उत्तराखंड

वन गुर्जरों को राजाजी और कार्बेट नेशनल पार्क से हटाने से पहले पुनर्वास की व्यवस्था हो- जनजाति मंत्रालय

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ऐसे में जरूरी है कि पीढ़ियों से जंगलों में रहते आए वन गुर्जरों को लेकर संवेदनशीलता दिखाने की.

ऐसे में जरूरी है कि पीढ़ियों से जंगलों में रहते आए वन गुर्जरों को लेकर संवेदनशीलता दिखाने की.

Displacement of Van Gurjar;s from Forests issue : पीढियों से राजाजी और कार्वेट नेशनल पार्क के जंगलों में रह रहे और उन पर आश्रित वनगुर्जरों को अब जंगल से खदेड़ा जा रहा है. पुनर्वास के बिना विस्थापन करने से यह कहां जाएंगे, यह मुद्दा अब केन्द्रीय जनजाति मंत्रालय की चौखट तक जा पहुंचा है.

देहरादून. उत्तराखंड में राजाजी और कॉर्वेट नेशनल पार्क (Raja ji and Corvette National Park) में रह रहे वन गुर्जरों (Forest Gujjars) को पार्क से बाहर खदेड़े जाने के मामला अब केन्द्रीय जनजाति मंत्रालय (Union Tribal Ministry) तक पहुंच गया है. मंत्रालय का कहना है कि गुर्जरों को जंगलों से हटाने से पहले सरकार को उनके समुचित पुनर्वास की व्यवस्था करनी होगी.

इन नेशनल पार्क के जंगलों में में रहने वाले वनगुर्जरों का बड़ी संख्या में पुर्नवास हो चुका है, लेकिन अभी भी दो- ढाई सौ परिवार एभी भी जंगलों में हैं. वहीं, जंगल ख़ाली करने को लेकर समय-समय पर वन गुर्जरों और वन विभाग में टकराव भी होता रहता है. वन विभाग वन गुर्जरों को एक जगह से दूसरी जगह हटाता रहता है. ऐसे में वन गुर्जरों के सामने खुद की रोजी-रोटी के अलावा जानवरों का पेट भरने का भी संकट खड़ा हो गया है.

पहले समुचित पुनर्वास हो, फिर विस्थापनवहीं, मामले का अब केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय ने भी संज्ञान लिया है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का कहना है कि किसी भी जंगल में सबसे पहले अधिकार वन गुर्जरों का है. उन्हें जबरन जंगलों से बाहर नहीं किया जा सकता. उनका कहना है कि जंगलों से हटाने से पहले वन विभाग को उनका समुचित पुनर्वास करना होगा.

वन गुर्जरों को लेकर संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत
दरअसल, बढ़ते शहरीकरण और सिमटे जंगलों के कारण पहले ही खानाबदोश वन गुर्जर संकट में हैं. उस पर उन्हें जबरन जंगलों से खदेड़ने के बढ़ते मामलों ने वन गुर्जरों की परेशानियों को चरम पर पहुंचा दिया है. ऐसे में जरूरी है कि पीढ़ियों से जंगलों में रहते आए वन गुर्जरों को लेकर संवेदनशीलता दिखाने की.






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