का निरीक्षण किया है. इसके साथ ही इलाके में आईटीबीपी  हेलीपैड भी विकसित कर रही है. बेस कैंप मुरंडा में बनाया गया है. डीआरडीओ के अधिकारी भी आईटीबीपी के साथ हैं. इधर, तपोवन टनल में लगातार राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है. टनल में कीचड़ भरा हुआ है. फिलहाल, सुरंग (Tapovan Tunnel) में बचाव कार्य लगातार जारी है.

इधर,  जल प्रलय में अब तक 58 शव मिल चुके हैं. बीती रात को दो और शव मिले हैं. तपोवन टनल में 145 मीटर खुदाई की जा चुकी है. टनल से थोड़ा पानी निकल रहा है, इसलिए पंप लगाकर वहां से पानी बाहर निकाला जा रह है. तपोवन और रैणी में सर्च और बचाव अभियान चल रहा है.

अध्ययन में जुटे वैज्ञानिक

चमोली जिले में आपदा के बाद से वैज्ञानिक ग्लेशियरो को लेकर अलग-अलग तरीके से अध्ययन में जुटे हुए हैं. राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियर के साथ उस जगह की घाटी और क्षेत्र का भी अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि लोगों को समय समय पर जागरूक किया जा सके. ग्लेशियर झीलों के टूटने से आने वाली तबाही और बचाव के लिए राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के सहयोग से डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथरिटी ने 10 चेप्टर की गाइड लाइन तैयार की है. इसमें स्विजरलैंड की सिवस एजेंसी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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टनल में कीचड़ से परेशानी

तपोवन टनल के भीतर करीब 150 मीटर तक यह देखना आसान है कि बचावकर्मी क्या कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद सुरंग में कीचड़ की मजबूत दीवार है. मुन्ना सिंह और मिथलेश सिंह धौलीगंगा में अब नष्ट हो चुकी एनटीपीसी की विद्युत परियोजना में कार्यरत थे और अब वे बचाव कार्य में तैनात हैं. सिंह ने कहा कि यदि वह रविवार को ड्यूटी पर होता, तो वह भी पीड़ितों में शामिल हो सकता था, जो शव मिले हैं, वे या तो दीवारों या बंद सुरंग की छत पर चिपके थे. बचावकर्ती अमूमन चार घंटे काम करते हैं और इसके बाद नया समूह काम पर आता है. सुरंग में सांस लेना मुश्किल है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल बचाव प्रयासों में जुटे हैं.



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Uttarakhand Disaster: फिर रुका बचाव कार्य, रास्ते में आई चट्टान, ड्रोन से ऋषिगंगा के जलस्तर की मॉनिटरिंग, देखें VIDEO– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-disaster-%e0%a4%ab%e0%a4%bf%e0%a4%b0-%e0%a4%b0%e0%a5%81%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%b5-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b8/ https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-disaster-%e0%a4%ab%e0%a4%bf%e0%a4%b0-%e0%a4%b0%e0%a5%81%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%b5-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b8/#respond Thu, 11 Feb 2021 20:38:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=390

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चमोली. उत्‍तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) में ग्‍लेशियर टूटने के बाद आई आपदा से तवाही का मंजर है. बाढ़ के बाद तपोवन (Tapovan Tunnel)में फंसे मजदूरों को बचाने की कोशिश लगातार की जा रही है. अब रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. एक बार फिर तपोवन टनल में राहत कार्य को रोक दिया गया है. रेस्क्यू में लगी आईटीबीपी (ITBP) का कहना है कि 7-8 मीटर की ड्रिल के बाद स्लश फ्लशिंग सुरंग की ओर ड्रिलिंग अभियान रोक दिया गया था. एक बड़ी चट्टान की वजह से कटरों को संचालित करने में परेशानी आ रही थी. बचाव दल अब मशीनों से पहले की तरह फिर से स्लश निकाल रहे हैं. आईटीबीपी ने ऋषिगंगा नदी के बढ़ते जल स्तर की निगरानी के लिए गुरुवार को ड्रोन कैमरे भी तैनात कर दिए हैं.

बता दें कि ऋषिगंगा नदी के जल स्तर बढ़ने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन को कुछ समय के लिए रोक दिया गया था. एनडीआरएफ का कहना है कि जल स्तर बढ़ इसलिए टीमों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया. ऑपरेशन को सीमित टीमों के साथ फिर से शुरू किया गया है. कुछ देर बार बचाव कार्य को फिर से शुरू कर दिया गया था.

