उत्तराखंड

रेप और बच्चों के यौन शोषण मामलों का रिपोर्ट कार्ड, 9 राज्यों के बीच उत्तराखंड में कितने खराब हैं हालात?

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देहरादून. उत्तराखंड बीजेपी भले ही विपक्षी खेमे में सेंधमारी कर खुद को मज़बूत दिखाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन उसके खुद के घर का अंदरूनी क्लेश उसकी परेशानी का सबब बन रहा है. विधायक उमेश काऊ ने जो तेवर दिखाए और उसके बाद विधायक कर्णवाल और भाजपा पदाधिकारियों की भिड़ंत की खबरें थमी भी नहीं थीं, कि न्यूज़18 को दिए एक साक्षात्कार से मंत्री हरक सिंह रावत ने हंगामा खड़ा कर दिया. इसके बाद एक पूर्व विधायक ने भी खुलकर बयानबाज़ी कर दी है, जिससे बीजेपी की आफ़त चौगुनी हो चुकी है. अब भाजपा अनुशासनात्मक कार्रवाई के मूड में आकर अपने कुछ नेताओं को नोटिस थमाकर जवाब तलब कर रही है.

कैसे सामने आया अंदरूनी संघर्ष?
पहला सिरदर्द : 2016 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए विधायक उमेश शर्मा काऊ वाली रायपुर सीट पर चार सितंबर को मंत्री धन सिंह रावत की मौजूदगी में विधायक और पार्टी वर्कर्स के बीच गर्मागर्मी हो गई. इसकी तपिश ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि नाराज़ पार्टी वर्कर्स ने महापंचायत कर विधायक को ही पार्टी से ही बाहर करने की मांग उठा डाली.

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दूसरा झटका : इससे पहले रुड़की में कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद की मौजूदगी में विधायक देशराज कर्णवाल समर्थक और भाजपाई मेयर आपस में भिड़ गए. यहां भी जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई.

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न्यूज़18 को दिए इंटरव्यू में ढेंचा घोटाले पर बयान देकर मंत्री हरक सिंह रावत ने भाजपा को ही चौंका दिया. (File Photo)

तीसरा क्लेश : सीएम पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट में कृषि मंत्री हरक सिंह रावत के न्यूज़18 को दिए एक इंटरव्यू से रही-सही कसर पूरी हो गई. हरक सिंह ने 2012 के ढेंचा बीज घोटाले का जिन बोतल से बाहर निकाल दिया, वो भी जबकि चुनावी हवा उत्तराखंड में चल चुकी है. अपनी ही पार्टी के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत को कठघरे में खड़ा कर दिया. इससे पार्टी सकते में है.

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चौथी चोट : इसी रविवार को कांग्रेस में सेंधमारी कर भाजपाई बना दिए गए पुरोला से विधायक राजकुमार की एंट्री के बाद टिकट कटने की आशंका के चलते पूर्व विधायक मालचंद गुस्से में आ गए. सोमवार को मालचंद ने प्रेस वार्ता कर स्पष्ट इशारा दिया कि पार्टी उनका टिकट काटने की सोचे भी नहीं. उन्होंने साफ कहा, ‘मैं चुनाव तो हर हाल में लड़ूंगा, टिकट न मिलने की सूरत में भी.’ ये पार्टी नेतृत्व को चेतावनी थी कि उन्हें टिकट नहीं दिया गया, तो मालचंद विद्रोह कर सकते हैं.

डैमैज कंट्रोल या कंप्लीट एक्शन?
ऐन चुनाव के समय उठ रही असंतोष की इन आवाजों ने बीजेपी प्रदेश नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है. रायपुर सीट वाले मामले के साथ ही मंत्री हरक सिंह और पूर्व विधायक मालचंद के बयानों को पार्टी ने गंभीरता से लिया है. फ़िलहाल मालचंद और हरक सिंह को पार्टी नोटिस भेज रही है. पार्टी ने रायपुर केस के लिए पार्टी महामंत्री कुलदीप कुमार को जांच अधिकारी बनाया है. कुमार का कहना है कि संबंधित लोगों से लिखित बयान लिया जा रहा है. जो दोषी होगा, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल, माना जा रहा है कि रायपुर केस में पार्टी सख्त रुख इख्तियार कर सकती है ताकि कार्यकर्ताओं के बीच एक उदाहरण जाए.

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