उत्तराखंड

Haridwar Kumbh 2021: हरिद्वार कुंभ की रौनक पर कोरोना का असर, फिर भी शुरू हुई अखाड़ों की भव्य पेशवाई

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हरिद्वार कुंभ 2021 की पेशवाई शुरू हो गई हैं, अलग-अलग अखाड़ों की भव्य पेशवाई निकल रही है.

हरिद्वार कुंभ 2021 की पेशवाई शुरू हो गई हैं, अलग-अलग अखाड़ों की भव्य पेशवाई निकल रही है.

हरिद्वार कुंभ 2021 की रौनक पर कोरोना का असर साफ दिख रहा है. अखाड़ों को छोड़ दिया जाए, तो धर्मनगरी हरिद्वार से कुंभ की रौनक गायब है.



  • Last Updated:
    March 4, 2021, 2:18 PM IST

देहरादून. हरिद्वार कुंभ 2021 की रौनक पर कोरोना का असर साफ दिख रहा है. अखाड़ों को छोड़ दिया जाए, तो धर्मनगरी हरिद्वार से कुंभ की रौनक गायब है. लेकिन 1 अप्रैल से 28 अप्रैल तक चलने वाले कुंभ के लिए संत, महंत, श्री महंत, महामंडलेश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर, नागा संन्यासी जुटने लगे हैं.

वहीं 3 मार्च से हरिद्वार में अखाड़ों के नगर प्रवेश यानि पेशवाई का सिलसिला शुरु हो चुका है. 3 मार्च को पहली पेशवाई निरंजनी अखाड़े की निकली. नगर प्रवेश से पहले पेशवाई में हाथी, घोड़े, ऊंट, नागा, संत, आचार्य महामंडलेश्वर एक काफिले में निकले. करीब ढाई किलोमीटर लंबे काफिले ने पूरे हरिद्वार कुंभ नगर क्षेत्र में 10 किलोमीटर की परिक्रमा की. सुबह 11 बजे से निकली हुई पेशवाई शाम 6 बजे निरंजनी अखाड़े की अपनी छावनी में पहुंची. इसी तरह 4 मार्च यानि आज सबसे बड़े अखाड़ों में से एक जूना अखाड़े की पेशवाई निकली. और इसी तरह का सिलसिला आने वाले दिनों तक चलेगा. और आने वाले दिनों में 13 में से हर पेशवाई का रंग हरिद्वार में दिखेगा.

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हरिद्वार कुंभ 2021 की पेशवाई शुरू हो गई हैं, अलग-अलग अखाड़ों की भव्य पेशवाई निकल रही है.

क्या है अख़ाड़ों की पेशवाई ? हरिद्वार में पेशवाई निकाली जा रही है, लेकिन सवाल है कि आखिर पेशवाई होती क्या है ? संत आनंद गिरी का कहना है कि पेशवाई असल में नगर प्रवेश है। जिस तरह राजा-महाराजाओं के दौर में जब संत शहर में प्रवेश करते थे..तो सजे-धजे रथों में बिठाकर संतों का स्वागत किया जाता है। आनंद गिरी का कहना है कि गुगल काल से पहले इस तरह की प्रवेश को नगर प्रवेश या नगर यात्रा कहा जाता है..लेकिन मुगल काल में इसके लिए नया शब्द पेशवाई प्रचलन में आ गया। और तभी से कुंभ से पहले जब अखाड़े किसी भी कुंभ से पहले नगर में प्रवेश करते हैं.. तो उन्हें पेशवाई कहा जाता है।






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