 रेस्क्यू ऑपरेशन में आ रही परेशानी

चमोली त्रासदी घटना के पांच दिन हो गए हैं. टनल में फंसे लोगों तक पहुंचने में सफलता नहीं मिल पा रही है. डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में अब दिक्कतें आने लगी हैं. एनटीपीसी के ही अधिकारियों को टनल के अंदर की स्थिति का पता है, इसलिये उनके साथ ही स्ट्रैटेजी के साथ ही अब रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. सुबह 3 बजे से ड्रिल के जरिये जो खुदाई चल रही थी, वह फिलहाल ड्रिल मशीन के टूटने के वजह से रुक गई है. राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने भी चमोली के आपदाग्रस्त तपोवन इलाके का दौरा कर राहत और बचाव कार्यों का जायजा लिया. अधिकारियों और कार्मिकों से बात करके राहत और बचाव कार्यों की जानकारी ली.

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राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार दोपहर 12:30 बजे तक बचाव दल ने 204 लापता में से 35 शव बरामद किए हैं. 10 शवों की शिनाख्त की गई है. ऋषिगंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी भी हो रही है. पुलिस अधीक्षक चमोली यशवंत सिंह चौहान ने नदी के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को अलर्ट किया है.



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Chamoli Disaster: तपोवन टनल में भरा पानी, रेस्क्यू ऑपरेशन रुका, राहतकर्मियों को बाहर निकाला गया– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/chamoli-disaster-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%9f%e0%a4%a8%e0%a4%b2-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ad%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%b0/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-disaster-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%9f%e0%a4%a8%e0%a4%b2-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ad%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%b0/#respond Thu, 11 Feb 2021 15:55:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=384

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चमोली. उत्‍तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) में ग्‍लेशियर टूटने के बाद आई आपदा के कारण भारी तबाही मची है. बाढ़ के बाद तपोवन (Tapovan Tunnel) में दो सुरंगों में बड़ी संख्‍या में मजदूर फंस गए थे. एक सुरंग से तो मजदूरों को निकाल लिया गया. लेकिन दूसरी सुरंग से अभी भी उन्‍हें निकालने का प्रयास किया जा रहा है. अब इस बीच तपोवन टनल में पानी भर जाने की खबर आ रही है. इस वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया है. एनटीपीसी का कहना है कि टनल में काम कर रहे मजदूर सुरक्षित हैं. हादसे की आशंका में ड्रिलिंग को रोक दिया गया है.

एनटीपीसी परियोजना निदेशक उज्जवल भट्टाचार्य का कहना है कि हम 6 मीटर की दूरी तक पहुंच गए थे. फिर महसूस हुआ कि वहां से पानी आ रहा है. अगर हम खुदाई जारी रखते, तो चट्टानें अस्थिर होतीं. ऐसे में बड़ी समस्याए हो सकती थी. इसलिए हमने ड्रिलिंग ऑपरेशन को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया है.

रेस्क्यू टीम सुरक्षित

एनटीपीसी के इंजीनियर का कहना है कि तपोवन टनल में जो श्रमिक काम कर रहे थे वे फिलहाल वहीं हैं और सभी सुरक्षित हैं. उन्हें 3 दिनों तक प्रशिक्षित किया जाता है, उसके बाद ही उन्हें अंदर भेजा जाता है. उन्हें समय-समय पर पेप टॉक भी दिया जाता है. सभी उपकरण परीक्षण और प्रमाणित हैं. रेक्स्यू ऑपरेशन में जो टीम काम कर रही है वो सक्ष्म है.

आईटीबीपी ने बदली अपनी रणनीति

बुधवार को मिली इस अहम जानकारी के बाद इंडो तिब्‍बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) की टीमों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. वहीं जल प्रलय के बाद से 170 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं. साथ ही 34 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं. इनमें से 10 की पहचान होने की जानकारी स्‍टेट इमरजेंसी कंट्रोल रूम ने दी है.

