ऋषिकेश न्यूज – India Times https://indiatimes24x7.com National News Portal Sun, 31 Oct 2021 20:49:02 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://indiatimes24x7.com/wp-content/uploads/2021/12/cropped-india-times-24x7-1-32x32.png ऋषिकेश न्यूज – India Times https://indiatimes24x7.com 32 32 चारधाम यात्रा के पुराने पैदल मार्ग को खोजने निकले ट्रेकर्स, 1200 KM का होगा सफर! https://indiatimes24x7.com/trekkers-will-travel-1200-km-to-find-the-old-foot-route-of-chardham-yatra/ https://indiatimes24x7.com/trekkers-will-travel-1200-km-to-find-the-old-foot-route-of-chardham-yatra/#respond Wed, 27 Oct 2021 08:42:36 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%ae-%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%aa/

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चारधाम (Char Dham Yatra Route) के पुराने मार्गों को खोजने के लिए 25 सदस्यों का दल जनपद गढ़वाल के स्वर्गाश्रम से सर्वे ट्रेकिंग के लिए रवाना हुआ. उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने ‘ट्रेक द हिमालय’ के साथ मिलकर यह अभियान शुरू किया है. इसके तहत विशेषज्ञों के 25 सदस्यों का दल चारधाम ट्रैक पर पुराने मार्गों को खोजने के लिए 1200 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करेगा. दल द्वारा यह अभियान लगभग 60 दिनों तक चलाया जाएगा.

अपर निदेशक पर्यटक विवेक सिंह चौहान ने बताया कि चारधाम यात्रा जो पौराणिक रूप से संचालित होती थी, वह काली कमली व अन्य चट्टियों से होते हुए गुजरती थी, लेकिन समय के साथ सड़कों का विकास होने के बाद उन पौराणिक मार्गों व चट्टियों का इस्तेमाल कम होने लगा है. सरकार की मंशा है कि इन मार्गों का फिर से इस्तेमाल किया जाए.

उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग की पहल पर चारधाम यात्रा पैदल मार्ग से जुड़ी चट्टियों को एक बार फिर से पुनर्जीवित करने की योजना है. चट्टी मार्गों पर होते हुए चारधाम की पैदल यात्रा शुरू करने के बाद मार्ग पर पड़ने वाले ग्रामीण क्षेत्रों को भी होमस्टे व अन्य योजनाओं से जोड़ा जा सकेगा.

पैदल ट्रेकिंग टीम गरुड़ चट्टी व देवप्रयाग से होते हुए यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम तक पैदल यात्रा कर सर्वे रिपोर्ट तैयार कर उत्तराखंड शासन को सौंपेगी. (न्यूज 18 लोकल के लिए मयंक ध्यानी की रिपोर्ट)

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ऋषिकेश को जाम से मिलेगी निजात, चंद्रभागा पुल के नीचे बन रही अस्थायी पार्किंग https://indiatimes24x7.com/rishikesh-will-get-rid-of-jam-temporary-parking-is-being-built-under-chandrabhaga-bridge/ https://indiatimes24x7.com/rishikesh-will-get-rid-of-jam-temporary-parking-is-being-built-under-chandrabhaga-bridge/#respond Wed, 27 Oct 2021 08:41:25 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%ae-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%a8%e0%a4%bf/

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इस

इस पार्किंग में 200 से 300 वाहन खड़े किए जा सकते हैं.

चंद्रभागा पुल के नीचे करीब 200 से 300 वाहनों की पार्किंग तैयार की जा रही है. 

त्योहारी सीजन में ऋषिकेश बाजार में लगने वाले जाम का पुलिस और नगर निगम ने अस्थायी समाधान निकाल लिया है. चंद्रभागा पुल के नीचे करीब 200 से 300 वाहनों की पार्किंग तैयार की जा रही है. पुलिस प्रशासन के अनुसार, दीवाली (Diwali 2021) से पहले पार्किंग की व्यवस्था कर दी जाएगी, जिससे बाजार में लगने वाले जाम से काफी हद तक निजात मिलेगी. बाजार में खरीदारी के लिए आने वाले लोग इस पार्किंग में अपने वाहन पार्क कर सकेंगे. पार्किंग की जानकारी देने के लिए बाजार क्षेत्र में पुलिस व होमगार्ड के जवानों को भी तैनात किया जाएगा.

