उत्तराखंड

Glacier Burst in Uttarakhand: उत्तराखंड आपदा में देवदूत बने सेना के जवान, ऐसे चला रहे हैं रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन

उत्तराखंड में चमोली जिले में स्थित ऋषिगंगा ग्लेशियर के टूटने से आई प्राकृतिक आपदा के दौरान भारतीय सेना, एयरफोर्स, नेवी, आईटीबीपी और एनडीआरएफ के जांबाज जवान एक बार फिर देवदूत साबित हो रहे हैं। देश के इन सशस्त्र बलों की विभिन्न टुकड़ियां न सिर्फ अपने जहाजों और हेलीकॉप्टर के जरिये तत्काल एनडीआरएफ की टीमों को मौके पर एयरलिफ्ट कराकर दिन-रात युद्ध स्तर पर राहत-बचाव का कार्य कर रही हैं बल्कि इस दौरान आई बाढ़ में फंसे तमाम लोगों को भी निकालकर उनकी जान बचा रही हैं। इसके साथ ही अब इस आपदा के दौरान फंसे अन्य लोगों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाकर उन्हें राहत-सामग्री मुहैया कराई जा रही है।

भारतीय वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर इंद्रानिल नंदी बताते हैं कि उत्तराखंड में आई आपदा की जानकारी एयरफोर्स को 7 फरवरी की दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर मिली थी। जिसके बाद साढे 12 बजे तक एयरफोर्स ने अपने आवश्यक ट्रांसपोर्ट और हेलीकाप्टर्स को स्टैंडबाई मोड पर डाल दिया था। इस घटना की जानकारी के दौरान भारतीय वायुसेना के एक C-17, दो C-130, चार AN-32 और एक चिनूक के साथ चार ALH हेलीकाप्टरों की मदद ली जा रही है। जिनके जरिये एनडीआरएफ और नेवी के मार्कोज कमांडो की टीम के साथ करीब 20 टन राहत-सामग्री को एयरलिफ्ट कर रविवार को शाम 6 बजे तक ही देहरादून पहुंचा दिया गया था। भारतीय वायुसेना के C-130 और AN-32 विमानों को जहां देहरादून के जौलीग्रांट में तैनात किया गया है। जबकि MI-17 और ALH हेलीकाप्टर्स को देहरादून, जौलीग्रांट और जोशीमठ में तैनात किया गया है, जहां से इन जवानों और राहत-सामग्री को मौके पर पहुंचाकर इस आपदा में फंसे लोगों की मदद की जा रही है।

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उत्तराखंड में आई आपदा की जानकारी एयरफोर्स को 7 फरवरी की दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर मिली थी।
रैणी गांव में 200 जवान तैनात

यही नहीं, जोशीमठ से रैणी गांव में आर्मी के 2 कॉलम यानी करीब 200 जवान तैनात किए गए हैं। जबकि 4 कॉलम यानी 400 जवान स्टैंडबाई यानी की तैयार बैठे हैं। आर्मी ने जोशीमठ में एक कंट्रोल रूम भी स्थापित कर लिया है और आर्मी एविएशन के दो चीता हेलिकॉप्टर लगातार इलाके में रैकी कर जरूरतमंद लोगों को एयरलिफ्ट कर रहे हैं। इस दौरान आर्मी की इंजीनियरिंग टास्क फोर्स भी तैनात की गई है, जो 2 जेसीबी मशीन के जरिये लगातार जोशीमठ टनल के मलबे को हटाकर उसमें फंसे लोगों को निकालने का काम कर रही है। यही नहीं, इस दौरान घायल लोगों को फील्ड हास्पिटल के जरिये तत्काल इलाज मुहैया कराकर एंबुलेंस या हेलिकॉप्टर के जरिये तत्काल एयरलिफ्ट किया जा रहा है।

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2 thoughts on “Glacier Burst in Uttarakhand: उत्तराखंड आपदा में देवदूत बने सेना के जवान, ऐसे चला रहे हैं रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन

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