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अफसरों ने जानकारी दी है कि आईटीबीपी व अन्‍य रेस्‍क्‍यू टीमें पिछले 3 दिन से एनटीपीसी प्‍लांट की इनटेक एडिट टनल में लापता मजदूरों की तलाश कर रही थीं. लेकिन बुधवार को उन्‍हें जानकारी दी गई है कि वे सभी मजदूर इस टनल में नहीं, बल्कि सिल्‍ट फिल्‍ट्रेशन टनल में फंसे हैं. वो टनल इस टनल से 12 मीटर नीचे है.



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Uttarakhand Flood: आपदा में लापता लोगों के परिजनों ने ऋषिगंगा परियोजना स्थल पर किया विरोध प्रदर्शन– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-flood-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%b2%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%87/ https://indiatimes24x7.com/uttarakhand-flood-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%b2%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%87/#respond Thu, 11 Feb 2021 00:05:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=376

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रैंणी (चमोली). उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) जिले की ऋषिगंगा घाटी में आई विकराल बाढ़ (Uttarakhand Flood) में तबाह हुई ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना (Hydro Power Project) स्थल से लापता हुए लोगों के परिजनों ने बुधवार को अधिकारियों पर बचाव अभियान सही से नहीं चलाने का आरोप लगाया. लापता श्रमिकों के परिजन यहां परियोजना के अधिकारियों के साथ दो घंटे तक बहस में उलझे रहे. उन्होंने आरोप लगाया कि आपदा के बाद बचाव और राहत अभियान उस प्रकार नहीं चलाया जा रहा है जैसे उसे चलाया जाना चाहिए था.

ऋषिगंगा परियोजना में कार्यरत पंजाब के रहने वाले एक व्यक्ति जुगल के भाई ने कहा, ‘आपदा आए चार दिन हो चुके हैं लेकिन अभी सारा ध्यान कनेक्टिविटी बहाल करने पर है. लापता हुए लोगों को बचाना इनकी प्राथमिकता नहीं लग रही है.’ उसने कहा, ‘जब जुगल का फोन नंबर मिलाया जा रहा है तो उसके मोबाइल की घंटी बज रही है.’

वहीं लापता लोगों के परिजनों का आक्रोश झेलने वाले ऋषिगंगा के परियोजना प्रबंधक कमल चौहान ने कहा कि लापता लोगों की तलाश के लिए प्रशासन द्वारा उनकी मदद नहीं ली जा रही है.

बता दें कि बीते रविवार को चमोली जिले के तपोवन में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मची थी. इस हादसे के शिकार अभी तक 32 लोगों के शव मिले हैं जबकि करीब 200 लोग लापता बताए जा रहे हैं. ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा नदी में भयानक बाढ़ आ गई थी जिससे कई इलाके प्रभावित हुए हैं. (भाषा से इनपुट)



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PHOTOS: चमोली आपदा से प्रभावित भारत-चीन बॉर्डर से सटे अंतिम गांव में ITBP ने बांटा राशन https://indiatimes24x7.com/photos-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a4-%e0%a4%ad/ https://indiatimes24x7.com/photos-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%aa%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a4-%e0%a4%ad/#respond Wed, 10 Feb 2021 23:02:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=374

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चमोली आपदा की वजह से भारत-चीन सीमा से सटे गांवों का बाकी के राज्य से संपर्क कट गया है. ऐसे में इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस यानी आईटीबीपी ने बॉर्डर के आखिरी गांव में प्रभावित लोगों के बीच राशन और खाने-पीने की चीजों का वितरण किया (फोटो: ANI)



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Chamoli Disaster: अब तपोवन टनल की होगी ज्योग्राफिकल मैपिंग, थर्मल स्कैनिंग से फंसे लोगों की तलाश– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/chamoli-disaster-%e0%a4%85%e0%a4%ac-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%9f%e0%a4%a8%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%af/ https://indiatimes24x7.com/chamoli-disaster-%e0%a4%85%e0%a4%ac-%e0%a4%a4%e0%a4%aa%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%a8-%e0%a4%9f%e0%a4%a8%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%af/#respond Wed, 10 Feb 2021 22:30:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=378

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देहरादून. उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) में आई आपदा के बाद अब तपोवन टनल में फंसे करीब 30-35 लोगों को बचाने की कोशिशें जोरों पर हैं. सभी एजेंसियां मलबे को साफ कर मजदूरों तक पहुंच बनाने का प्रयास कर रही है. ऐसे में पूरी कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द टनल को साफ किया जा सके. इसके लिए एसडीआरएफ द्वारा ड्रोन और हेलीकॉप्टर के जरिए ब्लॉक टनल की जियो सर्जिकल स्कैनिंग भी कराई जा रही है. इसमें रिमोट सेंसिंग के जरिए टनल की ज्योग्राफिकल मैपिंग (Geographical mapping) कराई जाएगी और टनल के अंदर मलबे की स्थिति के अलावा और भी कई तरह की जानकारियां स्पष्ट हो पाएंगी.

