उत्तराखंड

उत्तराखंड BJP में अंदरूनी क्लेश : मंत्री हरक सिंह, पूर्व विधायक को नोटिस, एक MLA के केस में जांच

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देहरादून. उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने यह दावा करके बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने कार्यकाल के दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत को सलाखों के पीछे भेजने का मन बनाया था, जो उनके बाद भाजपा सरकार में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे. हरक सिंह रावत ने News18 से उस वक्त यह बात कही, जब उनसे पूछा गया कि मार्च तक उत्तराखंड की कमान संभालने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ उनके तनावपूर्ण संबंध क्यों थे?

वास्तव में, पुष्कर धामी सरकार में कृषि मंत्री हरक सिंह 2016 में भाजपा में शामिल होने से पहले हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में भी कृषि मंत्री थे. उन्होंने दावा किया, “हरीश रावत ने (उस वक्त) मुझे चेतावनी दी थी कि मैं एक बड़ी गलती कर रहा हूं, जब मैंने त्रिवेंद्र रावत के लिए दो पेज का सकारात्मक नोट लिखा था, जिन पर ढेंचा बीज खरीद घोटाले में वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था.” त्रिवेंद्र का पक्ष लेने की बात कहत हुए हरक सिंह ने कहा, “त्रिवेंद्र के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चला होता तो वह कभी मुख्यमंत्री नहीं बनते.”

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क्या है ढेंचा घोटाले का मामला?
संयोग से, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भी 2007 और 2012 के बीच बीसी खंडूरी और फिर रमेश पोखरियाल निशंक सरकार में कृषि मंत्री थे. आरोप था कि कृषि मंत्री के रूप में, त्रिवेंद्र ने ढेंचा के 15000 क्विंटल बीज की खरीद को मंजूरी दी थी. उस समय के विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि आवश्यकता से अधिक बीज खरीदे गए और वह भी अत्यधिक कीमत पर. सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने खरीद घोटाले की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया. आयोग ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, लेकिन न तो रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया और न ही कोई कार्रवाई शुरू की गई.

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उत्तराखंड के मंत्री हरक सिंह रावत. (File Photo)

त्रिवेंद्र ने हरक को ‘बड़बोला’ कहा
इस बीच हरक सिंह के बयान पर त्रिवेंद्र ने तीखी प्रतिक्रिया दी. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं ‘बड़बोले’ हरक सिंह पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. हरीश रावत ने कई दिनों तक फाइल दबाए रखी. उन्हें राज्य सचिवालय के बाहर फाइल के पन्ने चिपकाने चाहिए थे और यह तय करने के लिए लोगों पर छोड़ दिया जाना चाहिए था कि भ्रष्टाचार के आरोप सही थे या नहीं.”

अब कैसे हो रही है सियासत?
विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा का सिरदर्द बढ़ा हुआ बताया जा रहा है क्योंकि कांग्रेस पृष्ठभूमि से आए विधायकों और मंत्रियों को नियंत्रित करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. कुछ दिनों पहले, एक स्थानीय भाजपा विधायक ने एक मंत्री पर तीखा प्रहार कर केंद्रीय नेताओं से शिकायत की थी कि कांग्रेस पृष्ठभूमि वाले लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है.

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हालांकि, अपनी ही पार्टी के सहयोगी पर मंत्री के ताज़ा बयान के बाद, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने यह कहकर कि “संदर्भ अलग था” डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया. हरीश रावत ने स्पष्ट किया कि वह ‘प्रतिशोध की राजनीति’ के खिलाफ थे. इस बीच आम आदमी पार्टी के कर्नल (सेवानिवृत्त) अजय कोठियाल ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.

(इस खबर का विस्तृत मूल अंग्रेज़ी वर्जन News18 पर यहां पढ़ें)

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