उत्तराखंड

खुशखबरी! अल्‍मोड़ा के लोगों को 70 साल बाद 120 सीढ़ी चढ़ने से मिली निजात, नये कलेक्ट्रेट में शिफ्ट हो रहे विभाग

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अल्मोड़ा. उत्तराखंड के पहाड़ों में दूरदराज के इलाकों तक यह समस्या आम है कि मरीज़ों को समय पर एंबुलेंस सुविधा नहीं मिल पाती. ऐसे में, स्वास्थ्य विभाग की एक व्यवस्था चर्चा में आ गई है, क्योंकि जिस एंबुलेंस का उपयोग मरीजों को अस्पताल तक ले जाने में किया जाना चाहिए, उसका इस्तेमाल सीएमओ दफ्तर से ब्लॉक अस्पतालों के लिए दवाई भेजने के लिए किया जा रहा है. अब स्थानीय लोग इस व्यवस्था से अचंभे में हैं, तो सांसद भी इसे वाजिब कदम नहीं कह रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का नज़रिया यही है कि एंबुलेंस का यह उपयोग करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

अल्मोड़ा के स्वास्थ्य विभाग ने एंबुलेंस को लोडिंग वाहन बना दिए जाने के बारे में आरोपों से पल्ला झाड़ लिया है. सीएमओ ड़ॉ. सविता ह्यांकि का दावा है कि सभी ब्लॉकों के 108 सेवा चल रही है. उनके मुताबिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारियों के पास गाड़ियां नहीं हैं और ‘इस स्थिति में अगर किसी एंबुलेंस को दवाई पहुंचाने में उपयोग किया जाता है तो कोई गलत बात नही है.’ दूसरी तरफ, जन और जनप्रतिनिधि कुछ और ही कह रहे हैं.

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अल्मोड़ा में एंबुलेंस का इस्तेमाल दवाओं के ट्रांसपोर्ट के लिए किया जा रहा है.

‘लोगों को बेहतर सुविधा मिलना चाहिएः सांसद
दवाई के परिवहन के लिए जिस एंबुलेंस के इस्तेमाल की बात सामने आई है, वह सासंद अजय टम्टा की सांसद निधि से खरीदी गई थी. इस बारे में न्यूज़18 ने सांसद से बातचीत की, तो सांसद टम्टा ने कहा कि जिस उद्देश्य के लिए एंबुलेंस दी गई है, उसका उपयोग उसी के लिए होना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग को तय करना चाहिए कि ज़रूरी क्या है, जिससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें.

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क्या कहते हैं लोग
वहीं, स्थानीय निवासी लक्ष्मी दत्त ने बताया कि धौलादेवी ब्लॉक में कई बार ऐसा होता है कि 108 को फोन करो तो एंबुलेंस के व्यस्त होने की बात कही जाती है. कई बार लोग आधे रास्ते तक गर्भवती महिलाओं और मरीजों को अपने निजी वाहनों से ले जा चुके होते हैं, तब जाकर एंबुलेंस पहुंचती है. दत्त का कहना है कि दवाइयां पहुंचाने या अन्य कामों के लिए दूसरे वाहनों का इस्तेमाल किया जा सकता है और एंबुलेंस को तत्काल राहत के लिए ही रखा जाना चाहिए.

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