इसके अलावा थर्मल स्कैनिंग या फिर लेजर स्कैनिंग के जरिए तपोवन में ब्लॉक टनल के अंदर फंसे कर्मचारियों के होने की कुछ जानकारियां भी एसडीआरएफ को मिल पाएगी, इसमें कई तकनीकों के जरिए चमोली तपोवन में ब्लॉक टनल के अंदर पहुंचने का काम किया जा रहा है.

थर्मल स्कैनिंग की ली जाएगी मदद

बताते चलें कि जब भी किसी जगह पर टनल बनाई जाती है तो उससे पहले भी उस जमीन की भौगोलिक संरचना को समझने के लिए इसी तरह के सर्वे कराए जाते हैं. जब भी किसी जगह पर टनल बनाई जाती है तो रिमोट सेंसिंग के जरिए वहां की ज्योग्राफिकल मैपिंग की जाती है जिससे जमीन के अंदर की भौगोलिक संरचना से संबंधित डाटा उपलब्ध होता है. साथ ही जमीन के अंदर की वस्तुस्थिति को अधिक सटीकता से समझने के लिए ड्रोन से जिओ मैपिंग के जरिए अधिक जानकारियां मिलती है. इसके अलावा जमीन के अंदर मौजूद किसी जीवित की जानकारी के लिए थर्मल स्कैनिंग की जाती है, लेकिन थर्मल स्कैनिंग का दायरा बेहद कम होता है. इसके लिए लेजर के जरिए स्कैनिंग की जाती है जिससे जमीन के नीचे की थर्मल इमेज भी प्राप्त होती है.

ये भी पढ़ें: Chamoli Disaster: जिंदगियां बचाने तपोवन सुरंग में ITBP का रेस्क्यू ऑपरेशन, तस्वीरें

वहीं रेस्क्यू को लेकर डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि टनल में पहले सिर्फ मलबा आ रहा था. अब बोल्डर्स आने भी शुरू हुए हैं. ऐसे में टनल की खुलने की उम्मीद ज्यादा बन जाती है. इसके साथ ही ड्रिल करके टनल के अंदर की स्थिति को देखने पर भी विचार चल रहा है.



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पर्यावरण संस्थान की स्टडी में दावा, घट रही Himalayan Glacier की ऊंचाई, बड़ी त्रासदी की ओर इशारा– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a5%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%a1/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a5%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%a1/#respond Wed, 10 Feb 2021 22:26:00 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=380

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पिथौरागढ़. उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मची हुई है. वहीं जीपी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान की स्टडी में पाया गया है कि हिमालय के ग्लेशियर साल दर साल छोटे हो रहे हैं. ग्लेशियरों (Glacier Burst) में आ रहा है ये बदलाव बड़े संकट की ओर इशारा भी कर रहा है. वैसे तो आपदा और उत्तराखंड का चोली-दामन का साथ है, लेकिन ग्लेशियर टूटने से जैसा तांडव चमोली में मचा है, बैसा कम ही दिखाई देता है. जीबी पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान ने अपनी स्टडी में पाया है कि साल दर साल हिमालय रेंज के ग्लेशियर छोटे हो रहे हैं.

हाल में संस्थान ने पिथौरागढ़ के बालिंग और अरूणांचल के खागरी ग्लेशियर की डीप स्टडी की है. स्पेस अप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद की मदद की गई इस स्डटी में पाया गया कि दोनों ग्लेशियर हर साल 8 मीटर घट रहे हैं. जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के सीनियर साइन्टिस्ट डॉ. क्रीट कुमार ने बताया कि हिमालया रेंज में सभी ग्लेशियर घट रहे हैं, लेकिन उन्होनें अपनी स्डटी में हिमालय के 2 ही ग्लेशियरों की शामिल किया था. इसमें साफ पाया गया कि ग्लेशियर हर साल तेजी से घट रहे हैं.

