उत्तराखंड

Covid-19 Update: उत्तराखंड में ब्लैक फंगस से पहली मौत, एम्स ऋषिकेश में मरीज ने तोड़ा दम

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अक्सर मरीज ऑपरेशन से ठीक हो जाता है लेकिन कई मामलों में ऑपरेशन करना भी मुमकिन नहीं होता है. (प्रतिकात्मक तस्वीर)

अक्सर मरीज ऑपरेशन से ठीक हो जाता है लेकिन कई मामलों में ऑपरेशन करना भी मुमकिन नहीं होता है. (प्रतिकात्मक तस्वीर)

एम्स ऋषिकेश के निदेशक रविकांत (Ravikant) ने बताया कि बृहस्पतिवार 13 मई को देहरादून से रेफर हुए कोरोना संक्रमित 36 वर्षीय व्यक्ति की, ब्लैक फंगस की सर्जरी संभव नहीं हो पाने के कारण मृत्यु हो गई.

ऋषिकेश. कोविड-19 (COVID-19) के बाद मरीजों पर ब्लैक फंगस कहर बनकर टूट रहा है. उत्तराखंड में पहली मौत एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) अस्पताल में दर्ज की गई है. यहां कोविड संक्रमण का इलाज करा रहे 19 अन्य मरीजों में भी इस बीमारी की पुष्टि हुई है. एम्स ऋषिकेश के निदेशक रविकांत (Ravikant) ने बताया कि बृहस्पतिवार 13 मई को देहरादून से रेफर हुए कोरोना संक्रमित 36 वर्षीय व्यक्ति की, ब्लैक फंगस की सर्जरी संभव नहीं हो पाने के कारण मृत्यु हो गई. उन्होंने बताया कि इस वक्त तक एम्स ऋषिकेश में कोरोना संक्रमण के साथ ही ब्लैक फंगस रोग से पीड़ित 19 रोगी भर्ती हैं, जिनमें से 11 मरीज उत्तराखंड से जबकि आठ उत्तर प्रदेश के हैं.  इन 19 मरीजों में से दो मरीज हालांकि अब कोविड मुक्त हो चुके हैं.  रविकांत ने बताया कि इनमें से 13 मरीजों की ब्लैक फंगस से प्रभावित अंगों की सर्जरी हो चुकी है, जबकि छह अन्य मरीजों की सर्जरी अभी की जाएगी. उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस से पीड़ित दो मरीजों की आंखों को निकालना पड़ा,जबकि बाकी के मृत टिश्यू व फंगस से खराब नाक की हड्डियों को काटना पड़ा. कई मामलों में ऑपरेशन करना भी मुमकिन नहीं होता निदेशक ने बताया कि ब्लैक फंगस के मामलों पर एम्स संस्थान के चिकित्सकों का एक दल लगातार निगरानी रखे हुए है. एम्स ऋषिकेश के निदेशक रविकांत ने बताया कि ब्लैक फंगस मुखयतः सड़ी-गली वनस्पति सहित प्रदूषित जगह की धूल व सड़े भोजन से फैलता है. और नाक के जरिये मनुष्यों में पहुंचता है. यह शरीर में गर्दन से ऊपर के जिस भी हिस्से को संक्रमित करता है उसे काला कर खराब कर देता है. अक्सर मरीज ऑपरेशन से ठीक हो जाता है लेकिन कई मामलों में ऑपरेशन करना भी मुमकिन नहीं होता है.







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