विश्वकर्मा पूजन और “एक पेड़ माँ के नाम” से पिटकुल ने पेश की मिसाल
भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद और प्रधानमंत्री की प्रेरणा से सजा आयोजन
देहरादून: प्रदेश के सबसे बड़े ऊर्जा ट्रांसमिशन निगम पिटकुल ने इस बार आस्था, हरित सोच और सामाजिक दायित्व को साथ जोड़कर एक नई मिसाल पेश की। भगवान विश्वकर्मा की पूजा और हवन के साथ-साथ “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के अंतर्गत वृक्षारोपण और हाल ही में रिकॉर्ड रक्तदान ने यह संदेश दिया कि संस्था केवल तकनीकी सेवा ही नहीं देती, बल्कि समाज और पर्यावरण की भी सच्ची हितैषी है। पिटकुल मुख्यालय विद्युत भवन और विभिन्न उपकेंद्रों पर हुए आयोजनों में कर्मचारियों का उत्साह और सहभागिता देखकर यह साफ महसूस हुआ कि यह एक संगठन से बढ़कर परिवार है।
विश्वकर्मा पूजन–परंपरा, संस्कृति और आस्था का संगम
पिटकुल मुख्यालय विद्युत भवन में प्रबंध निदेशक पी.सी. ध्यानी और कर्मचारियों ने भगवान विश्वकर्मा की विधिवत पूजा और हवन किया। साथ ही सभी उपकेंद्रों और परियोजना स्थलों पर भी कर्मचारियों ने पूजन-अर्चन किया। पी.सी. ध्यानी ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान विश्वकर्मा विश्व के सबसे बड़े शिल्पकार हैं, जिन्होंने सृष्टि का निर्माण किया। उन्होंने बताया कि इस परंपरा के साथ संस्थान के लोग हर साल पूजन करते हैं, जिससे कार्य के प्रति नई ऊर्जा और सकारात्मकता मिलती है।

प्रधानमंत्री के जन्मदिवस पर हरित संदेश–“एक पेड़ माँ के नाम”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस के अवसर पर उनके दिए गए नारे “एक पेड़ माँ के नाम” के अंतर्गत पिटकुल मुख्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर ध्यानी ने प्रधानमंत्री को जन्मदिवस की शुभकामनाएं दीं और उनके दीर्घायु होने की कामना की। उन्होंने कहा कि यह वृक्षारोपण न केवल पर्यावरण संरक्षण का संकल्प है, बल्कि हमारे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा भविष्य गढ़ने का प्रयास भी है। पिटकुल परिवार ने जिस समर्पण के साथ इस अभियान को अपनाया है, वह अन्य संस्थानों के लिए भी प्रेरणास्रोत है।
सामाजिक दायित्व का नया मानक–रक्तदान शिविर
ध्यानी ने कर्मचारियों को हाल ही में आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर की सफलता पर भी बधाई दी। मुख्यमंत्री के जन्मदिवस पर आयोजित इस शिविर में पिटकुल कर्मचारियों ने “सबके लिए एक, एक के लिए सब” के नारे को साकार करते हुए रिकॉर्ड 190 यूनिट रक्तदान किया। उन्होंने कहा, “रक्तदान केवल जीवन बचाने का कार्य नहीं है, यह समाज को संबल देने की भावना है। यह देखकर गर्व होता है कि पिटकुल के कर्मचारी दुर्गम इलाकों से आकर भी इस महादान में शामिल हुए। यह सिर्फ एक शिविर नहीं, बल्कि हमारे संस्थान की सोच, संस्कृति और सेवा-भाव का प्रतीक है।”

आधुनिक भारत के रचनाकार की उपमा
पी.सी. ध्यानी ने भगवान विश्वकर्मा के संदर्भ में कहा कि जिस प्रकार भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के रचयिता हैं, उसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आधुनिक भारत के रचयिता हैं। उन्होंने बताया कि मोदी के नेतृत्व में देश निरंतर उन्नति कर रहा है और पिटकुल जैसे उपक्रम भी उसी प्रेरणा से समाज और राज्य के लिए काम कर रहे हैं।
पूजन और वृक्षारोपण में जबरदस्त सहभागिता
प्रांत भार निस्तारण केंद्र के निर्माणाधीन भवन में भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की गई और निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण होने की प्रार्थना की गई। पिटकुल के अधिकारी और कर्मचारी न केवल मुख्यालय बल्कि विभिन्न 132 केवी उपकेंद्रों और परियोजनाओं में भी पूजन-अर्चन और हवन में शामिल हुए। हर स्थान पर एक उत्सव जैसा माहौल रहा।
कर्मचारियों और अधिकारियों की उपस्थिति
इस अवसर पर मुख्य अभियंता हितेंद्र सिंह ह्यांकी, इला चंद, पंकज कुमार, महाप्रबंधक (वित्त) मनोज कुमार, अधीक्षण अभियंता मंत राम, ललित मोहन बिष्ट, राजकुमार, सूर्य प्रकाश आर्य, नीरज पाठक, अविनाश चंद्र अवस्थी, संतोष कुमार, महेश रावत, प्रमोद ध्यानी, उपमहाप्रबंधक विवेकानंद, अधिशासी अभियंता बलवंत सिंह पांगती, मुकेश चंद्र बड़थ्वाल, हिमांशु बालियान, मनोज कुमार, संजीव घनशाला, राजीव सिंह, प्रदीप कुमार, प्रेरणा शर्मा, लेखाधिकारी दीपक पांडे, सहायक अभियंता सी.पी. जोशी, प्रवीण रावत, दिनेश पाल, हिमांशु डोभाल, अनीता पंत, अनीता मेहरा, सहायक लेखाधिकारी अविनाश चमोली, प्रमोद कुमार जोशिया, निजी सचिव सोहन कुमार ध्यानी, प्रदीप रतूड़ी, अवर अभियंता राजेश, अजय रावत, हरविंद, रजनी, कार्यालय सहायक-प्रथम विक्की खड़का सहित अन्य कार्मिक व संविदा कर्मी प्रभात जखमोला, मनोज, गिरीश, मुकेश, आकाश, ललित, राकेश, रमेश जुयाल आदि उपस्थित रहे।