ऋषिकेश में स्थायी पार्किंग नहीं है. त्योहार के समय बड़ी संख्या में लोग खरीदारी के लिए बाजार आते हैं. इस दौरान गाड़ियों को बेतरतीब ढंग से पार्क किया जाता है, जिसकी वजह से नेशनल हाइवे और बाजार की सड़कों में भारी जाम की समस्या से लोगों को दो-चार होना पड़ता है. जिसको देखते हुए पुलिस और नगर निगम ने इस बार चंद्रभागा नदी वाली खाली पड़ी जगह में पार्किंग बनाने का फैसला किया है. (न्यूज 18 लोकल के लिए मयंक ध्यानी की रिपोर्ट)

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भगवान राम के भाई शत्रुघ्न ने यहां की थी तपस्या, शत्रुघ्न घाट पर होती है भव्य गंगा आरती https://indiatimes24x7.com/lord-ramas-brother-shatrughan-did-penance-here-the-grand-ganga-aarti-is-done-at-shatrughan-ghat/ https://indiatimes24x7.com/lord-ramas-brother-shatrughan-did-penance-here-the-grand-ganga-aarti-is-done-at-shatrughan-ghat/#respond Tue, 26 Oct 2021 03:19:58 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%ad%e0%a4%97%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%ae-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%88-%e0%a4%b6%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%81%e0%a4%98%e0%a5%8d%e0%a4%a8/

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शत्रुघ्न

शत्रुघ्न मंदिर मुनि की रेती में स्थित है.

प्राचीन शत्रुघ्न मंदिर के ठीक सामने शत्रुघ्न घाट है, जहां हर शाम मां गंगा की भव्य आरती की जाती है.

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के छोटे भाई शत्रुघ्न ने ऋषिकेश के मुनि की रेती में कई वर्षों तक तपस्या की थी. मुनि की रेती में मुख्य राजमार्ग से 100 मीटर की दूरी पर शत्रुघ्न भगवान का प्राचीन मंदिर (Shatrughan Temple Rishikesh) स्थित है, जिसे 8वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने बनवाया था. मेन हाइवे से राम झूला की तरफ जाते हुए बीच में यह मंदिर पड़ता है. इस मंदिर में शत्रुघ्न भगवान के साथ-साथ चतुर्भुज रूप में भगवान नारायण की प्रतिमा और राम दरबार की भी पूजा-अर्चना की जाती है.

पिछली पांच पीढ़ियों से इस मंदिर की सेवा कर रहे मनोज द्विवेदी ने बताया कि पुराने जमाने में चारधाम की तरफ जाने वाले तीर्थयात्री इस मंदिर के दर्शन करने के बाद ही आगे बढ़ते थे. शत्रुघ्न ने यहां पर मौन साधना की थी, जिसके बाद से इस जगह को ‘मौन की रेती’ कहा जाने लगा, जो बाद में अपभ्रंश होकर ‘मुनि की रेती’ हो गया है.

प्राचीन शत्रुघ्न मंदिर के ठीक सामने शत्रुघ्न घाट है, जहां हर शाम मां गंगा की भव्य आरती की जाती है. गंगा आरती से पहले शिव तांडव का वाचन किया जाता है. घाट के चारों ओर की सुंदरता इसकी आरती को और भव्य बना देती है. यह घाट रामझूला और जानकी सेतु के बीच में स्थित है.
मुख्य तौर पर इस घाट पर पांच पुजारी गंगा आरती करते हैं, लेकिन कोरोना काल के बाद से तीन पुजारी ही फिलहाल आरती कर रहे हैं. श्री गंगा गौ सेवा समिति इस आरती का संचालन करती है. गंगा आरती के समय बाईं ओर रोशनी से जगमगाता राम झूला, तो वहीं दाईं ओर जानकी सेतु श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है.

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करवा चौथ के लिए महिलाओं में दिखा शॉपिंग का क्रेज, बाजार में उमड़ी भीड़ https://indiatimes24x7.com/for-karva-chauth-the-craze-of-shopping-was-seen-in-the-market/ https://indiatimes24x7.com/for-karva-chauth-the-craze-of-shopping-was-seen-in-the-market/#respond Sat, 23 Oct 2021 14:01:41 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%b5%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a5%8c%e0%a4%a5-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%8f-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%93%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a5%87/

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करवा चौथ (Karva Chauth 2021) के त्योहार को लेकर ऋषिकेश की बाजारों में रौनक दिख रही है. महिलाओं के इस त्योहार में मेहंदी, करवे, साड़ियों और आभूषणों की दुकानों में काफी भीड़ दिख रही है. हाथों पर मेहंदी लगाना शुभ माना जाता है, यही वजह है कि करवा चौथ से पहले सुहागन महिलाएं मेहंदी लगाने के लिए बाजार आ रही हैं. इस दौरान महिलाएं अपने पति का नाम भी हाथों पर लिखवा रही हैं.

