महाकुंभ 2021: साधुओं की पहचान होते हैं अखाड़े, जानिए इनके बारे में जानिए सबकुछ
[ad_1]
ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर ये अखाड़े होते क्या हैं. कुंभ में इनका क्या महत्व है. कुंभ में शाही स्नान के दौरान अखाड़ों को ही सबसे पहले गंगा स्नान की अनुमति क्यों दी जाती है और देश में कुल कितने अखाड़े हैं.
न्यूज 18 हिंदी इन सभी सवालों का जवाब वृंदावन में पंचनिर्मोही अनी अखाड़ा से ताल्लुक रखने वाले कुंभ के जानकार स्वामी राम प्रपन्न दास के माध्यम से दे रहा है. इससे न केवल कुंभ की रूपरेखा समझी जा सकती है बल्कि कुंभ में मिलने वाले साधु-संतों की पहचान भी की जा सकती है कि ये किस मत को मानने वाले हैं.
स्वामी रात प्रपन्न दास बताते हैं कि महाकुंभ में भाग लेने वाले अखाड़े तीन प्रमुख मतों को मानते हैं. इनमें पहले शैव मत, दूसरा वैष्णव मत, तीसरा है उदासीन मत. शैव मत के अंतर्गत कुल सात अखाड़े आते हैं. जबकि वैष्णव मत के अंतर्गत तीन अखाड़े और उदासीन के अंतर्गत भी तीन अखाड़े आते हैं. इनके अलावा दो और अखाड़े बनाए गए लेकिन उनका विलय कर दिया गया है.शैव मत के अखाड़े
शैव का तात्पर्य शिव से है. शैव मत के अंतर्गत कुल सात अखाड़े आते हैं. इस अखाड़े के साधु-संत शंकर भगवान को पूजते व उपासना करते हैं और माथे पर त्रिपुंड लगाते हैं. त्रिपुंड में तीन आड़ी लाइनें माथे पर लगाई जाती हैं. इसके अंतर्गत आने वाले ये अखाड़े हैं.
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, धारागंज प्रयाग
श्री पंच अटल अखाड़ा, चौक हनुमान, वाराणसी
श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, धारागंज प्रयाग
श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती त्रयंबकेश्वर , नासिक महाराष्ट्र
श्री पंचदसनाम जूना अखाड़ा,बाबा हनुमान घाट, वाराणसी उत्तरप्रदेश
श्री पंचदसनाम आवाहन अखाड़ा, दशाश्वमेघ घाट, वाराणसी उत्तरप्रदेश
श्री पंचदसनाम पंच अग्नि अखाड़ा, गिरि नगर भवनाथ, जूनागढ़ गुजरात
बैरागी वैष्णव मत के अखाड़े
बैरागी अथवा वैष्णव मत के प्रमुख तीन ही अखाड़े हैं. इनकी कई शाखाएं, खालसा आदि भी हैं. इस मत को मानने वाले साधु माथे पर उर्द्ध पुंड लगाते हैं. ये ऊपर की तरफ तीन लंबी लाइनें होती हैं. ये विष्णु भगवान की आराधना करते हैं.
वृंदावन में लगने वाली कुंभ बैठक में सिर्फ वैष्णव मत के अखाड़ों को ही स्थान दिया जाता है. इस बार भी इन्हीं तीन अखाड़ों को जगह मिली है.
श्री दिगंबर अनी अखाड़ा, सांमलाजी खाक चौक मंदिर, सांवरकांथा, गुजरात
श्री निवार्नी आनी अखाड़ा, हनुमानगादी अयोध्या,
श्री पंचनिर्मोही अनी अखाड़ा, धीरसमीर मंदिर वंशीवट, वृंदावन मथुरा उत्तरप्रदेश
उदासीन मत के अखाड़े
उदासीन मत को मानने वाले भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की ही उपासना करते हैं. साथ ही ये दोनों की तरह ही तिलक भी लगाते हैं. इनका शैव और वैष्णव की तरह कोई एक खास मत नहीं होता. इस मत के अंतर्गत तीन प्रमुख अखाड़े आते हैं.
श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, कृष्णनगर कीटगंज प्रयाग उत्तरप्रदेश
श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन कनखल, हरिद्वार
श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा, कनखल हरिद्वार उत्तराखंड
इन दो नए अखाड़ों का हुआ निर्माण और विलय
इन 13 प्रमुख अखाड़ों के अलावा दो अन्य अखाड़ों का भी निर्माण हुआ है. इनमें महिला साधुओं का सबसे बडा अखाड़ा माईबाड़ा अखाड़ा है. हालांकि इसे पिछले कुंभ में शैव मत के जूना अखाड़ा में शामिल कर दिया गया है.
इसके साथ ही किन्नर अखाड़ा भी बनाया गया है. जिसकी महामंडलेश्वर लक्ष्मनारायण त्रिपाठी हैं. इसे भी जूना अखाड़ा में ही समाहित कर दिया गया है.
इसलिए होते हैं अखाड़े
स्वामी रामप्रपन्न कहते हैं कि हर साधु-संत की अपनी पूजा की पद्धति है. साधना का अपना तरीका है. इसे ही अखाड़ों के रूप में विभाजित किया गया है. देशभर में पाए जाने वाले सभी साधु इनमें से किसी न किसी अखाड़े से ताल्लुक रखते हैं. हालांकि कुछ ऐसे भी साधु होते हैं जो किसी अखाड़े से नहीं जुड़े होते. लेकिन उनकी पूजा और उपासना की पद्धति इनमें से किसी न किसी से जरूर मिलती है.
इसलिए सबसे पहले स्नान करते हैं अखाड़े के साधु-संत
महाकुंभ में शाही स्नान का सबसे बड़ा महत्व है. ऐसे में शाही स्नान के दिन इन अखाड़ों को ही सबसे पहले स्नान की अनुमति दी जाती है. एक खास मुहूर्त में ये सभी स्नान करते हैं उसके बाद आम लोगों को गंगा तट पर जाने दिया जाता है. लिहाजा अखाड़ों के रूप में इन्हें कुंभ में प्राथमिकता दी जाती है. साथ ही कुंभ क्षेत्र में अपनी गद्दी लगाने के लिए स्थान दिया जाता है.
[ad_2]
Source link