महाकुंभ की तैयारी जोरों पर, अखाड़ों की धर्म ध्वजा के लिए पेड़ चिन्हित
देहरादून। महाकुंभ 2021 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। अखाडें भी अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। रविवार को अखाड़ों ने मान सम्मान के प्रतीक धर्मध्वजा के लिए पेड़ों को चिन्हित किया। मेलाधिकारी दीपक रावत अखाड़ों को उनकी धर्म ध्वजा के लिए लकड़ी उपलब्ध कराने की परम्परा के तहत खुद साधु-संतों के साथ छिद्दरवाला के जंगल में पहुंचे। यहां पेड़ों का चयन कर उन पर मार्किंग की गई। मेलाधिकारी दीपक रावत ने कहा कि धर्म ध्वजा के लिए पेड़ों की निशानदेही हो गयी है। जब अखाड़ों का आदेश होगा उचित समय पर अखाड़ों की परम्परा का पालन करते हुए पेड़ों को पहुंचा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका प्रतीकात्मक महत्व बहुत ज्यादा है। इस मौके पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी भी मौजूद थे।
7 फरवरी को माघ पूर्णिमा के स्नान के साथ महाकुंभ का आगाज हो जाएगा। इसके मददेनजर अस्थायी प्रकृति के सभी कार्यों को पूरा करने की डेडलाइन पंद्रह फरवरी तय की गई है। 23 सेक्टरों में बांटे गए पूरे मेला क्षेत्र में बिजली और पेयजल लाइन बिछाने का काम युद्व स्तर पर शुरू कर दिया गया है। मेला क्षेत्र में दक्षदीप, सती द्वीप, बैरागी कैंप, नया टापू आदि क्षेत्रों में अस्थायी पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है। पूरे मेला क्षेत्र में साढ़े तीन हजार बिजली के अस्थायी पोल और करीब ढाई हजार से अधिक स्ट्रीट लाइट लगाने का काम भी जारी है।
दवाओं का भी होगा वितरण
रविवार को अपर मेलाधिकारी रामजी शरण शर्मा ने व्यवस्थाओं के मददेनजर अधिकारियों की मीटिंग भी ली। आयुष विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कुंभ में चिकित्सा शिविर स्थापित करने के लिए चार जगह जमीन चिन्हित की गई है। कुंभ में दवाईयों के वितरण के साथ-साथ जड़ी बूटियों तथा योग का प्रदर्शन भी किया जाएगा। संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए जगह देने के साथ ही कुछ और बजट की भी मांग की। बताया गया कि 24 और 25 अप्रैल को कुंभ में देवडोलियों का समागम भी होगा। इसके लिए व्यवस्था की जानी बाकि है। हालांकि, कोविड काल में हो रहे इस बार के महाकुंभ के लिए अभी राज्य सरकार की ओर से एसओपी जारी होनी बाकि है। केंद्र ने अपनी गाइडलाइन में कई सख्त नियम लगाए हैं। केंद्रीय गाइडलाइन के अनुसार कोई भी श्रदालु बिना कोविड की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट के बिना मेला क्षेत्र में नहीं घुसेगा। माना जा रहा है कि राज्य सरकार भी अपने गाइडलाइन में सख्ती को बरकरार रखते हुए प्रतिदिन श्रदालुओं की संख्या कम कर सकती है।