उत्तराखंड

Chamoli Disaster: जल प्रलय के 72 घंटे बाद भी नहीं मिला बिहार के इंजीनियर मनीष का सुराग– News18 Hindi

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पटना. उतराखण्ड के चमोली (Chamoli Disaster) जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने से ऋषिगंगा घाटी में अचानक पानी बढ गया जिससे वहां दो पनबिजली (Uttarakhand Power Projects) परियोजना पुरी तरह से तबाह हो गया. इस दौरान इन दोनों परियोजना में काम करने वाले तकरीबन 150 लोग अभी भी लापता हैं. इसी परियोजना में काम कर रहे थे पटना से सटे नौबतपुर इलाके के निसरपुरा गांव के रहने वाले मनीष कुमार जिनका सुराग घटना के चार दिन बाद भी नहीं मिल सका है.

हाल ही में आये थे गांव

मनीष कुमार ने 2016 में इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद हिमाचल की एक प्राइवेट कम्पनी के एक प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे. यह प्रोजेक्ट नवम्बर में खत्म हो गया था उसके बाद मनीष छुट्टी पर अपने गांव आये. बेटा इंजीनियर था और अच्छे तनख्वाह पर काम कर रहा था ऐसे में परिवार वालो से काफी धूमधाम से 8 नवम्बर 2020 को मनीष कुमार की पास के ही चेसी गांव में शादी कर दी. जब मनीष काम पर लौट रहे थे तो पत्नी को मायके भेजकर वो 5 जनवरी को उतराखण्ड ओम मेटल टेक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट तपोवन पहुंच गये.

रूम पार्टनर ने दी घरवालों को सूचना

अपनी काम से पहचान बना चुके मनीष दिलो जान से इस प्रोजेक्ट पूरा करना चाहते थे लेकिन रविवार को टनेल में काम कराने के दौरान तबाही ने दस्तक दे दी और फिर परिवार वालों से मनीष का सम्पर्क खत्म हो गया. परिवार वालो के मुताबिक कल सुबह 8 बजकर 58 मिनट पर टनल के पास अन्तिम बार देखे गये थे. मनीष दो भाइयो में छोटे हैं. उनके बडे भाइ मृत्युंजय सिंह पटना सचिवालय में जल संसाधन विभाग में काम करते हैं. मृत्युंजय सिंह को मनीष कुमार के रूम पार्टर्नर ने रविवार को तकरीबन 11 बजे सुबह फोन कर मनीष के लापता होने की खबर दी जिसके बाद मृत्युजंय सिंह अपने एक पड़ोसी के साथ भाई की तलाश में उतराखण्ड निकल गये लेकिन 72 घंटे से ज्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद अब तक मनीष कुमार का पता नहीं चल पाया है.

सहमे हुए हैं परिजन और रिश्तेदार

तपोवन में मनीष के लापता होने की खबर इलाके में जंगल की आग तरह फैलते ही गांव और आसपास के रहने वाले लोग मृत्युंजय सिंह से मिलने और हालचाल जानने के लिये उनके घर पहुंच रहे है. गांव के लोगो और रिश्तेदार पल-पल की जानकारी परिवार वालों से ले रहे हैं. जो भी मनीष के दरवाजे पर पहुंच रहा है उनके मन में यही चल रहा है की कहीं से कोई खुशी की खबर आ जाये लेकिन रविवार से अब तक जो जानकारियां छनकर सामने आ रही हैं उससे थोड़े परिजन और रिश्तेदार मायूस और सहमें हुये हैं. हांलाकि मनीष के भाई उतराखण्ड पहुंच चुके हैं लेकिन तबाही की तस्वीर देखकर परिवार वालों को मृत्युजंय सिंह कुछ बताने की हालत में नही हैं तो मनीष की बूढी मां और भाभी घर के दरवाजे पर बेटे के फोन का इंतजार कर रही हैं कि कब कोई खुशखबरी मिले.  ​



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