साड़ी की दुकानों पर महिलाओं की खूब भीड़ नजर आ रही है. इस बार बाजारों में नए डिजाइन की साड़ियां महिलाओं को खूब लुभा रही हैं. दुकान मालिक दिनेश ने बताया कि कांचीपुरम, बनारसी और पीकॉक साड़ियों का काफी क्रेज देखने को मिल रहा है. इनकी कीमत 3000 से लेकर 18000 रुपये तक है.

बाजार में नए-नए तरह के करवे भी देखने को मिल रहे हैं, जिन्हें गुजरात से लाया गया है. इनकी कीमत 50 से 200 रुपये तक रखी गई है. इन करवों को गुजराती स्टाइल में सजाया गया है, जिन्हें महिलाएं काफी पसंद कर रही हैं.

सोने-चांदी के गहनों को लेकर भी महिलाओं में काफी क्रेज दिख रहा है. ऋषिकेश में पिछले कई साल से ज्वेलरी का काम कर रहे संजय पंवार बताते हैं कि सोने की कीमत ने इस बार काफी उछाल मारा है, बावजूद इसके त्योहारी सीजन होने के चलते आभूषणों की खूब बिक्री हो रही है.

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ऋषिकेश में दिखा बारिश का असर, त्रिवेणी घाट पर कई फीट मलबा https://indiatimes24x7.com/effect-of-rain-in-rishikesh-many-feet-of-debris-on-triveni-ghat/ https://indiatimes24x7.com/effect-of-rain-in-rishikesh-many-feet-of-debris-on-triveni-ghat/#respond Sat, 23 Oct 2021 13:58:36 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%96%e0%a4%be-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b6-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%85/

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गंगा

गंगा आरती स्थल से मलबा हटाते लोग.

बारिश ने ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट (Triveni Ghat) को जलमग्न कर दिया था.

उत्तराखंड (Uttarakhand Rain) में आई आफत की बारिश ने काफी तबाही मचाई. बारिश ने ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट (Triveni Ghat) को जलमग्न कर दिया था, लेकिन अब पानी का जलस्तर सामान्य होने के बाद एक नई समस्या पैदा हो गई है. दरअसल जब पानी का जलस्तर बढ़ा, तो त्रिवेणी घाट पूरी तरह से पानी में डूब गया था. पानी के साथ आया रेता और मलबा घाट पर ही जमा हो गया. जिसके चलते घाट पर गंदगी का अंबार लग गया.

त्रिवेणी घाट पर 4 से 5 फीट तक मलबा जमा हो गया. घाट का आरती स्थल भी मलबे से भर गया. जिसके चलते भव्य रूप से होने वाली आरती भी बाधित हुई. इस समस्या को देखते हुए अब त्रिवेणी घाट से मलबा उठाने का काम शुरू हो गया है. मलबा उठाकर वापस गंगा नदी में डाला जा रहा है. इसके साथ ही घाट में कई जगह पानी ने नुकसान भी किया है.

स्थानीय पार्षद रीना शर्मा ने कहा कि दो दिन की बारिश से घाट पर काफी मलबा आ गया. यह बड़ी हैरानी की बात है. इसे अब साफ करवाया जा रहा है.