 संस्थान की स्टडी में दावा

संस्थान ने स्टडी में  जहां कम ऊंचाई वाले बालिंग ग्लेशियर को शामिल किया था, वहीं अत्यधिक ऊंचाई वाले अरूणांचल के खागरी ग्लेशियर का भी अध्ययन किया है. स्टडी में पाया गया कि दोनों ग्लेशियरों की ऊंचाई हर साल 8 मीटर के करीब घट रही है. ग्लेशियरों की घट रही ऊंचाई के लिए इंसानी हस्तक्षेप के साथ ही जलवायू परिवर्तन और जंगलों की आग सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है.

ये भी पढ़ें: Chamoli Disaster: अब तपोवन टनल की होगी ज्योग्राफिकल मैपिंग, थर्मल स्कैनिंग से फंसे लोगों की तलाश
हिमालयी ग्लेशियरों के आकार में आ रहा बदलाव बड़े संकट को भी न्यौता दे सकते हैे. यही नहीे इससे एशिया का पर्यावरण भी प्रभावित हो सकता है. ऐसे में अब जरूरत इस बात है कि पर्यावरण जैसे संवेदनशील मसले को अतिसंवेदनशीलता के साथ लिया जाए. ताकि हो रहे बदलावों के असर से इंसानी जिंदगी बचाई जा सके.



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उत्तराखंड में इस बार 70 फीसदी कम हुई बारिश, जानें कौन से फैक्टर बन सकते हैं Avalanche की वजह– News18 Hindi https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%87%e0%a4%b8-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%b0-70-%e0%a4%ab%e0%a5%80%e0%a4%b8%e0%a4%a6/ https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%87%e0%a4%b8-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%b0-70-%e0%a4%ab%e0%a5%80%e0%a4%b8%e0%a4%a6/#respond Wed, 10 Feb 2021 10:23:04 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=525

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देहरादून. चमोली त्रास्दी (Chamoli Glacier Burst) के घांव ऐसे हैं जिससे पूरा देश हिल गया है. बेतहाशा निर्माण कार्य से लेकर, पिछले हफ्ते की बर्फबारी, बारिश भी घटना की संभावनाओं की वजह हो सकता है. लेकिन मौसम विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के अनुसार, क्लामेटिक चेन्ज (Climate change) भी इसके कारण हो सकते है क्योकि इस पूरे विटंर सीजन में पिछले 4 सालों के मुकाबले 70 प्रतिशत तक बारिश (Rain) और बर्फबारी (Snow Fall) कम हुई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी 70 प्रतिशत तक कम हुई है. अकेले जनवरी में 42 एमएम तक बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन इस बार सिर्फ  27 एमएम तक ही हुई है जो कि लॉग टर्म के हिसाब से काफी कम रही है.

वहीं पिछले साल बारिश 134 एमएम तक थी जिसका सीधा असर क्लामेटिक चेंच से लेकर पश्चिमी विक्षोभ का असर वैज्ञानिक बताते है. भले ही वाडिया के सांइटिस्ट इस पर रिसर्च कर रहे हैं कि ग्लेशियर की बर्फ में विस्फोट कही घटना की वजह तो नहीं, लेकिन मौसम विज्ञान केन्द्र का तर्क है कि इस बार की बारिश और बर्फबारी कम रही है इसलिए ऐसी सम्भावनाएं कम नजर आती है.

वैज्ञानिकों की राय

देहरादून मौसम विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल का कहना है कि बारिश और बर्फ़बारी क्लाईमैंटिक चेंजेस पर बहुत हद तक निर्भर करता है. वहीं लम्बे समय तक मौसम के बदलाव ,पश्चिमी विक्षोभ के असर और क्लामेटिक सिचुएशन पर काम कर रहे रिटार्यड वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग का असर हमारे वातावरण पर पड़ता है. ग्लेशियर के आसपास का इलाका भी इससे प्रभावित होता है. चमोली घटना पर हालांकि साफ़ कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना जरूर है कि  बारिश नहीं थी. अगर बारिश हो रही होती तो नुकसान ज्यादा होता. रिटार्यड वैज्ञानिक एमएम सकलानी कहते हैं कि मौसम का बदलाव पूरा सिस्टम बदल देता है.



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