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Maha Kumbh 2021: आस्था के महाकुंभ की पढ़ें पौराणिक कथा, जानें दिलचस्प बातें

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महाकुंभ से जुड़ी ये पौराणिक कथाएं पढ़ें

महाकुंभ से जुड़ी ये पौराणिक कथाएं पढ़ें

Haridwar Maha Kumbh Mela 2021- कुंभ में स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं महाकुंभ से जुड़ी इन पौराणिक कथाओं के बारे में. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं महाकुंभ की पौराणिक कथाएं…


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 28, 2021, 2:18 PM IST

Haridwar Maha Kumbh Mela 2021: आस्था का महाकुंभ इस बार हरिद्वार में लगा है. धार्मिक ग्रंथों में कुंभ के बारे में बताया गया है कि कुंभ में सभी देवी-देवता प्रवासी के रूप में निवास करते हैं. कुंभ में सबसे श्रेष्ट प्रयाग के कुंभ को माना गया है. प्रयाग को इसीलिए तीर्थराज कहा गया है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कुंभ में स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं महाकुंभ से जुड़ी इन पौराणिक कथाओं के बारे में. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं महाकुंभ की पौराणिक कथाएं…

महाकुंभ की पौराणिक कथाएं:
महाकुंभ की पौराणिक कथा के अनुसार, इन्द्र से सम्बद्ध है जिसमें दुर्वासा द्वारा दी गई दिव्य माला का असहनीय अपमान हुआ. इन्द्र ने उस माला को ऐरावत के मस्तक पर रख दिया और ऐरावत ने उसे नीचे खींच कर पैरों से कुचल दिया. दुर्वासा ने फलतः भयंकर शाप दिया, जिसके कारण सारे संसार में हाहाकार मच गया. अनावृष्टि और दुर्भिक्ष से प्रजा त्राहि-त्राहि कर उठी. नारायण की कृपा से समुद्र-मंथन की प्रक्रिया द्वारा लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ, जिसमें वृष्टि होने लगी और कृषक वर्ग का कष्ट कट गया.

अमृतपान से वंचित असुरों ने कुंभ को नागलोक में छिपा दिया जहां से गरुड़ ने उसका उद्धार किया और उसी संदर्भ में क्षीरसागर तक पहुंचने से पूर्व जिन स्थानों पर उन्होंने कलश रखा, वे ही कुंभ स्थलों के रूप में प्रसिद्ध हुए.महाकुंभ की एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, दूसरी कथा प्रजापति कश्यप की दो पत्नियों के सौतियाडाह से संबद्ध है. विवाद इस बात पर हुआ कि सूर्य के अश्व काले हैं या सफेद. जिसकी बात झूठी निकलेगी वहीं दासी बन जाएगी. कद्रू के पुत्र थे नागराज वासु और विनता के पुत्र थे वैनतेय गरुड़. कद्रू ने अपने नागवंशों को प्रेरित करके उनके कालेपन से सूर्य के अश्वों को ढंक दिया फलतः विनता हार गई. दासी के रूप में अपने को असहाय संकट से छुड़ाने के लिए विनता ने अपने पुत्र गरुड़ से कहा, तो उन्होंने पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है. कद्रू ने शर्त रखी कि नागलोक से वासुकि-रक्षित अमृत-कुंभ जब भी कोई ला देगा, मैं उसे दासत्व से मुक्ति दे दूंगी.

विनता ने अपने पुत्र को यह दायित्व सौंपा जिसमें वे सफल हुए. गरुड़ अमृत कलश को लेकर भू-लोक होते हुए अपने पिता कश्यप मुनि के उत्तराखंड में गंधमादन पर्वत पर स्थित आश्रम के लिए चल पड़े. उधर, वासुकि ने इन्द्र को सूचना दे दी. इन्द्र ने गरुड़ पर चार बार आक्रमण किया और चारों प्रसिद्ध स्थानों पर कुंभ का अमृत छलका जिससे कुंभ पर्व की धारणा उत्पन्न हुई. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)






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