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15 हजार की आबादी को निगम में शामिल होने का इंतजार, बोले- काम नहीं तो वोट भी नहीं https://indiatimes24x7.com/waiting-for-the-population-of-15-thousand-to-join-the-corporation-said-if-not-work-then-not-even-vote/ https://indiatimes24x7.com/waiting-for-the-population-of-15-thousand-to-join-the-corporation-said-if-not-work-then-not-even-vote/#respond Fri, 22 Oct 2021 04:19:07 +0000 https://indiatimes24x7.com/15-%e0%a4%b9%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%97%e0%a4%ae-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b6/

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ऋषिकेश में आईडीपीएल (IDPL) की भूमि पर करीब 50 वर्षों से कृष्णा नगर कॉलोनी बसी हुई है, लेकिन आज भी इस कॉलोनी के लोग अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए मोहताज हैं. शायद यही वजह है कि अब कृष्णा नगर कॉलोनी के लोगों ने ‘काम नहीं तो वोट नहीं’ का नारा देते हुए आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है. कॉलोनी के लोगों के हकों के लिए आवाज बुलंद कर रही जनकल्याण संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉक्टर बीएन तिवारी ने बताया कि नगर निगम में प्रस्ताव पास होने और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा के बावजूद कृष्णा नगर क्षेत्र निगम में शामिल नहीं हो पाया है. इसके लिए वे लगातार संघर्ष कर रहे हैं.

डॉक्टर तिवारी ने कहा कि कृष्णा नगर कॉलोनी अभी तक न किसी ग्राम पंचायत का हिस्सा है और न ही नगर पंचायत का, जिस कारण यहां सभी विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं. इसके साथ ही लोगों को जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, स्थाई प्रमाण पत्र जैसे कागजात बनाने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है.

क्षेत्र में करीब 3000 परिवार और लगभग 15 हजार की आबादी रहती है, लेकिन यहां न तो चलने लायक सड़क है और न पानी की निकासी के लिए नालियां. जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जिससे लगातार बीमारी का खतरा बना रहता है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

लोगों ने अपनी समस्याओं के लिए स्थानीय विधायक प्रेमचंद्र अग्रवाल को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना है कि विधायक द्वारा उन लोगों के लिए कभी भी कुछ नहीं किया गया. स्थानीय लोगों ने इस बार विधानसभा चुनाव में विधायक का विरोध करते हुए ‘काम नहीं तो वोट नहीं’ की भी घोषणा की है.

वहीं दूसरी ओर अब कृष्णा नगर कॉलोनी के अस्तित्व पर भी संकट मंडराने लगा है. दरअसल आईडीपीएल ने वन विभाग से 60 साल के लिए करीब 833 एकड़ भूमि लीज पर ली थी. अब नवंबर 2021 को आईडीपीएल की लीज समाप्त होने वाली है. इसके बाद यह भूमि वापस वन विभाग के पास आ जाएगी. हालांकि इस जमीन को पर्यटन विभाग को सौंपने के लिए शासन में प्रस्ताव चल रहा है.

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मनइच्छा देवी पूरी करती हैं हर मुराद, जंगल में रहस्यमय तरीके से निकलता है पानी https://indiatimes24x7.com/goddess-fulfills-every-wish-mysteriously-water-emerges-in-the-forest/ https://indiatimes24x7.com/goddess-fulfills-every-wish-mysteriously-water-emerges-in-the-forest/#respond Mon, 11 Oct 2021 03:08:39 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%ae%e0%a4%a8%e0%a4%87%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9b%e0%a4%be-%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b5%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%b9%e0%a5%88/

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मनइच्छा

मनइच्छा मंदिर एक सिद्ध पीठ है.

मंदिर के पुजारी ने आगे बताया कि यहां लगातार स्नान करने से चर्म रोग में भी फायदा मिलता है.

मनइच्छा मंदिर (Man Icchha Temple Rishikesh) ऋषिकेश से 10 किलोमीटर दूर नरेंद्र नगर थाना क्षेत्र में स्थित है. यह जंगल के बीचोंबीच एक बेहद सुंदर स्थान पर बना सिद्ध पीठ मंदिर है. लगभग 500 साल पुराना यह सिद्ध पीठ श्रद्धालुओं को वाकई एक अलग अहसास की अनूभूति कराता है. मान्यता है कि इस मंदिर में देवी की पिंडी स्वयं अवतरित हुई थी. पिंडी के पास ही पानी का स्त्रोत भी निकलता है, जिसे अपने आप में एक चमत्कार माना जाता है.

इस मंदिर में भैरव गुफा भी मौजूद है, जिसके भीतर एक अलग ही अलौकिक दृश्य नजर आता है. इस गुफा में चट्टानों से पानी निकल रहा है, जिस कारण चट्टान में कई तरह की आकृतियां बन गई हैं. मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहां आसपास कहीं भी पानी का कोई स्रोत नहीं है. यह माता की कृपा ही है कि यहां मंदिर में माता के आशीर्वाद से पानी निकलता है, जिसका इस्तेमाल माता के लिए भोग बनाने और अन्य कामों में किया जाता है.

