ISRO और IRSS ने चमोली त्रासदी के पीछे की बताई ये बड़ी वजह, ऐसे आई होगी आपदा– News18 Hindi
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संगठनों ने कहा कि इसके अलावा पहाड़ी के नीचे बहुत तीव्र ढाल वाली खाई है, जिसमें तीनों ओर से बड़ी मात्रा में बर्फ इकट्ठा हुई थी. यहां बर्फ इकट्ठा होने से पानी भी जम चुका था. 5 फरवरी से 7 फरवरी के बीच केवल 2 दिन के अंदर तापमान में लगभग 7-8 डिग्री सेंटीग्रेड की अचानक बढ़ोतरी हुई, जिससे पानी से संजीत और बर्फ से पहाड़ की बड़ी चट्टान टूट गई और तीव्र ढाल होने के चलते खाई में इकट्ठा बर्फ और पानी पर तेजी से नीचे की ओर गिरने लगा. इससे खाई में बहुत बड़ी मात्रा में जमा बर्फ और पानी के साथ चट्टान के साथ आया पानी बड़े बड़े बोल्डर्स और बर्फ के साथ सारा मटेरियल मिलकर नीचे के तीव्र ढाल में बहुत अधिक ऊर्जा और वेग के साथ चलने लगा.
आगे ढाल और तीव्र होने के साथ ही संकरी खाई होने से उसका वेग और भी ज्यादा बढ़ता चला गया. जिसके कारण पहले ऋषि गंगा प्रोजेक्ट और उसके बाद तपोवन प्रोजेक्ट पर कहर बनकर टूटा. उसके आगे धीरे-धीरे नदी की चौड़ाई बढ़ती जाती है और ढलान भी घटता जाता है जिससे नदी का वेग भी कम होता गया. निचले वाले इलाकों में पहुंचते-पहुंचते नदी के मलबा और उसकी स्पीड भी सामान्य हो गई.
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