उत्तराखंड

मोदी ने लगाए सीएमओ दफ्तर के चक्कर, पर हाईकोर्ट में केस आते ही चंद घंटों में हो गया काम, जानें क्‍या है पूरा मामला

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उत्‍तराखंड के नैनीताल के सीएमओ दफ्तर से मोदी भी परेशान हैं. ये कोई और मोदी नहीं बल्कि रामनगर के डॉक्टर विनीत मोदी हैं.

उत्‍तराखंड के नैनीताल के सीएमओ दफ्तर से मोदी भी परेशान हैं. ये कोई और मोदी नहीं बल्कि रामनगर के डॉक्टर विनीत मोदी हैं.

Uttarakhand Latest News: रामनगर के डॉक्टर विनीत मोदी का मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो सीएमओ दफ्तर हरकत में आया और डायग्नोस्टिक सेंटर का पंजिकरण के साथ मशीनें खरीदने का अनुमति प्रमाण पत्र लेकर हाईकोर्ट ही पहुंच गया.

उत्‍तराखंड के नैनीताल के सीएमओ दफ्तर से मोदी भी परेशान हैं. ये कोई और मोदी नहीं बल्कि रामनगर के डॉक्टर विनीत मोदी हैं. अपने डायग्नोस्टिक सेंटर के रजिस्ट्रेशन के लिए महीनों तक चक्कर काटते रहे, लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि जिस काम के लिये महीनों तक एक डॉक्टर मोदी सीएमओ दफ्तर के चक्कर काटता रहा वो हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते ही चंद मिनटों में हो गया.

क्या था मामला
दरअसल, रामनगर के डॉक्टर विनीत मोदी ने डायग्नोस्टिक सेंटर के लिए आवेदन 23 नवम्बर 2020 को सीएमओ कार्यालय नैनीताल में आवेदन किया. पीसी पीएनडीटी एक्ट का अधिकारी डीएम होने के बाद भी नैनीताल में सीएमओ कार्यालय में तैनात क्लर्क अनूप बमोला कई तहर की आपत्तियां दर्ज कराता रहा. आपत्ति निस्तारित करने के ल‍िए डॉक्टर मोदी ने कई चक्कर लगाते रहे, लेकिन हर रोज एक नई आपत्ति और मिलती रही.

हालांकि इस दौरान सीएमओ कार्यालय ने डॉक्टर विनीत मोदी के सेंटर का निरिक्षण किया और कोई कमी भी इस दौरान नहीं मिली लेकिन सेंटर की अनुमति इसके बाद भी नहीं दी गई. इंचार्ज से पूछा गया और कई आपत्तियां बता दी गई, लेकिन लिखित कुछ भी नहीं दिया गया.मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो सीएमओ दफ्तर हरकत में आया और डायग्नोस्टिक सेंटर का पंजिकरण के साथ मशीनें खरीदने का अनुमति प्रमाण पत्र लेकर हाईकोर्ट ही पहुंच गया, जब्कि मशीन खरिदने की अनुमति व मशीन लगाने के बाद निरिक्षण किया जाता है उसके बाद संतुष्टि होने के बाद ही अंतिम पंजीकरण जारी करना होता है.

क्या है डाइग्नोस्टिक पंजीकरण का नियम…
पीसी पीएनडीटी एक्ट के तहत यदि कोई डाइग्नोस्टिक सेंटर के लिए आवेदन करता है तो उसको 90 दिनों में या तो रजिट्रेशन देना होता है या तो उसको निरस्त करना होता है और ये सूचना 90 दिनों के भीतर ही लिखित तौर पर देनी होती है. लेकिन इस मामले में 90 दिनों के बाद भी कोई कार्रवाई सीएमओ दफ्तर ने नहीं की गई. हालांकि कुछ महीनों पहले दूसरे संस्थान में काम करने की आपत्ति दर्ज करने के बाद डाक्टर विनीत मोदी ने नौकरी छोड़ दी और स्टॉफ और सेंटर का किराया जमा करते रहे. इसके बाद कलर्क अनुप बमोला ने आपत्ति लगाई की जो रैंप बनाया गया है वो सीमेंट के बजाए लकड़ी का बनाया जाना चाहिए. अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि कई बार कई डॉक्टरों द्वारा लिखित शिकायत अनूप बमोला की लेकिन कोई कार्रवाई इस पर नहीं हुई.

डीएम व सीएमओ की पावर मिली तो शक्तियों का हुआ दुरुपयोग
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में डॉक्टर विनीत ने क्लर्क को पक्षकार बनाया और आरोप लगाया कि क्लर्क की मनमानी पूरी तरह से सीएमओ दफ्तर में हावी है. याचिका में कहा गया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट का ना तो पालन सही से हो रहा है, क्योंकि सीएमओ द्वारा असिमित शक्तियां क्लर्क अनुप बमोला को प्रदान की गई हैं, जिसका वो दुरुपयोग कर रहा है. याचिका में मांग की गई थी क‍ि पीसी पीएनडीटी एक्ट का सही से पालन कराया जाए.






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