हरिद्वार : 11 मार्च को होगा कुंभ का शाही स्नान, जानें क्या हैं यहां आने के नियम
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कुंभ मेले में शाही स्नान का एक विशेष क्रम होता है. (फाइल फोटो)
मेला और जिला प्रशासन की बैठक के बाद यह तय हुआ कि 11 मार्च के महाशिवरात्रि के स्नान के लिए श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोविड रिपोर्ट लाने की जरूरत नहीं.
हरिद्वार. हरिद्वार (Haridwar) में 11 मार्च को होने जा रहे कुंभ मेले (Kumbh Mela) के पहले शाही स्नान (shahi snan) को लेकर प्रशासन ने अपना रुख स्पष्ट किया है. 11 मार्च के महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के स्नान के लिए श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोविड रिपोर्ट (Covid Report) नहीं लानी होगी. इससे पहले केंद्र सरकार (central government) की ओर से कुंभ मेले के लिए जारी हुई एसओपी में कोविड नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य रूप से लाना बताया गया था.
बैठक के बाद प्रशासन ने कहा
आज मेला नियंत्रण भवन में 11 मार्च के शाही स्नान को लेकर मेला प्रशासन और जिला प्रशासन के बीच बैठक हुई. बैठक के बाद हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर ने बताया कि अभी तक के गंगा स्नान में जो व्यवस्था रही है, उसी व्यवस्था के तहत 11 मार्च का शाही स्नान भी संपन्न कराया जाएगा. हालांकि हरिद्वार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना बचाव के सभी नियमों का पालन करना होगा. लेकिन उन्हें अपने साथ कोरोना से जुड़ी कोई रिपोर्ट लाने की जरूरत नहीं है.शाही स्नान में अखाड़े करेंगे स्नान
11 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन हरिद्वार कुंभ मेले का पहला शाही स्नान होने जा रहा है. शाही स्नान में सभी 7 संन्यासी अखाड़ों के साधु-संत स्नान करने के लिए पहुंचेंगे. अपने-अपने अखाड़ों से भव्य शोभायात्रा निकालते हुए अखाड़ों के साधु-संत निर्धारित समय पर हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर पहुंचकर गंगा में डुबकी लगाएंगे.
शाही स्नान के विशेष क्रम का पालन
कुंभ मेले में अखाड़ों के शाही स्नान का एक विशेष क्रम होता है. शाही स्नान में सबसे पहले जूना, आह्वान और अग्नि अखाड़ा स्नान करेंगे. उसके बाद निरंजनी और आनंद अखाड़ा गंगा में आस्था की डुबकी लगाएंगे. इसके बाद महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के साधु-संत हरकी पैड़ी के ब्रह्मकुंड पर कुंभ स्नान करेंगे. अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने बताया कि कुंभ मेले में शाही स्नान सभी अखाड़ों के लिए खास महत्त्व रखता है. सभी 7 संन्यासी अखाड़े शाही स्नान करने के लिए खासे उत्साहित हैं.
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