Black Fungus in Uttarakhand : देहरादून में एक दिन में 20 और नये केस, 3 की मौत
[ad_1]

न्यूज़18 क्रिएटिव
Mucormycosis Infections : उत्तराखंड में तेज़ी से फैल रहे म्यूकरमायकोसिस रोग के कारण अब तक 47 लोग दम तोड़ चुके हैं और इस बीमारी से ग्रस्त लोगों का आंकड़ा 300 की संख्या तक पहुंच गया है.
देहरादून. उत्तराखंड की राजधानी में रविवार को ब्लैक फंगस महामारी के 20 नये मरीज़ सामने आए. राज्य में तेज़ी से फैल रही इस महामारी के जिन मरीज़ों का इलाज चल रहा है, उनमें से तीन ने रविवार को दम भी तोड़ दिया. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप से हाल में जूझे राज्य में अब ब्लैक फंगस के कहर की सुगबुगाहट साफ है. स्वास्थ्य विभाग ने जो बुलेटिन जारी किया, उसके मुताबिक राज्य में इस बीमारी के कुल मरीज़ों की संख्या रविवार को 299 हो गई. इनमें से 47 की मौत हो चुकी है और 18 मरीज़ रिकवर हो चुके हैं.
ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल में ब्लैक फंगस से ग्रस्त सर्वाधिक 195 मरीज़ों का इलाज चल रहा है. 100 से ज़्यादा मरीज़ राज्य के अन्य शहरों के अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं या करवा चुके हैं. इस बीमारी के इलाज में सबसे कारगर मानी गई दवा Amphotericin-B की उपलब्धता को लेकर भी राज्य में तैयारियां की जा रही हैं. इस दवा के बारे में पिछले महीने ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि इस दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र पांच और दवा निर्माताओं के साथ चर्चा कर रहा है.
ये भी पढ़ें : लगातार चेतावनियों से भी चेता नहीं उत्तराखंड, चाइल्ड सेक्स रेशो में सबसे फिसड्डी राज्य
#BlackFungus | According to Uttarakhand’s Health Department, 20 new cases & three deaths were reported in Dehradun, yesterday. The total number of cases has gone up to 299 in the state including 47 deaths and 18 recoveries.
— ANI (@ANI) June 7, 2021
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ब्लैक फंगस या म्यूकरमायकोसिस को महामारी एक्ट के तहत चिंताजनक बीमारी की श्रेणी में रखा है इसलिए यहां इस बीमारी के हर केस को रिपोर्ट किए जाने के निर्देश हैं. सरकारी निर्देशों के मुताबिक उत्तराखंड में भी इस महामारी का हर केस रिपोर्ट किया जा रहा है. बता दें कि यह एक फंगल इन्फेक्शन से होने वाला रोग है, जिसे हाल में ज़्यादातर उन लोगों में देखा गया, जो कोरोना संक्रमण से रिकवर हुए थे.
[ad_2]
Source link