त्रियुगीनारायण में हुआ था शिव-पार्वती का विवाह, मंदिर में त्रेतायुग से जल रही दिव्य लौ
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मंदिर के अंदर प्रज्वलित अग्नि कई युगों से जल रही है, इसलिए इस स्थल का नाम त्रियुगी हो गया यानी अग्नि जो तीन युगों से जल रही है.
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