असोज के महीने में तैयार होती है भट की फसल, देखिए दाल निकालने का पारंपरिक तरीका
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पहाड़ में पारंपरिक तरीके से भट की दाल निकाली जाती है.
पहाड़ों में इन दिनों ‘असोज’ का महीना या यूं कहें ‘श्रम का पर्व’ चल रहा है.
पहाड़ों में इन दिनों ’असोज’ का महीना या यूं कहें ’श्रम का पर्व’ चल रहा है. पहाड़ में कहावत है कि असोज का घाम (धूप) और असोज का काम, महिलाओं के लिए काफी कष्टकारी होता है. पहाड़ में रहने वालीं महिलाओं का जीवन वैसे तो काफी मुश्किल होता है, लेकिन इस असोज के महीने में महिलाओं को जरा सा भी आराम नसीब नहीं होता है. प्रमुख तौर पर धान के साथ-साथ यह समय पहाड़ी दाल भट की फसल काटकर उसे तैयार करने का भी होता है.
दरअसल इन दिनों पहाड़ की सबसे पौष्टिक दाल भट खेतों में तैयार हो गई है. भट के पौधों से दाल निकालने का पारंपरिक तरीका भी इतना आसान नहीं है. पहाड़ों में न तो मशीनें हैं और न ही अन्य कोई तकनीक, सिर्फ है तो भट की फसल से दाल निकालने का पारंपरिक तरीका, जो हर किसी के बस की बात नहीं. इस पूरी प्रक्रिया को पहाड़ी भाषा में ’भट चुट्या’ कहा जाता है.
वहीं दूसरी ओर असोज के महीने में खेतों में फसल तैयार हो जाती है और पहाड़ों में घास भी पक जाती है, जिसको काटने की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर होती है. महिलाएं दूर-दूर तक फैले पहाड़ों से घास काटकर, अपने वजन से ज्यादा भार सिर पर लादकर घास को अपने पालतू जानवरों के लिए जंगलों से लाती हैं.
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