Modi Cabinet Expansion: पहली बार केंद्र में मंत्री बनेंगे अजय भट्ट, जानिए उनका सफर
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25 साल के संसदीय जीवन में अजय भट्ट के लिए ये दूसरा मौका है जब वो मंत्री बन पाए हैं. उत्तराखंड जब उत्तर प्रदेश का हिस्सा था तब 1996 में अजय भट्ट पहली बार रानीखेत से विधायक चुनकर उत्तर प्रदेश की असेंबली में पहुंचे. सन 2000 में उत्तराखंड, यूपी से अलग हो गया और नए राज्य में तब जो कार्यवाहक सरकार बनी उसमें अजय भट्ट स्वास्थ्य राज्य मंत्री बनाए गए. 2002 की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा हार गई और चुनाव जीत कर भी अजय भट्ट को विपक्ष में बैठना पड़ा. तब से अब जाकर यानी करीब 19 साल बाद अजय भट्ट के लिए मौका आया है जब वो दोबारा मंत्री बन पाए हैं.
कई बार छूटी सत्ता की रेल
अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में वकालत करने वाले अजय भट्ट की उम्र 60 साल है. पहले जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे भट्ट के लिए राजनीतिक जीवन बहुत उतार-चढ़ाव भरा रहा. दिलचस्प बात ये है कि उत्तराखंड के 20 साल के सफर में प्रदेश में जब भी भाजपा की सरकार आई, उसी साल अजय भट्ट अपना विधानसभा चुनाव हार गए. 2007 के चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार बनी लेकिन अजय भट्ट चुनाव हार गए. 2012 में चुनाव जीते लेकिन तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी. उस समय बीजेपी के अध्यक्ष रहे अजय भट्ट ने पार्टी के लिए खूब मेहनत की. 2017 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ जो माहौल बना उसका फायदा बीजेपी को बंपर जीत के तौर पर मिला. अजय भट्ट जो उस समय मुख्यमंत्री के प्रमुख चेहरे के तौर पर देखे जा रहे थे उनकी गाड़ी एक बार फिर छूट गई क्योंकि वह खुद अपना चुनाव हार गए.
राजनीतिक गुरु की सीट से बने सांसद
दरअसल अजय भट्ट के राजनीतिक सफर में महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने बड़ा रोल प्ले किया है. कोश्यारी और भट्ट दोनों ही अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रहे लेकिन जब सीट रिजर्व हो गई तब कोश्यारी ने नैनीताल की ओर रुख किया. 2014 में भगत सिंह कोश्यारी नैनीताल से सांसद बने लेकिन 2019 के चुनाव में उन्होंने अपने आप को सक्रिय राजनीति से अलग कर लिया. इस बार नैनीताल से टिकट मिला शिष्य अजय भट्ट को और वो बंपर वोटों से चुनाव जीते.
क्या फायदा मिलेगा भाजपा को
सांसद अजय भट्ट के लोकसभा क्षेत्र में 2 जिले आते हैं नैनीताल और उधम सिंह नगर. नैनीताल जिले में भाजपा की स्थिति अमूमन ठीक-ठाक मानी जाती है. लेकिन उधम सिंह नगर जिला जहां 9 विधानसभा सीटें हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां एक अच्छी बढ़त मिली थी. इस जिले में किसान आंदोलन के बाद बीजेपी की हालत पतली हुई है. वजह है जिले में सिख वोटरस की अच्छी खासी तादा. ऐसा लगता है कि भट्ट के बहाने बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. भट्ट कुमाऊं के ब्राह्मण हैं जहां दिग्गज कांग्रेसी हरीश रावत का प्रभाव माना जाता है. माना जा रहा है कि भट्ट के बहाने, हरीश रावत को घेरने की कोशिश होगी. उधम सिंह नगर जिले से नए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भी आते हैं. भाजपा चाहेगी उधम सिंह नगर को भारी-भरकम बनाकर कहीं ना कहीं नाराज सिख वोटरों को अपने पाले में दोबारा लाएं ताकि 6 महीने बाद उत्तराखंड में जो विधानसभा चुनाव होने हैं. उसमें भाजपा अपनी स्थिति मजबूत कर सके.
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