पुजारी ने आगे बताया कि यहां लगातार स्नान करने से चर्म रोग में भी फायदा मिलता है. उन्होंने यह भी दावा किया कि शुक्ल पक्ष की पंचमी और अष्टमी तिथि को आज भी मां भगवती के दर्शन करने के लिए एक शेर आता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरे श्रद्धा भाव से यहां आता है, उसके मन की इच्छा को मां भगवती जान लेती हैं, इसीलिए इस मंदिर का नाम मनइच्छा मंदिर पड़ा.

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हरिद्वार में पितृमोक्ष अमावस पर उमड़ी लाखों की भीड़, कोविड प्रोटोकॉल की उड़ी धज्जियां https://indiatimes24x7.com/millions-of-people-gathered-on-pitrimoksha-amavas-in-haridwar-flouting-the-kovid-protocol/ https://indiatimes24x7.com/millions-of-people-gathered-on-pitrimoksha-amavas-in-haridwar-flouting-the-kovid-protocol/#respond Thu, 07 Oct 2021 02:48:37 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%aa%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%83%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7-%e0%a4%85/

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हरिद्वार/देहरादून. श्राद्ध पक्ष की अंतिम तिथि यानी पितृ मोक्ष अमावस्या के मौके पर धर्मनगरी कहे जाने वाले हरिद्वार में लाखों श्रद्धालु तर्पण के लिए जुटे और कोविड नियमों की धज्जियां उड़ गईं. उत्तराखंड में इस तिथि को पितृ विसर्जन अमावस भी कहा जाता है और इस दिन तर्पण का विशेष महत्व माना जाता है. हरिद्वार ही नहीं, ऋषिकेश में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ संगम पर तर्पण के लिए उमड़ी. श्रद्धालुओं के जमघट से एक तरफ स्थानीय स्तर पर उत्साह का माहौल देखा गया, तो वहीं कोविड संबंधी गाइडलाइन्स को लेकर स्थिति गंभीर दिखाई दी.

हरिद्वार के प्रसिद्ध घाट हर की पौड़ी समेत कई घाटों पर बुधवार को लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की पहुंचने की बात कही गई. टीओआई की एक खबर के मुताबिक श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन उमड़ी लाखों की इस भीड़ के चलते स्थानीय बाज़ारों और घाट के पंडों पुरोहितों के बीच उत्साह देखा गया, लेकिन कोविड संबंधी आचार संहिता का पालन न होने से स्थिति गंभीर दिखती रही. वहीं, न्यूज़18 संवाददाता ने ऋषिकेश में पितरों के तर्पण के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की रिपोर्ट दी.

ये भी पढ़ें : पीएम मोदी आज पहुंचेंगे उत्तराखंड, ऋषिकेश में ऐसे बिताएंगे डेढ़ घंटा, केदारनाथ जाएंगे या नहीं?

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पितृ तर्पण के दौरान ऋषिकेश और हरिद्वार में कोविड संबंधी नियम टूटते देखे गए. सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क संबंधी प्रोटोकॉल का पालन न किए जाने के चित्र सामने आए.

त्रिवेणी संगम पर लगा श्रद्धालुओं का मेला
श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ विसर्जन अमावस्या पर त्रिवेणी संगम पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पितरों का तर्पण करने पहुंचे. तीर्थ पुरोहित पंडित रविंद्र मिश्रा ने कहा कि अमावस के दिन किसी भी पितर को तर्पण दिया जा सकता है, जिसकी तिथि याद न हो. त्रिवेणी संगम पर पितृ विसर्जन का विशेष महत्व है, जिसके चलते दूर-दूर से श्रद्धालुओं ने ऋषिकेश और हरिद्वार का रुख किया. अमावस के बाद नवरात्रों की शुरुआत होती है और इसी के साथ शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. श्राद्ध के 15 दिनों तक मांगलिक कार्यक्रमों पर रोक लगी होती है. फिर नवरात्रि से शादी ब्याह और अन्य शुभ कार्यों का शुभारंभ माना जाता है.

