CM पुष्कर सिंह धामी बोले- उत्तराखंड को 2027 तक पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाना है
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दरअसल, उत्तराखंड में कोरोना वायरस की वजह से पर्यटन का काफी नुकसान हुआ है. पिछले दो साल से लगातार लग रहे लॉकडाउन की वजह से पर्यटन विभाग की कमर टूट गई है. पर्यटन से जुड़े कई लोग बेरोजगार हो गए हैं. ऐसे में सरकार ने कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पर्यटन स्थल को फिर से खोल दिया. लेकिन इसके बावजूद भी भीड़ नियंत्रित नहीं हो रही है. वहीं, बीते दिनों खबर सामने आई थी कि कोरोना संक्रमण और फैलने का जोखिम न लेने के लिहाज़ से उत्तराखंड पुलिस ने नैनीताल और मसूरी घूमने आए 8000 से ज़्यादा पर्यटकों को वापस भेज दिया. खबरों की मानें तो वीकेंड के दौरान तफ़रीह के लिहाज़ से आए लोगों को बैरंग लौटना पड़ा क्योंकि पुलिस ने इन शहरों के बॉर्डर पर ही चेकपॉइंट बना दिए हैं, ताकि प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों की तरफ आने वाले लोगों को नियंत्रित किया जा सके. वहीं सरकारी आंकड़ों की मानें तो पिछले हफ्ते सिर्फ इन दो टूरिस्ट प्लेसों पर ही 50 हज़ार से ज़्यादा टूरिस्ट पहुंचे.
अप्रिय स्थिति के लिए डीएम ही जिम्मेदार होंगे
उत्तराखंड के डीआईजी नीलेश आनंद भारणे के हवाले से खबरों में कहा गया कि लोगों को RT-PCR निगेटिव रिपोर्ट साथ रखने की हिदायतों के साथ ही यह भी कहा गया है कि मसूरी और नैनीताल में ही भीड़ जुटाने से बेहतर है कि रानीखेत, भीमताल और लैंसडाउन जैसे पर्यटन स्थलों की तरफ भी लोग रुख करें. इधर, ज़िला मजिस्ट्रेटों को सरकार ने निर्देश दिए हैं कि वीकेंड पर टूरिस्टों की भीड़ को नियंत्रण में रखा जाए. यह भी कहा गया कि किसी भी अप्रिय स्थिति के लिए डीएम ही ज़िम्मेदार होंगे.
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