रवींद्र नाथ टैगोर ने अल्मोड़ा में लिखी थीं कई मशहूर रचनाएं, अब गुमनामी के कगार पर ‘टैगोर हाउस’
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टैगोर भवन अल्मोड़ा के कैंट में स्थित है.
टैगोर भवन में जिस सोफे पर बैठकर वह लिखते थे, वह आज भी यहां मौजूद है.
राष्ट्रगान के रचयिता और देश के महान कवि रवींद्र नाथ टैगोर भी अल्मोड़ा आए थे. मई 1937 में कृषि वैज्ञानिक स्व. बोसी सेन के मेहमान बनकर वह यहां आए थे. यहां छावनी क्षेत्र में स्थित मार्क्स हाउस में रहकर टैगोर ने सेजुति, नवजातक, आकाश प्रदीप, द्दड़ार और विश्व परिचय जैसी प्रसिद्ध रचनाओं को लिखा था. टैगोर भवन में जिस सोफे पर बैठकर वह लिखते थे, वह आज भी यहां मौजूद है.
रवींद्र नाथ टैगोर अल्मोड़ा में करीब दो महीने रहे थे. टैगोर भवन को पहले सेंट मार्क्स हाउस के नाम से जाना जाता था. 1961 में इसे टैगोर भवन नाम दिया गया. जिस जगह पर यह भवन स्थित है, वहां काफी शांत वातावरण होने के साथ हिमालय के दर्शन भी होते हैं.
टैगोर भवन आज प्रशासन की उदासीनता के चलते गुमनामी की मार झेल रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पश्चिम बंगाल से आने वाले पर्यटक तो यहां आते हैं लेकिन जिस तरह का माहौल यहां होना चाहिए था, वह माहौल देखने को नहीं मिलता है. प्रचार-प्रसार के अभाव में यह ऐतिहासिक स्थल गुमनाम होता जा रहा है.
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