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ऋषिकेश : रिवर राफ्टिंग और कारोबार पर दोहरी मार, पहले कोरोना फिर बरसात ने ठप किया व्यापार https://indiatimes24x7.com/rishikesh-river-rafting-and-business-double-whammy-first-corona-then-rain-stalled-business/ https://indiatimes24x7.com/rishikesh-river-rafting-and-business-double-whammy-first-corona-then-rain-stalled-business/#respond Fri, 03 Sep 2021 13:07:16 +0000 https://indiatimes24x7.com/%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%b0-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%ab%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%97-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%95/

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रिवर राफ्टिंग से 20 हजार से ज्यादा लोगों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार जुड़ा है।

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DRDO बना रहा है ऋषिकेश और हल्द्वानी में ऑक्सीजन बेड वाले अस्पताल https://indiatimes24x7.com/drdo-%e0%a4%ac%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%b0%e0%a4%b9%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%88-%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b9%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a5%8d/ https://indiatimes24x7.com/drdo-%e0%a4%ac%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%b0%e0%a4%b9%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%88-%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b9%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a5%8d/#respond Mon, 10 May 2021 17:04:03 +0000 https://indiatimes24x7.com/?p=1841

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ऋषिकेश और हल्द्वानी में बन रहे हैं अस्थायी अस्पताल.

ऋषिकेश और हल्द्वानी में बन रहे हैं अस्थायी अस्पताल.

उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) की मदद करने के लिए डीआरडीओ ने हाथ बढ़ाया तो राज्य और रक्षा संस्थान (Defense Organisation) ने मिलकर कुल 1400 बेड के अस्पतालों के एक प्रोजेक्ट की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं.

देश भर के साथ ही उत्तराखंड में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के प्रकोप के दौर में मरीज़ों की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र इंतज़ाम किए जाने की ठोस कवायद हो रही है. ऋषिकेश और हल्द्वानी में दो कोविड केयर अस्पताल बनाए जा रहे हैं, जिनके लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने ज़िम्मा उठाया है. यह अस्ल में उस प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसके बारे में एक महीने पहले ही सूचना दी गई थी. कोविड-19 से लड़ने के लिए करीब 800 बिस्तरों वाले दो अस्पताल उत्तराखंड के दो प्रमुख नगरों ऋषिकेश और हल्द्ववानी में DRDO द्वारा बनाए जा रहे हैं. समाचार एजेंसी एएनआई की मानें तो डीआरडीओ के अधिकारी ने जानकारी दी है कि हल्द्वानी के अस्पताल में 375 ऑक्सीजन बेड और 125 वेंटिलेटर बेड होंगे. वहीं, ऋषिकेश के अस्पताल में 400 ऑक्सीजन बेड और 100 वेंटिलेटर बेड होंगे. ये भी पढ़ें : चार धाम यात्रा के लिए SOP जारी, जानें कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट के साथ क्या हैं और शर्तें 1400 बेड के अस्पतालों की योजनाकुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में कुल मिलाकर 1400 बेड के अस्थायी अस्पतालों का प्रोजेक्ट अप्रैल महीने के आखिर में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा घोषित किया गया था. स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे के हवाले से खबरों में कहा गया था कि हल्द्ववानी और ऋषिकेश में 500-500 बेड के अस्पताल बनाए जाएंगे.

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ऋषिकेश और हल्द्ववानी में अस्थायी कोविड अस्पतालों के बनने की पुष्टि एएनआई ने इन तस्वीरों के साथ की.

यही नहीं, हिमालयन अस्पताल में भी डीआरडीओ की मदद से ही 400 ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था भी की जाने की बात पांडे ने कही थी. बताया गया था कि इनके अलावा 100 बेड आईसीयू सुविधा वाले भी होंगे. अब इस प्रोजेक्ट के शुरू हो जाने की पुष्टि न्यूज़ एजेंसी ने की है.

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कब शुरू होंगे ये अस्पताल और क्या है लागत? जानकारी के मुताबिक डीआरडीओ द्वारा बनाए जा रहे ये दोनों अस्पताल 15 जून से शुरू हो सकते हैं. राज्य के प्रमुख सचिव के हवाले से खबरों में यह भी बताया गया कि करीब 40 करोड़ की राशि इस प्रोजेक्ट के लिए आवंटित की जा चुकी है. माना जा रहा है कि ये सुविधाएं शुरू होने के राज्य में कोविड-19 के केसों में कमी आने के साथ ही मरीज़ों को जल्दी और उचित इलाज आसानी से मिल सकेगा.





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