उत्तराखंड

Analysis: सुप्रीम कोर्ट में चल रहा ये मामला तो नहीं ले गया CM त्रिवेन्द्र सिंह रावत की कुर्सी

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सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले ही त्रिवेन्द्र रावत ने इस्तीफा दे दिया है. (File)

सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले ही त्रिवेन्द्र रावत ने इस्तीफा दे दिया है. (File)

Uttarakhand Political Crisis: त्रिवेन्द्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) के खिलाफ  एक मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. एक पत्रकार ने आरोप लगाया था कि उन्होंने साल 2016 में अपने रिश्तेदार के खाते में घूस के पैसे ट्रांसफर कराये थे.

लखनऊ/देहरादून. प्रचंड बहुमत वाली सरकार की सवारी कर रहे उत्तराखंंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) की कुर्सी बीच मझधार में चली गयी. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इतने बड़े बहुमत के अगुआ का सफर अधूरा रह जाएगा. इसके पीछे विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष और जनता के बीच घटती लोकप्रियता को तो कारण बताया ही जा रहा है, लेकिन एक और मामला सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसे भी त्रिवेन्द्र सिंह रावत के चले जाने के पीछे बहुत बड़े कारण के तौर पर देखा जा रहा है. मामला गंभीर भ्रष्टाचार से जुड़ा है जिस पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है.

सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इसकी सुनवाई इसी हफ्ते होनी है. असल में पिछले साल अक्टूबर में नैनीताल हाईकोर्ट ने सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिये थे. इस फैसले के खिलाफ त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. त्रिवेन्द्र की तरफ से याचिका में कहा गया था कि बिना उन्हें सुने नैनीताल हाईकोर्ट ने ये ऑर्डर पास किया है. इस मामले में 10 मार्च को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. सत्ता के गलियारों में चर्चा इस बात की है कि इसी वजह से आनन-फानन में त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सीएम के पद से हटाया गया है. अगर उनके सीएम के पद पर रहते सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर उनके खिलाफ आ जाता तो इससे फजीहत बहुत होती. लिहाजा इससे पहले ही सीएम को बदलने का फैसला ले लिया गया.

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नैनीताल हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थेत्रिवेन्द्र सिंह रावत पर एक पत्रकार ने आरोप लगाया था कि उन्होंने साल 2016 में अपने रिश्तेदार के खाते में घूस के पैसे ट्रांसफर कराये थे. साल 2016 में नोटबंदी के समय झारखण्ड में भाजपा की सरकार थी और त्रिवेन्द्र सिंह रावत वहां के प्रभारी थे. रावत ने एक व्यक्ति को गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनवाने के एवज में घूस की रकम ली थी. आरोप लगे थे कि इस पैसे को उन्होंने अपनी पत्नी की बहन के खाते में ट्रांसफर करवाया था. इस आरोप के बाद पत्रकार पर देहरादून में कई मुकदमें दर्ज किये गये थे. इन मुकदमों को रद्द करने के लिए पत्रकार ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश हाईकोर्ट ने दिए थे. हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है. इस पर 10 मार्च को सुनवाई होनी है.

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बता दें कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ ढ़ैंचा बीज के घोटाले का प्रकरण पहले से ही अदालत में चल रहा है. उनके कृषि मंत्री रहते ढ़ैंचा बीज की खरीद में बड़ा घोटाला हुआ था. भुवनचन्द्र खण्डूरी के समय त्रिवेन्द्र सिंह रावत कृषि मंत्री थे. सुप्रीम कोर्ट में होने वाली इस सुनवाई से पहले ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया है. वैसे तो नए सीएम की तलाश पूरी हो चुकी होगी, लेकिन औपचारिक तौर पर नाम सामने आना बाकी है.





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